
आर पी डब्लू न्यूज़/ऋतु रहनुमा
दिल्ली जनवरी 6:-पीएम मोदी ने कहा था हमारे देश को श्वेत क्रांति, हरित क्रांति, नीली क्रांति के बाद ‘मीठी क्रांति’ की जरूरत है। ‘मीठी क्रांति’ से यहां आशय शहद उत्पादन से है। आज हमारा देश शहद उत्पादन के मामले में पांचवे स्थान पर है। भारत वर्तमान में लगभग 1,33,000 मीट्रिक टन (एमटी) शहद (2021-22) का उत्पादन कर रहा है। और हमारा भारत शहद का मुख्य निर्यातक देश भी बन गया है। देश ने वर्ष 2021-22 के दौरान दुनिया भर में 74,413.05 मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया है। इसके अलावा देश में शहद क्षेत्र को समग्र रूप से बढ़ावा देने और समर्थन देने के लिए एनबीएचएम के अंतर्गत 100 शहद किसान उत्पादक संघ-एफपीओ/समूहों की पहचान भी की गई है।हाल ही में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि मधुमक्खी पालन ‘मीठी क्रांति’ है जो किसानों के जीवन में मिठास घोलने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज मधुमक्खी पालन उद्योग से लाखों लोग जुड़ रहे हैं। खादी एवं ग्रामोद्योग भी देश में शहद उत्पादन को बढ़ावा देने का काम पूरी प्रतिबद्धता के साथ कर रहा है। आयोग समय समय पर लोगों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दे रहा है, आयोग अब तक 17 हजार 500 लाभार्थियों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दे चुका है। इसके अलावा हरियाणा में 440 लाभार्थियों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर 4400 बक्सों का वितरण किया जा चुका है।
अभी क्या स्थिति है ?
वर्ष 1953 में केवल 230 मधुमक्खी पालक थे जो मधुमक्खी के बक्सों में लगभग 800 मधुमक्खी कालोनियों का अनुरक्षण करते थे और वार्षिक रूप से बहुत कम मात्रा में शहद का उत्पादन करते थे। वर्तमान में देश में लगभग 25 लाख मधुमक्खी कालोनियों, 2.50 लाख मधुमक्खी पालक है और जंगली शहद संग्राहक लगभग 70,000 मीट्रिक टन शहद की पैदावार कर रहें है जिसका मूल्य रु.770 करोड़ हैं। राज्यों की बात करें तो सबसे अधिक संभावित राज्य: पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार, केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तराखंड हैं क्योंकि इन सभी राज्यों में मधुमक्खी पालकों की संख्या बहुत ज्यादा है। (II) मध्यम संभावित राज्य: आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय/शिलांग और उड़ीसा में पुष्प स्रोत उपलब्ध हैं लेकिन मधुमक्खी पालकों और कोलोनियों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। (III) कम क्षमता के राज्य: मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, राजस्थान, सिक्किम, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और अंडमान निकोबार है।
रोजगार सृजित
मधुमक्खी पालन उद्योग में लागत और मेहनत कम लगती है जिस कारण आज कई युवा और किसान इस उद्योग के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। आज यह एक ऐसे उद्योग की श्रेणी में स्थापित हो चुका है जो हजारों लोगों को रोजगार देने का काम कर रहा है। आज इस क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति 3 से 4 लाख रुपये महीने कमा रहा है। कई स्टार्टअप्स भी रजिस्टर हो रहे हैं और जो हुए हैं वो सालाना करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। केंद्र सरकार भी मधुमक्खी पालन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए छोटे और सीमांत मधुमक्खी पालकों और छोटे उद्यमियों पर ज्यादा ध्यान दे रही है।

मधुमक्खी पालन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर पैकेज में वित्त मंत्री ने 500 करोड़ की योजनाओं का ऐलान किया था। इसके अलावा राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने नाबार्ड के साथ मिलकर भारत में मधुमक्खी पालन बिजनेस के लिए फाइनेंस स्कीम भी शुरू की है।
केंद्र सरकार के प्रयास
NBHM योजना
आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत इस योजना की घोषणा की गई थी। NBHM का उद्देश्य ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापक संवर्धन और विकास है। इसके अलावा कृषि और गैर कृषि परिवारों के लिए आमदनी और रोजगार संवर्धन के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास को प्रोत्साहन देना, कृषि/ बागवानी उत्पादन को बढ़ाना, अवसंरचना सुविधाओं के विकास के साथ ही एकीकृत मधुमक्खी विकास केन्द्र (आईबीडीसी)/ सीओई,शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं, मधुमक्खी रोग नैदानिकी प्रयोगशालाएं, परम्परागत भर्ती केन्द्रों, एपि थेरेपी केन्द्रों, न्यूक्लियस स्टॉक, बी ब्रीडर्स आदि की स्थापना और मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण है।
मधुक्रान्ति पोर्टल
इस पोर्टल की शुरुआत शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत का पता लगाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और ब्लॉकचेन प्रणाली विकसित करने के लिए हुई थी । वर्तमान में मधुक्रांति पोर्टल पर 20 लाख से अधिक मधुमक्खी बस्तियों ने NBB के साथ पंजीकरण कराया है। NBHM भारत में मधुमक्खी पालन गतिविधियों की प्रभावी निगरानी कर रहा है।