
आर पी डब्लू न्यूज़/राजीव मेहता
यमुनानगर जनवरी 9:-आज उद्योग व्यापार मंडल के दस सदस्यों के शिष्टमंडल ने प्रदेशाध्यक्ष महेन्द्र मित्तल के नेतृत्व में एस डी एम अशोक मुन्जाल को बिजली मंत्री, मुख्य मंत्री व उपायुक्त के नाम मांग पत्र सौंपा ।

बिजली मीटरों के मुद्दे पर महेन्द्र मित्तल ने चर्चा करते हुए मांग की यह प्रीपेड मीटर जनहित में नहीं है।इसे न लगाया जाये। यमुना नगर व जगाधरी की अधिकांश आबादी दिहाड़ीदार है व आज कर्जे में सांसे ले रही है।बमुश्किल जोड़ तोड़ कर रात को अपने बच्चों के मुँह में निवाला खिलाकर सो पाती है। गरीब जनता एडवांस में कैसे बिजली बिलों का रीचार्ज करवायेगी?बिजली पब्लिक की मूलभूत जरूरत है और बिजली पानी मौलिक अधिकार भी है। अतः सरकार इसे आय का साधन न बनाये ।
पडोसी राज्यों में तो बिजली 300 यूनिट तक मुफ्त दी जा रही है
क्या हरियाणा सरकार इतनी नंगी हो गई है? या उसे खाने के लाले पड़ रहें हैं और जनता से एडवांस पैसा मांग कर बिजली देनी पड़ेगी? यटि सच में ऐसा है तो सरकार इस्तीफा दे और हमें सरकार चलाने को दे हम व्यापारी वर्ग भी आप से बढ़िया सरकार चला कर दिखा सकते हैं। नये बन रहे नियम के अनुसार यदि प्रीपेड मीटर तकनीकी खराबी,ओवर लोड के कारण जल जाएगा तो उपभोक्ता से भारी भरकम आर्थिक दंड के साथ मीटर की दोगुनी कीमत भी वसूली जाऐगी ।

इस हिसाब से यह मीटर अच्छी क्वालिटी के नहीं प्रतीत हो रहे हैं इसमें संशय है? कार्यकारीअध्यक्ष संजय मित्तल व महिला प्रभारी सुमन बाल्मीकि ने बातचीत के दौरान कहा कि यह गुरुग्राम, पानीपत, सोनिपत आदि जिलों में शायद कामयाब हो क्योंकि वहाँ पर छोटे शहरों के मुकाबले लोगों की कमाई ज्यादा है। हमारे शहरो में सक्षम व कौशल योजना के तहत लगे मुलाजिम से एडवांस बिलों के चार्ज कैसे लोगे ?
जिन्हे सरकार ही समय पर भुगतान नहीं करती
जिनका तीन-चार महीने का वेतन सदैव ही बकाया रहता है। महासचिव संजीव गुप्ता व जिला सचिव विपिन गुप्ता ने कहा कि सरकार पहले अपने विभागों के मीटर प्रीपेड क्यों नहीं लगाती ? जिनका कई-कई वर्षो से बकाया लंबित है। जिला प्रभारी संदीप गांधी ने कहा कि क्या सरकार वेतनभोगी निजी व सरकारी कर्मचारियों को अग्रिम तनख्वाह देने का इंतजाम करेगी ताकि लोग एडवांस में बिजली बिलों का रीचार्ज करवा सकें। इसके साथ ही बिजली के बिलों में खराबी होने पर रीडिंग ठीक करवाने का विकल्प भी समाप्त हो जाएगा। इसलिए ये प्रीपेड मीटर तर्कसंगत नहीं है। जनता के ऊपर यह अनावश्यक बोझ है। व्यापारी वर्ग भी सामान देने के बाद ही भुगतान पाता है। महेन्द्र मित्तल ने फिर कहा किसरकार पुनः विचार कर पुरानी व्यवस्था ही जारी रखे अन्यथा ,एक बडा जन-आंदोलन कर सरकार को झुकाया जाएगा।