
आर पी डब्लू न्यूज़/ऋतु रहनुमा
दिल्ली जनवरी 9:-पीएम के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने रविवार को जोशीमठ में जमीन धंसने की स्थिति की उच्चस्तरीय बैठक में समीक्षा की। मुख्य सचिव ने बताया कि देशभर के विशेषज्ञ वैज्ञानिक जोशीमठ में भूस्खलन के कारणों का पता लगा रहे हैं और जो कुछ भी जरूरी कदम हो वो सब उठाए जायेगें।उन्होंने बताया कि नागरिकों की सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है और स्थानीय प्रशासन इसके लिए निरंतर काम कर रहा है। मुख्य सचिव ने स्थानीय लोगों से अपील की कि किसी भी स्थिति में कोई जोखिम न उठाएं। इस समीक्षा में भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, चमोली जिले के जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी, उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के विशेषज्ञ भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस बैठक में शामिल हुए।
पीएम मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से बात कर हरसंभव सहायता का दिया था आश्वासन

रविवार को पीएम मोदी ने जोशीमठ नगर की स्थिति पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ टेलिफोन पर बात की थी और सीएम धामी ने पीएम मोदी को स्थिति की जानकारी दी थी। उन्होंने पीएम मोदी को अनेक मकानों में दरारें आने के बाद लोगों के पुनर्वास योजना के बारे में भी बताया। पीएम मोदी ने जोशीमठ के लोगों की मदद के लिए हरसभंव वित्तीय और तकनीकी सहयोग का आश्वासन दिया। एक ट्वीट में सीएम धामी ने बताया कि पीएम मोदी क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति तथा सरकार के कार्यों पर व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखें हुए हैं।
सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ योजना तैयार करने में जुटे
उत्तराखंड राज्य के मुख्य सचिव ने बताया कि केंद्रीय विशेषज्ञों के सहयोग से राज्य और जिले के अधिकारियों ने जमीनी स्थिति का आकलन किया है। उन्होंने बताया कि जोशीमठ में करीब 350 मीटर चौड़ी जमीन की पट्टी प्रभावित हुई है। एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें जोशीमठ पहुंच चुकी हैं।जिला प्रशासन प्रभावित परिवारों के साथ भोजन, आश्रय और सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था के साथ उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए काम कर रहा है। पुलिस अधीक्षक और एसडीआरएफ के कमांडेंट मौके पर तैनात हैं। जोशीमठ के निवासियों को लगातार घटनाक्रम से अवगत कराया जा रहा है और उनका सहयोग लिया जा रहा है। इसके आलवा लघु, मध्यम और दीर्घकालीन योजनाएं तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।
प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा
पीएम के प्रधान सचिव ने जोर देकर कहा कि प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा राज्य के लिए तत्काल प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्य सरकार को प्रभावित लोगों के साथ एक स्पष्ट और निरंतर संवाद स्थापित करना चाहिए। व्यवहार्य उपायों के माध्यम से स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए तत्काल प्रयास किए जाने चाहिए और प्रभावित क्षेत्र की एक अंतर-विषयी जांच की जानी चाहिए।भू धंसाव का पता लगाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय की टीम जोशीमठ रवाना होगी। रविवार देर शाम यह टीम देहरादून पहुंच गई, जिसमें जल शक्ति मंत्रालय के अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सहित विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल हैं। जोशीमठ में आपदा राहत कार्यों को त्वरित गति देने और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए मंडलायुक्त ने 10 अधिकारियों की जोशीमठ में तैनात किए हैं। इनमें एक एडीएम, तीन एसडीएम और छह तहसीलदारों को जोशीमठ में कैंप करने के निर्देश हैं।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ आपदा को देखते हुए शासन और स्थानीय प्रशासन के स्तर पर उच्च स्तरीय समितियां गठित करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुंदरम और आयुक्त गढ़वाल मंडल सुशील कुमार को जोशीमठ में कैंप करने के निर्देश दिए थे। राहत कार्यों के सही से संचालन के लिए रविवार को मंडलायुक्त की ओर से अधिकारियों को जोशीमठ पहुंचने के आदेश जारी किए गए थे।
विशेषज्ञों की टीम अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी
सीमा प्रबंधन सचिव और एनडीएमए के चारों सदस्य आज उत्तराखंड का दौरा करेंगे। वे हाल ही में जोशीमठ से लौटे तकनीकी दल (एनडीएमए, एनआईडीएम, एनडीआरएफ, जीएसआई, एनआईएच, वाडिया संस्थान, आईआईटी रुड़की) के निष्कर्षों का विस्तृत आकलन करेंगे और राज्य सरकार को स्थिति का समाधान करने के लिए तत्काल, लघु-मध्यम-दीर्घकालिक कार्रवाइयों पर सलाह देंगे।
कई केंद्रीय संस्थानों के विशेषज्ञ- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी), राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण की भावना से उत्तराखंड राज्य के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके अलावा एक स्पष्ट समयबद्ध पुनर्निर्माण योजना और निरंतर भूकंपीय निगरानी की की जा रही है। इस अवसर का उपयोग करते हुए जोशीमठ के लिए जोखिम के प्रति एक संवेदनशील शहरी विकास योजना भी विकसित की जानी है।