
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
दिल्ली जनवरी 11:- आज से शुरूसड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता और कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को यातायात संबंधी नियमों की जानकारी देने के लिए 11 जनवरी से 17 जनवरी तक ‘सड़क सुरक्षा सप्ताह’ का आयोजन किया जा रहा है। आइए जानते हैं इस दिन के इतिहास,महत्व और भारत में सड़क सुरक्षा से संबंधित जानकारियों को और ये भी कि सरकार सड़कों की सुरक्षा के लिए क्या-क्या प्रयास कर रही है।
क्या है ‘सड़क सुरक्षा सप्ताह’?
‘सड़क सुरक्षा सप्ताह’ एक एक ऐसा साप्ताहिक कार्यक्रम है जिससे सड़क दुर्घटना में लोगों को चोट लगने और उससे मौत होने जैसी घटनाओं को कम करने हेतु किये जानें वाले उपायों का प्रचार-प्रसार किया जाता है। सड़क का उपयोग करने वाले सभी लोग जिसमें पैदल चलने वाले, साइकल, गाड़ी चालक या सार्वजनिक यातायात साधनों का उपयोग करने वाले लोग शामिल हैं।इस साप्ताहिक आयोजन के अंतर्गत लोगों को जानकारी दी जाती है कि सड़क यातायात की सुरक्षा हेतु घटनाओं को देख कर लोग किन बातों का ध्यान रखें और वर्तमान में सड़क के आस पास के माहौल को देख कर वाहन की गति आदि किस प्रकार से तय करें। ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह’ के तहत आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से आमजन को यातायात नियमों की आधारभूत जानकारी भी मिलती है।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थति
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के वर्ष 2021 के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाओं की वजह से 1.5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई वहीं सड़क पर लगभग 90% मौतें तेज गति, ओवरटेकिंग और खतरनाक ड्राइविंग के कारण हुईं हैं।दुर्घटनाओं के सबसे अहम कारणों में ओवर स्पीडिंग, शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग, थकान या बिना हेलमेट के सवारी, सीटबेल्ट के बिना ड्राइविंग आदि है। इसके अलावा ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करना और वाहनों में क्षमता से अधिक यात्रियों को लेकर सफर करना सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बन गया है। वहीं एयरबैग, एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि जैसी सुरक्षा सुविधाओं के महत्त्व के बारे में जागरूकता की कमी के कारण भी सड़क दुर्घटनाए होती है।
सड़क सुरक्षा के संबंध में उठाये गए कदम

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कई बार सार्वजनिक मंचों पर यह दोहरा चुके हैं कि “साल 2024 के पहले देश में सड़क दुर्घटना और उनसे होने वाली मौतों को 50 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही सरकार ने इसे लेकर तेजी से काम भी करना शुरू कर दिया है।”हाल के वर्षों में भारत सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने यातायात नियमों के उल्लंघन के लिये मौजूदा ज़ुर्माने को बढ़ा दिया। छोटे क्षेत्रों, प्रमुख सड़कों और राजमार्गों के हिस्सों को “आदर्श” सड़क सुरक्षा क्षेत्र के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है। ये क्षेत्र स्थानीय रूप से उपयुक्त, अधिक सुरक्षित सड़क व्यवस्था विकसित करने में मदद करेंगे।चंडीगढ़ और नई दिल्ली ने ट्रैफिक कंट्रोल में स्पीड डिटेक्शन डिवाइस जैसे डिजिटल स्टिल कैमरा (चंडीगढ़), स्पीड कैमरा (नई दिल्ली) तथा रडार गन (नई दिल्ली) की सेवा पहले ही लागू कर दी है। इसका उपयोग किसी गुजरते हुए वाहन की गति का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है।स्पीड हंप, उठे हुए प्लेटफॉर्म, गोल चक्कर और ऑप्टिकल मार्किंग से सड़क दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिये केवल लक्ष्य तय नहीं किए जा रहे हैं बल्कि सरकार द्वारा व्यावहारिक दृष्टिकोण भी अपनाया जा रहा है और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये समर्पित प्रयास भी तेजी से किए जा रहे हैं।
भारत और विश्व स्तर पर सड़क सुरक्षा संबंधी पहल
सड़क सुरक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत ने इस दिशा में कई सारी पहल की है। ‘मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019’ यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, नाबलिकों द्वारा वाहन चलाने आदि के लिये दंड की मात्रा में वृद्धि करता है। यह अधिनियम मोटर वाहन दुर्घटना हेतु निधि प्रदान करता है जो भारत में कुछ विशेष प्रकार की दुर्घटनाओं पर सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज प्रदान करता है। अधिनियम एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड को मंजूरी प्रदान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से स्थापित किया जाना है।इसके अलावा ‘सड़क मार्ग द्वारा वहन अधिनियम 2007’ सामान्य माल वाहकों के विनियमन से संबंधित प्रावधान करता है। यह उनकी देयता को सीमित करता है और उन्हें वितरित किये गए माल के मूल्य की घोषणा करता है ताकि ऐसे सामानों के नुकसान या क्षति के लिये उनकी देयता का निर्धारण किया जा सके, जो लापरवाही या आपराधिक कृत्यों के कारण स्वयं, उनके नौकरों या एजेंटों के कारण हुआ हो।‘राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000’ राष्ट्रीय राजमार्गों के भीतर भूमि का नियंत्रण, रास्ते का अधिकार और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात का नियंत्रण करने संबंधी प्रावधान प्रदान करता है, साथ ही उन पर अनधिकृत कब्जे को हटाने का भी प्रावधान करता है। वहीं ‘भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998’ राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये एक प्राधिकरण के गठन तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों से संबंधित प्रावधान प्रस्तुत करता है।इसके अलावा वैश्विक सतर पर भी सड़क सुरक्षा के लिए व्यापक उपायों की एक विस्तृत शृंखला तैयार की गई है। सड़क सुरक्षा पर ‘ब्रासीलिया (Brasilia) घोषणा (2015)’ ब्राजील में आयोजित दूसरे वैश्विक उच्च स्तरीय सम्मेलन में सड़क सुरक्षा घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे। भारत भी इस घोषणापत्र का हस्ताक्षरकर्त्ता है। सभी देशों के द्वारा सतत् विकास लक्ष्य 3.6 हासिल करने की योजना है, यानी 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों और क्षति की संख्या को आधा करना है।इसके अलावा सड़क सुरक्षा के लिये कार्य दशक 2021-2030 के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सड़क यातायात से होने वाली मौतों और क्षति को 2030 तक कम-से-कम 50% रोकने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ “वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार” का संकल्प अपनाया गया है। यह वैश्विक योजना सड़क सुरक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर बल देते हुए स्टॉकहोम घोषणा के अनुरूप है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP) एक पंजीकृत चैरिटी है जो सुरक्षित सड़कों के माध्यम से लोगों की जान बचाने के लिये समर्पित है।