
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
दिल्ली जनवरी 18:-विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज से अपनी तीन दिवसीय मालदीव और श्रीलंका की यात्रा परविदेश मंत्री एस. जयशंकर आज से अपनी तीन दिवसीय (18 से 20 जनवरी) मालदीव और श्रीलंका की यात्रा पर रहेंगे। अपनी यात्रा के पहले चरण में वे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह और विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद से मुलाकात करेंगे, वहीं अपनी यात्रा के दूसरे चरण में जयशंकर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्द्धने सहित श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी से भी मुलाकात करेंगे। ये जानकारी विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दी है।
मालदीव में भारत समर्थित परियोजनाओं पर हस्ताक्षर
अपनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री मालदीव में द्विपक्षीय विकास सहयोग, ग्राउंड-ब्रेकिंग पर आधारित कई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और कई प्रमुख भारत-समर्थित परियोजनाओं से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे जो मालदीव के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान करेगी। भारत समय-समय पर मालदीव को सैन्य,आर्थिक और व्यापारिक सहायता देता रहा है। मालदीव में कई विकास परियोजनाओं में भारत की व्यापक हिस्सेदारी रही है।
भारत-श्रीलंका साझेदारी और कदमों के संपूर्ण सरगम पर चर्चा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की श्रीलंका यात्रा जनवरी 2021 और मार्च 2022 में श्रीलंका की उनकी पिछली यात्राओं के बाद होगी। श्रीलंका भारत का एक करीबी दोस्त और पड़ोसी है। हर परिस्थितियों भारत प्रत्येक समय श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहा है।यात्रा के दौरान विदेश मंत्री श्रीलंका में अपने समकक्ष श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी के साथ घनिष्ठ भारत-श्रीलंका साझेदारी और कदमों के संपूर्ण सरगम पर चर्चा करेंगे और इसे हर क्षेत्र में मजबूत करने की कार्यविधियों पर मंथन करेंगे।
ऐतिहासिक रहे हैं भारत और मालदीव के संबंध
भारत और मालदीव के सम्बद्ध ऐतिहासिक रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्री की पिछली यात्रा के दौरान मालदीव में नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एन्फोर्समेंट (NCPLE) का उद्घाटन किया गया था।भारत और मालदीव के बीच अड्डू रिक्लेमेशन एंड शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट (ARSPP) हेतु 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए हैं। अड्डू में एक ‘ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ का निर्माण भारत की मदद से किया गया है। यह सेंटर स्वास्थ्य, शिक्षा, मत्स्यपालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और बहुत से भारतीय वहाँ रोजगार के लिये जाते हैं। अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी, ‘एफकॉन’ (Afcons) ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजना- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।भारत मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। महामारी संबंधी चुनौतियों के बावजूद वर्ष 2021 में, द्विपक्षीय व्यापार में उस से पिछले वर्ष की तुलना में 31% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
श्रीलंका का सबसे भरोसेमंद पड़ोसी रहा है भारत
भारत श्रीलंका का निकटतम पड़ोसी है। दोनों देशों के बीच संबंध 2,500 साल से अधिक पुराना है और दोनों पक्षों ने बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं भाषायी सहयोग की विरासत का निर्माण किया है।भारतीय आवास परियोजना (Indian Housing Project) भारत सरकार द्वारा श्रीलंका को विकासात्मक सहायता देने के लिये प्रमुख परियोजना है। इस परियोजना के तहत गृहयुद्ध से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों तथा चाय बागान क्षेत्रों के श्रमिकों के लिये 50,000 घरों का निर्माण करना है।भारत और श्रीलंका संयुक्त सैन्य अभ्यास (मित्र शक्ति- Mitra Shakti) और नौसेना अभ्यास (स्लीनेक्स- SLINEX) का आयोजन करते हैं। हाल ही में 41 वर्षों के अंतराल के बाद भारत के चेन्नई शहर से श्रीलंका के जाफना के लिये उड़ान सेवा फिर से शुरू हुई जिसे श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दौरान बंद कर दिया गया था।पिछले वर्ष श्रीलंका के आर्थिक संकट के समय स्तिथियों को संतुलित करने के लिए भारत की भूमिका अद्वितीय रही। भारत ने श्रीलंका की बिगड़ती हालत को संभालने और देश के अंदर व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए आर्थिक,खाद्यान और कई स्तरों पर श्रीलंका की सहायता की थी, जिसके लिए श्रीलंका ने भारत को बेहद कृतज्ञता से धन्यवाद दिया था। संकट के समय दुनिया के अन्य देश जब श्रीलंका की स्तिथियों पर ध्यान नहीं दे रहे रहे थे तब उस समय भारत ने एक भरोसेमंद और एक जिम्मेदार पड़ोसी के रूप में अपना कर्तव्य निभाया था।मालदीव और श्रीलंका दोनों हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसी हैं और पीएम मोदी की पहल “सभी के लिए सुरक्षा और विकास” यानि सागर पहल और ‘पड़ोसी प्रथम’ में एक विशेष स्थान रखते हैं। विदेश मंत्री की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि भारत, मालदीव और श्रीलंका के साथ अपने घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों को कितना महत्व देता है।
आइए जानते हैं कि भारत की ‘सागर पहल’ और ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति क्या है
सागर पहल
“सभी के लिए सुरक्षा और विकास” (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) वर्ष 2015 में पीएम मोदी की मॉरीशस यात्रा के दौरान नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने के लिये गढ़ा गया एक सिद्धांत है। यह एक समुद्री पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र को प्राथमिकता देती है। यह विश्व के सभी देशों की नौ सेनाओं और समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग को तेज करने के लिये सहयोग प्राप्त करने का एक मंच है। भारत के संपूर्ण क्षेत्र के लिये सुरक्षा प्रदाता की भूमिका निभाते हुए सागर पहल हिंद महासागर में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह पहल हिंद महासागर क्षेत्रीय सहयोग संघ (Indian Ocean Rim Association- IORA) के सिद्धांतों के अनुरूप है।
पड़ोसी प्रथम
‘पड़ोसी प्रथम नीति’ में भी भारतीय विदेश नीति में विद्यमान निरंतरता के तत्त्वों को कायम रखा गया है, जिसमें वैश्विक शांति, मित्रता एवं सौहार्दपूर्ण संबंधों पर बल प्रदान करते हुए गुजराल सिद्धांत की प्राथमिकता को स्वीकार लिया गया है।इसके तहत पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देते हुए उनके आर्थिक विकास तथा संवृद्धि में भागीदार बनने की प्रतिबद्धता को बल प्रदान किया गया है। इसी को आगे बढ़ाते हुए किसी देश के दल-विशेष को प्राथमिकता न देकर सभी दलों के साथ संबंधों को मधुर एवं प्रगाढ़ बनाने का प्रयास किया गया है। इसे अफगानिस्तान में शांति एवं स्थायित्व स्थापना के अंतर्गत आए भारतीय दृष्टिकोण के परिवर्तन के संदर्भ में देखा जा सकता है। भारत द्वारा पड़ोसी देशों को प्राथमिकता प्रदान करके उनकी आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप न करते हुए उनके यहाँ क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, निवेश को आगे बढ़ाया जा रहा है।