ई टेंडरिंग के विरोध मे मुख्यमंत्री का पुतला फूंका व सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
आर पी डब्लू न्यूज़/राजीव मेहता
यमुनानगर, 24 जनवरी:- ई टेंडरिंग के विरोध जिला यमुनानगर सरपंच संगठन ने मंगलवार को लघु सचिवालय के सामने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर सरपंचों ने अपनी मांगों को लेकर बताया कि सभी पंचायतें ई टेंडरिंग के खिलाफ है क्योंकि कई वर्षों से गांव के विकास कार्यों के लिए सरपंच को 20 लाख रुपये की राशि दी जाती थी। जो अब घटाकर 2 लाख रूपये कर दी गई है। इससे ठेकेदारी प्रथा को बढ़ाया मिलेगा और वह अपनी मनमर्जी से कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राइट टू रिकॉल का कानून सांसद और विधायक पर भी लागू हो। अन्यथा सरपंचों पर भी रद्द किया जाए। ई टेंडरिंग को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि संविधान के 73 वें संशोधन की 11वीं सूची के तहत 29 अधिकार व बजट पंचायतों को सीधे तौर पर दिए जाए। उन्होंने कहा कि सरपंचों का मानदेय बढ़ाया जाए। सरपंच का मानदेय 25 हजार रूपये और पंच का मानदेय 5 हजार किए जाए। सांसद और विधायक कई-कई लाखों रुपये मानदेय ले रहे है, अन्यथा उनका भी मानदेय रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि सरपंचों का टोल टैक्स माफ किया जाए क्योंकि गांव के कार्य को लेकर कई बार आना जाना पड़ता है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती तो हम सरकार के किसी भी कार्य में सहयोग नही करेंगे। और अपना आंदोलन जारी रखेंगे।इस मौके पर जिले भर की पंचायतों के सरपंच और पंच भी पहुंचे।नागर, 24 जनवरी। ई टेंडरिंग के विरोध जिला यमुनानगर सरपंच संगठन ने मंगलवार को लघु सचिवालय के सामने मुख्यमंत्री का पुतला फूंका और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस मौके परसरपंचों ने अपनी मांगों को लेकर बताया कि सभी पंचायतें ई टेंडरिंग के खिलाफ है क्योंकि कई वर्षों से गांव के विकास कार्यों के लिए सरपंच को 20 लाख रुपये की राशि दी जाती थी। जो अब घटाकर 2 लाख रूपये कर दी गई है। इससे ठेकेदारी प्रथा को बढ़ाया मिलेगा और वह अपनी मनमर्जी से कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राइट टू रिकॉल का कानून सांसद और विधायक पर भी लागू हो। अन्यथा सरपंचों पर भी रद्द किया जाए। ई टेंडरिंग को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि संविधान के 73 वें संशोधन की 11वीं सूची के तहत 29 अधिकार व बजट पंचायतों को सीधे तौर पर दिए जाए। उन्होंने कहा कि सरपंचों का मानदेय बढ़ाया जाए। सरपंच का मानदेय 25 हजार रूपये और पंच का मानदेय 5 हजार किए जाए। सांसद और विधायक कई-कई लाखों रुपये मानदेय ले रहे है, अन्यथा उनका भी मानदेय रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि सरपंचों का टोल टैक्स माफ किया जाए क्योंकि गांव के कार्य को लेकर कई बार आना जाना पड़ता है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती तो हम सरकार के किसी भी कार्य में सहयोग नही करेंगे। और अपना आंदोलन जारी रखेंगे।इस मौके पर जिले भर की पंचायतों के सरपंच और पंच भी पहुंचे।