
आर पी डब्लू न्यूज़/धर्मेंद्र अदलखा
स्मार्ट सिटी तो दूर की बात, शहर जैसा ही नहीं लगता अलवर
मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम हमारा अलवर शहर
अलवर,जनवरी 24:-अलवर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा पिछले साल बजट में सीएम अशोक गहलोत ने की थी। उस स्मार्ट सिटी में स्मार्ट काम तो दूर की बात यहां तो मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग भटक रहे हैं। अलवर शहर में आए दिन पानी के लिए लोग संघर्ष कर रहे हैं। सडक़ों की हालत खराब है तो वहीं सफाई की दुर्दशा हो रही है। इन सबके चलते अलवर शहर अब कस्बा लगने लगा है।प्रधानमंत्री ने देखा स्मार्ट सिटी बनाने का सपना-शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक स्मार्ट सिटी का कॉन्सेप्ट लाए थे। जून 2015 में शुरू की गई केंद्र की स्मार्ट सिटी योजना से दो साल में राजस्थान के कोटा, उदयपुर, अजमेर व जयपुर चार शहरों को ही जोडा गया था। इन शहरों में काम भी चल रहा है।राज्य सरकार की योजना सीएम गहलोत ने राजस्थान स्मार्ट-सिटी योजना की घोषणा की थी इसमें जोधपुर, बीकानेर, भरतपुर, अलवर, भीलवाड़ा और चितोडग़ढ़ को शामिल कर दिया। यहां 1500 करोड़ रूपए खर्च कर विकास कार्य किए जाने थे। राजस्थान के 10 बड़े शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है। स्मार्ट सिटी बनाने का काम बस कोटा शहर में ही हो पाया।कोटा के बीजेपी विधायक भवानी सिंह राजावत ने आरोप लगया था कि शहर को स्मार्ट बनाने वाले कार्यों में बजट का दुरुपयोग किया जा रहा है।अलवर स्मार्ट नहीं बना और ना ही अच्छा शहर-अलवर. बजट के अभाव में यह स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा अभी मूर्तरूप नहीं ले सकी है। अलवर जिला राज्य व केन्द्र सरकार को जीएसटी के रूप में बड़ा राजस्व देता है, लेकिन सौगात मिलने की बारी आने पर अलवर को पीछे धकेल दिया जाता है। राज्य सरकार की ओर से अलवर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की घोषणा पर 500 से 700 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है, जबकि इससे कई गुना ज्यादा राजस्व हर साल अलवर जिला राज्य सरकार को देता रहा है। सरकार अलवर से मिलने वाले राजस्व का कुछ हिस्सा स्मार्ट सिटी के लिए स्वीकृत कर दे तो जल्द ही अलवर प्रदेश के सुविधायुक्त शहरों में शामिल हो सकता है।बजट ही नहीं मिला-राज्य सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी घोषणा के करीब एक साल बाद तक बजट की स्वीकृति नहीं मिल सकी है। स्मार्ट सिटी के तहत अलवर शहर में कराए जाने वाले कार्यों के प्रस्ताव राज्य सरकार को यूआईटी पहले ही भिजवा चुकी है। अभी इन प्रस्तावों पर सरकार की मुहर नहीं लग सकी है। इस कारण बजट भी स्वीकृत नहीं हो सका है।ये बनना था स्मार्ट सिटी मेंस्मार्ट सिटी के लिए सरकार को भेजे गए प्रस्तावों में शहर के प्रमुख रोड कटी घाटी से हसन खां मेवात नगर तक, काशीराम चौराहे से नमन होटल तक, भवानी तोप चौराहे से शांति कुंज, कालीमोरी होते रेलवे स्टेशन तक, धोबी गट्टा से दौ सो फीट बाइपास तक रोड को चौड़ा किया जाना है। इन रोड पर बिजली की लाइन को अंडर ग्राउंड करना है, जिससे सडक़ के ऊपर से तारों का जाल हट सके। इसके अलावा नंगली सर्किल व बिजलीघर चौराहे के बीच से अंबेडकर चौराहे से आगे जैन भवन वाले कट तक एलिवेटेड रोड का निर्माण प्रस्तावित किया गया है। वहीं अलवर के कंपनी बाग में डबल बेसमेंट पार्किंग, सामान्य चिकित्सालय और तांगा स्टैण्ड पर मल्टी स्टोरी पार्किंग निर्माण का प्रस्ताव है। इसके अलावा ऐतिहासक जलाशय सागर का सौंदर्यीकरण, अलवर शहर के लिए मास्टर ड्रेनेज प्लान का प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं सडक़ के दोनों ओर बने नालों को अंतिम छोर तक ले जाकर सडक़ को चौड़ा करने का प्रस्ताव भेजा गया है।बजट ही नहीं आयायह पूरा मामला राज्य सरकार है। यूआईटी को बजट मिलेगा तो स्मार्ट सिटी का काम शुरू हो सकेगा। हम इस पर बजट आते ही काम शुरू कर देंगे– जितेन्द्र सिंह नरुका, सचिव, यूआईटी, अलवर।