24 जनवरी : अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस, जानिए क्या है इसका इतिहास और उद्देश्य

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली,जनवरी 24:-शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को सभ्य एवं ज्ञानवान बनाता है और मनुष्यों को पशुओं से अलग करता है। इसीलिए शिक्षा दुनिया के हर मनुष्य की एक ताकत है। वैश्विक स्तर पर शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने और सभी तक शिक्षा की पहुच बनाने कि लिए 24 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जा रहा है। यूनेस्को ने वर्ष 2023 के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम की घोषणा की है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम ‘टू इन्वेस्ट इन पिपुल, प्राइओरिटाइज एजुकेशन’ है। आज हम अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के अवसर पर इस दिवस के इतिहास और इसके उद्देश्य पर चर्चा करते हैं….
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का उद्देश्य
दुनिया भर के गरीब और वंचित बच्चों को मुफ्त और बुनियादी शिक्षा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। दुनिया में शिक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करने और शिक्षा की महत्ता को बताने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। जबकि शिक्षा समृद्धि का एक ऐसा साधन है जिससे हर किसी का बौद्धिक, आर्थिक और सामाजिक विकास होता है, इसलिए शिक्षा सभी के लिए जरुरी है। दुनिया के तमाम ऐसे देश आज भी है ऐसे है जहां बच्चों को समुचित शिक्षा नही मिल पाती है। इस अवसर पर शिक्षा के सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर कई ग्लोबल इवेंट्स का आयोजन किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का प्रस्ताव पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में 3 दिसंबर 2018 को पारित किया गया था। इसके बाद शांति और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए UN महासभा ने हर साल 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया। उसी दिन UN के 58 अन्य सदस्य देशोंं द्वारा ‘इंटरनेशनल डे ऑफ एजुकेशन’ को अपनाया गया। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 24 जनवरी 2019 को मनाया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के सभी लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक करना और बुनियादी शिक्षा से परिचित कराना है। इस दिन विश्व स्तर पर जीवन में शिक्षा के महत्व का प्रचार – प्रसार किया जाता है। आज के युग में अफगानिस्तान और अफ्रीकी देश के कुछ लोग शिक्षा से वंचित है। इन्हीं सब वजहों से सभी तक शिक्षा को पहुचाने के लिए पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। 2019 से हर साल यूनेस्को 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम की घोषणा करता है।
भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली
भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली प्राचीन शिक्षा प्रणाली से कही अलग हो गई है। तकनीकी और बुनियादी शिक्षा के लिए वर्तमान में भारत में नई शिक्षा नीति 2002 लागू की गई है। इसके तहत बच्चों को कौशलपूर्ण शिक्षा प्रदान की जाएगी। आज भारत की शिक्षा व्यवस्था की चर्चा वैश्विक मंच पर की जाती है। भारत में जरूरतमंद बच्चों को बुनियादी पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दिया जाता है ताकि वह पढ़ाई जारी कर सकें। भारत की शिक्षा व्यवस्था वौश्विक स्तर की ओर बढ़ रही है। वर्ष 2011 की जनगणना के आकड़ों के अनुसार देश की कुल साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत है। भारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मुख्य रुप से महिला साक्षरता की तरफ विशेष ध्यान दिया गया है। महिला के साक्षर होने से पूरे समाज का विकास होता है। क्यों कि किसी भी देश के विकास का स्तर उस देश के शैक्षिक एवं बौद्धिक स्तर से मापा जा सकता है। भारत में मुख्य रुप से तकनीकी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है।
भारत में शिक्षा का अधिकार मौलिक आधिकार
भारत में सभी तक तकनीकी और जरुरी शिक्षा पहुचाने के लिए शिक्षा के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है। वर्ष 2002 में 86वें संवैधानिक संशोधन से शिक्षा के अधिकार को संविधान के भाग- III में एक मौलिक अधिकार के तहत शामिल किया गया है। इसे अनुच्छेद 21A के अंतर्गत जोड़ा गया है। इसके तहत 6-14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है। इसके एक अनुवर्ती कानून शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 का भी प्रावधान किया गया है।