
चंडीगढ़/कैथल, 17 मार्च (सुशील शर्मा )
पर्यावरण की सुरक्षा के दृष्टिगत नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (राष्ट्रीय हरित अधिकरण ) की गाईडलाईन की पालना करें सभी विभागों के अधिकारी
पर्यावरण की सुरक्षा होना चाहिए हम सबका ध्येय
ठोस, तरल कचरा प्रबंधन ई-वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था को सुचारू रूप से कार्य रूप में परिणत करें अधिकारी :- चेयरमैन एनजीटी मॉनिटरिंग कमेटी प्रीतम पाल सिंह
जिला पर्यावरण योजना को लक्ष्य अनुसार पूरा करने के साथ-साथ किए गए कार्यों की समीक्षा भी करते रहें अधिकारी
किए गए कार्यों की अपडेशन किया जाना भी अति अनिवार्य
कब, किस विषय को लेकर, कितना कार्य किया गया, इसे भी वर्णित करें अधिकारी :- उर्वशी गुलाटी, सदस्य एनजीटी मॉनिटरिंग कमेटी एवं पुर्व मुख्य सचिव।
कैथल राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन एवं रिटायर्ड जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि पर्यावरण की स्वच्छता हम सबके लिए अति अनिवार्य है। जिला प्रशासन द्वारा आयोजित होने वाली बैठकों में पर्यावरण की स्वच्छता का जिक्र होने के साथ-साथ उन संस्थाओं पर एक्शन भी होना चाहिए, जो एनजीटी की गाईडलाईन का पालन नहीं करते। जस्टिस प्रीतमपाल सिंह स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में आयोजित बैठक अधिकारियों को एनजीटी की गाईडलाईन के विषयगत चल रहे कार्यों और किए गए कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। चेयरमैन प्रीतम पाल ने कहा कि सभी सार्वजनिक स्थानों पर सफाई व्यवस्था न केवल करनी चाहिए बल्कि नजर भी आनी चाहिए। बस अड्डे, रेलवे स्टोशनों के साथ-साथ सभी सार्वजनिक स्थानों पर सफाई व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है तभी तो पर्यावरण स्वच्छ रहेगा।
मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन ने कहा कि जिला में प्रवेश करते ही स्वच्छता का पैमाना नजर आना चाहिए। एनजीटी की गाईडलाईन की अनुपालना के दृष्टिगत सिविल सर्जन से मैडिकल वेस्ट मैनेजमेंट संबंधी विषय पर किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की तथा कहा कि मैडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की जिला में किस प्रकार से व्यवस्था की जा रही है। इस विषय को लेकर सिविल सर्जन ने कहा कि जिला के सभी सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों को एनजीटी की गाईडलाईन की पालना के लिए पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं तथा मैडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर समय-समय पर समीक्षा भी की जाती है ताकि पर्यावरण की स्वच्छता बेहतर बनाई जा सके।
बैठक में वन अधिकारी को पूछा गया कि जिला में पर्यावरण के दृष्टिगत कितने पौधे लगाए गए और लगाए गए पौधों के संरक्षण और सवंर्धन के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं और उपलब्धि क्या रही है। बैठक में उपस्थित फोरेस्ट अधिकारी ने बताया कि जिला में लगभग 10 लाख विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए गए हैं, जिनमें से 4 लाख पब्लिक में बांटे गए और कुछ पौधे किसानों के मेढों पर लगाए गए । लगाए गए पौधों की सुरक्षा के दृष्टिगत समय-समय पर समीक्षा भी की गई। इसके दृष्टिगत विभाग की अचीवमेंट 90 प्रतिशत के करीब रही।
जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा के दौरान उन्होंने पानी की गुणवत्ता, एसटीपी व्यवस्था और सप्लाई चेन के बारे में जानकारी ली। जन स्वास्थ्य विभाग के अधीक्षक अभियंता ने बताया कि जिला में 6 एसटीपी प्लांट कार्यरत हैं तथा 7वें की प्रक्रिया जारी है। कैथल शहर में तीन एसटीपी हैं, जिनकी क्षमता 30 एमएलडी तक हैं और पानी की गुणवत्ता का ध्यान रखने के लिए समय-समय पर जांच करवाई जाती है। बैठक में प्रैसर होर्न पर प्रतिबंध लगाने और जो लोग ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है। मौके पर उपस्थित डीएसपी कुलवंत सिंह ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण करने वाले लोगों के चालान किए जाते हैं। चेयरमैन ने समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि जो वाहन चालक विशेषकर ट्रक वाले प्रैसर होर्न का प्रयोग करते हैं, तो तुरंत प्रभाव उनके चालान किए जाएं। ध्वनि प्रदूषण रोकने के बोर्ड अस्पतालों, स्कूलों तथा संबंधित सार्वजनिक स्थानों के बाहर लगवाए जाएं ताकि ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके।
उन्होंने बैठक में यह भी कहा कि जो परियोजनाएं चल रही हैं उनके कंपलीट होने की तिथि बैठक में रखे गए एजैंडे में अवश्य लिखें। जल शक्ति अभियान के तहत समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए सभी कार्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे जल संरक्षण तो होगा ही तथा जमीन के नीचे का जल स्तर अपेक्षाकृत बेहतर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के लिए माईक्रो इरिगेशन की व्यवस्था को भी क्षेत्रानुसार अमली जामा पहनाएं। प्लोस्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और बायो मैडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था की सुचारू होनी चाहिए। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि एजैंसी के माध्यम से काम किया जा रहा है।

एनजीटी द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी की सदस्य और पूर्व मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी ने कहा कि समूचे जिला में पर्यावरण प्रबंधन व्यवस्था बेहतर करने के लिए सांझे प्रयास जरूरी हैं। हमारे प्रयास धरातल पर दिखने चाहिए तभी पर्यावरण को अपेक्षाकृत बेहत्तर बनाया जा सकेगा। एनजीटी की गाईडलाईन की पालना ही पर्यावरण के पायदान और दहलीज को मजबूत बनाती है। इसलिए निर्धारित गाईडलाईन पर काम करते रहना चाहिए। ठोस और तरल कचरा प्रबंधन के साथ-साथ डोर टू डोर कूड़ा कर्कट का उठान भी सुचारू रूप से हो। इस कार्य में सरकारी मशीनरी के साथ-साथ समाजसेवी संस्थाओं और एच्छिक संगठनों का भी सहयोग लेते रहना चाहिए।
विभिन्न बिंदुओं की समीक्षा में उन्होंने कई विभागों के अधिकारियों से सवाल भी पूछे और कुछ विषयों के धरातल पर न हीं होने के चलते चिंता व्यक्त की तथा कहा कि हमें केवल कागजों की औपचारिकता में बंधकर नहीं रहना है बल्कि विषयगत सतर्क और सावधान रहकर अपनी डयूटी का निर्वहन करना होगा तभी हम एनजीटी के नियमों का सुचारू रूप से आगे बढ़ा सकेंगे। रैजिडेंट वैल्फेयर एसोसिएशन अच्छा काम करती है। पर्यावरण की सुरक्षा के दृष्टिगत यह एसोसिएशन भी फ्रंट फुट प बेहतर काम कर सकती हैं। इनका भी सहयोग लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किए गए कार्यों को अपडेट करते रहें साथ ही समय-समय समीक्षा भी करते रहें। कमेटी द्वारा सभी विभागों के कार्यों की बिंदुवार समीक्षा की गई। इस मौके पर एनजीटी के तकनीकी विशेषज्ञ बाबू राम ने भी सभी विभागों के तहत चल रहे कार्यों बारे बिंदुवार जानकारी हासिल की।
इस मौके पर संवर्तक सिंह, एसडीएम मनीष लोहान, सीटीएम गुलजार अहमद, डीएमसी कुलधीर सिंह, सीईओ जिला परिषद सुरेश राविश, अतिरिक्त सीईओ अमित कुमार, अधीक्षक अभियंता जितेंद्र गोस्वामी व अशोक खंडुजा, डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह, कृषि उप निदेशक डॉ. कर्मचंद, डीडीपीओ कंवर दमन सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे
मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन ने सामाजिक परिवेश में झांकते हुए कहा कि हमारे समाज में माता-पिता और गुरू का बहुत बड़ा स्थान है। धरती को माता और पानी को पिता और हवा को गुरू के रूप में चरितार्थ किया गया है। इसलिए जिस प्रकार हम माता-पिता और गुरू का ध्यान रखते हैं, उसी प्रकार पर्यावरण की स्वच्छता की दृष्टिï से हमें धरती, पानी और हवा की स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए।
बैठक में मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन प्रीतमपाल सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ पोल्ट्री फार्म ऐसे हैं जो अपनी वेस्ट को नदी-नालों या फिर रजबाहों इत्यादि में डाल देते हैं। इतना ही नहीं वेस्ट को पीने के पानी में भी डालने की शिकायत आती रहती है। ऐसे पोल्ट्री फार्मों के मालिकों को नोटिस दिए जाएं और यदि वे फिर भी गाईडलाईन की पालना नहीं करते तो उनके पोल्ट्री फार्म सीज कर दिए जाएं। इस विषय को लेकर संबंधित अधिकारी और पशुपालन विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली तो अधिकारियों ने कहा कि गाईडलाईन अनुसार पोल्ट्री फार्म के मालिकों को समय-समय पर हिदायतें भी दी जाती है और नोटिस भी दिए जाते हैं।