चंडीगढ़ 5अप्रैल
आज कल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा जी और उनके सांसद पुत्र प्रेस वार्ता करते घुम रहे हैं कि भाजपा की मनोहर सरकार को कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के पश्चात पुरानी पेंशन योजना को लागू करना चाहिए क्योंकि उनके अनुसार वो कर्मचारियों के लिए ज़्यादा उपयोगी है । जानकारी के लिए यहां ये बताना जरूरी है कि 01-01-2006 को पुरानी पेंशन योजना को बंद कर, वर्तमान पेंशन योजना को लागू करने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा साहब खुद ही थे, जिन्होंने पुरानी पेंशन योजना को बंद किया था, क्योंकि तब ये व्यय उनको बजट पर भारी लगता था । उनके मुख्यमंत्री काल के अंतिम वर्ष में कर्मचारियों की पेंशन पर खर्च 4159 करोड़ और वेतन पर 11292 करोड़ (2013-14) था जबकि मनोहर सरकार पेंशन पर 11201 करोड़ और वेतन पर 28001 करोड़ ₹ खर्च कर रही है जो बजट का लगभग 22% है ।
हुड्डा जी के द्वारा नयी पेंशन योजना लागू करने के बाद
अगले 9 साल तक मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी उनको इस बात का भान नहीं हुआ कि अपने हाथों उन्होंने कर्मचारियों के साथ पाप किया! अब सोचने वाली बात यह है कि ये ज्ञान उनको विपक्ष में रहते हुए ही क्यूं आया! हुड्डा साहब कहाँ से लाते हो आप इतना दौगला पन । अगर आपने एक अच्छा कदम उठाया था तो खुल कर कहो कि आपका निर्णय कर्मचारियों और प्रदेश के हित में था । राजनीति में विरोध करते समय कम से कम इतना तो याद रखिए कि आप स्वयं के द्वारा ही स्थापित व्यवस्था का ही विरोध कर रहे हो ।