आर पी डब्लू न्यूज़/ राहुल हथो
जींद/नरवाना, 5 सितंबर :- प्रेम के वश में परमात्मा भी है। परमात्मा को पाने के लिए अनेक साधन शास्त्रों में वर्णित हैं। यह व्यक्तव्य श्री सिद्धि विनायक सेवा समिति द्वारा नरवाना के हुडा ग्राउंड में करवाई जा रही श्री भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक आचार्य राजेन्द्र जी महाराज ने श्रद्धालुओं को देते हुए कहे। राजेन्द्र महाराज ने कहा कि योग, यज्ञ, उपवास, संकीर्तन आदि अनेक साधनों को साधकर परमात्मा प्राप्ति की जा सकती है। परंतु इन साधनों में से सर्वोत्तम साधन प्रेम है। प्रेम परमात्मा का ही प्रतिरूप है। जहां प्रेम है, वहां सब कुछ है। परंतु वासना, चाहना, इच्छा रहित, निश्छल तथा निष्कपटता का त्याग कर विशुद प्रेम के बन्धन में परमात्मा का दर्शन करना आज की स्थिति में असंभव है। गोपियों ने योग व यज्ञ को किनारे कर अपने प्रियतम श्री कृष्ण को विशुद प्रेम के द्वारा वशीभूत किया। प्रेम में देना ही देना है। पाने की इच्छा लेश मात्र भी नहीं रखनी चाहिए। गोपी और ग्वालों के प्रेम के वश में श्री कृष्ण अपना सर्वस्व समर्पित करके उनके अपने हो गए। उन्होंने नन्दोत्सव, पूतना उद्धार, माखन चोरी, तथा गोवर्धन लीला का समन्वय करते हुए कहा कि भगवान ने प्रेमभाव से गोपियों के यहां जाकर माखन खाया। समिति प्रधान कैलाश सिंगला व संयोजक विनोद मंगला ने बताया कि मनु गुप्ता ने कथा सुनने आए श्रद्धालुओं को 56 भोग का प्रसाद वितरित किया। भागवत कथा में प्रेम की महत्ता को सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गए। शहर की धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं साईं परिवार, बांके बिहारी, दुर्गा मंदिर, पंजाबी धर्मशाला, नारायण सेवा संस्थान, भगवती क्लब, सालासर सेवा समिति, सनातन धर्म मन्दिर के सदस्यों को आचार्य जी ने आशीर्वाद दिया। यजमान की भूमिका सुशील गोयल, नवींद्र, ओमप्रकाश गोयल, खजांची गोयल, शशीकांत शर्मा, राम जी, संजीव, अनिल, देवीराम गर्ग, संजय बांगड़ डीएसपी आदि ने निभाई।