
पंचकुला— भारत देश पीरों , फकीरों , गुरुओं ओर देवी – देवताओं की धरती है । इस देश में हर धर्म के लोग अपनी एकता और भाईचारे से विश्व भर मैं अपना स्थान बनाये हुए हैं । भारत देश पर राज्य करने के लिये कई बार हमले हुए पर हर बार देश की एकता और आपसी भाईचारे के कारण दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी । यह बात देश की जानी मानी प्रसिद्ध समाज सेविका वर्षा वर्मा ने एक प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही ।
उन्होंने कहा आज देश जिन कठनाइयों से गुजर रहा है उसका कारण सन्त समाज की अनदेखी ओर प्रभु चिंतन की ओर ध्यान ना देना है । हम लोग अगर देश का इतिहास उठा कर देखे तो हिंन्दू धर्म मे हमारे चार ग्रँथ है जिनका हमारे जीवन के चार पड़ाव पर आधारित है । इसमें बचपन , जवानी , परिवारिक ओर वृद्ध अवस्था इन चार ग्रँथों का समय समय पर हमारे जीवन पर हमें मार्ग दर्शक बनाता है ।
वर्षा वर्मा ने कहा कि हिन्दू धर्म मे गाय को गाय माता के नाम से पुकारा जाता है । लेकिन आप सब को शायद इस बार की जानकारी नही है । इसी बात को जानने के लिये अमेरिका के वैज्ञानिकों ने सभी देश की गायों को इकठ्ठा किया और उन्हें मध्यम जहर देना शुरू किया । जब उनके दूध की जांच की गई तो सभी गाय के दूध में जहर निकला लेकिन भारत देश की मात्र एक ऐसी गाय निकली जिसके दूध में जहर नहीं था । तब वैज्ञानिकों ने भारत देश की गाय को जहर की मात्रा बढ़ानी शुरू कर दी मगर उस गाय के दूध से जहर नही निकला । जिस पर सभी वैज्ञानिक हैरान हो गये की आखिर जो जहर हम गाय को दे रहे हैं आखिर वो जहर गया तो गया कहा । जिस पर जब उस गाय का जहर पता लगाने के लिये जांच की गई तो वो सारा जहर गांय के कण्ठ में था । यह बात इसलिये साबित होती है कि गाय को पता था कि उसका दूध उसके बछड़े ने पीना होता है तो कोई मां अपने बच्चे को जहर कैसे दे सकती है इसलिये गांय ने सारा जहर अपने कंठ पर रख लिया । माँ सुमाता हो सकती है कुमाता नहीं । ये हमारे देश का इतिहास है जो साबित करता है कि सन्तो , गुरुओं ओर देवी देवताओं की पूजा हमारे लिये क्यों पूजनीय है ।
समाज सेवी वर्षा वर्मा ने कहा कि आज देश 21वी शताब्दी की ओर जा रहा है । जिसमे हम अपने इतिहास , धर्म को भूलते जा रहे हैं अपने बच्चों को अपने धर्म का ज्ञान नही दे पा रहे । समाज एक दूसरे के खून का प्यासा बना बैठा है । नारी के सम्मान को हम तार तार कर रहे हैं । देश का राजा सब देश के हालात को देखते हुए भी आंखे बंद किये हुए हैं । सन्तो का सम्मान हम भूल चुके हैं । क्या ये है 21वीं शताब्दी ?
उन्होंने कहा कि वक़्त के हिसाब से बदलना बुरी बात नही है मगर अपने धर्म , संस्कृति , इतिहास , बुजुर्गों की सेवा , नारी सम्मान व साधु संतों को नतमस्तक करना हमारा प्रथम कर्तव्य है । देश के उज्ववल भविष्य के लिये हमें अपने बच्चों को अपने धर्म के प्रति जागरूक करना और सबका सम्मान करना अति आवश्यक है ।