पौराणिक नगरी ‘वृंदावन’ में बनेगा देश का सबसे बड़ा ‘सिटी फॉरेस्ट’
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
वृन्दावन जनवरी 2:-पौराणिक नगरी ‘वृंदावन’ में बनेगा देश का सबसे बड़ा ‘सिटी फॉरेस्ट’उत्तर प्रदेश के मंदिरों के शहर ‘वृंदावन’ में देश का सबसे बड़ा ‘सिटी फॉरेस्ट’ बनाया जा रहा है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का जिम्मा उत्तर प्रदेश सरकार के कंधों पर है। उत्तर प्रदेश सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। उन्हीं के मार्गदर्शन में स्थानीय जिला प्रशासन, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण और वन विभाग द्वारा सामूहिक रूप से प्रयास किया जा रहा है।राधा रानी की भूमि पर विकास कार्य शुरूवृंदावन के ग्राम सुनरख के पास 130 हेक्टेयर भूमि पर वन विभाग द्वारा ‘सौभरि शहर वन’ विकसित किया जा रहा है। राधा रानी की इस पावन धरा से अब देश को सबसे बड़ा ‘सिटी फॉरेस्ट’ मिलेगा। सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना सौभरि शहर वन का काम स्थानीय जिला प्रशासन, उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ विकास परिषद, मथुरा-वृन्दावन विकास प्राधिकरण और वन विभाग द्वारा सामूहिक रूप से किया जा रहा है।रोपे जाएंगे 76 हजार पौधेवृंदावन के सुनरख, आटस ग्राम और जहांगीरपुर खादर को मिलाकर 130 हेक्टेयर जमीन 10 वर्ष के लिए वन विभाग को दी गई है।
यहां वन विभाग द्वारा 76 हजार से अधिक पौधे लगाकर वन बनाया जा रहा है। सौभरि नगर वन में दो चरण में काम हो रहा है। यहां प्रथम चरण में 123 हेक्टेयर में 76,875 पौधे वन विभाग द्वारा लगाए गए हैं। इन पौधों में पाखर, पीपल, जामुन, शीशम, आमला, नीम, अर्जुन, बरगद, आम, जामुन आदि के पौधे है। उम्मीद की जा रही है कि यह अगले साल तक काफी बड़े हो जाएंगे। इस वन में ब्रज के पौराणिक महत्व के करीब 25 प्रकार के वृक्ष इस वन में लगाए गए हैं। यह शहर वन तीन किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।पर्यटकों के लिए बनेगा आकर्षण का केंद्रआने वाले वक्त में इसे ऐसा रूप दिया जाएगा कि यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। इसे पार्क का रूप दिया जाएगा, जिससे यहां पर श्रद्धालु एवं पर्यटक आकर घूम सकें। यहां पर जॉगिंग ट्रैक, बच्चों के लिए झूले एवं अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसका कार्य पूरा होने के पश्चात् आम लोगों के लिए इस वन को खोल दिया जाएगा।मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा पौधों के रख-रखाव के लिए चयनित स्थल पर प्रजाति वार ब्लॉकों की कांटेदार तारों से बाड़बंदी की जाएगी। इसके अलावा चयनित स्थल पर खम्भों पर कांटेदार तार से घेराबंदी करके चार वॉच टावर भी बनाए जा रहे हैं।बंदरों की समस्या से भी मिलेगी निजातइस परियोजना से ईको रेस्टोरेशन, स्थानीय पर्यावरण स्थल का विकास होगा साथ ही बंदरों की समस्या से भी निजात मिलेगी। भविष्य में इसी वन में बंदरों के रखने की व्यवस्था की जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि मथुरा-वृंदावन में विकसित होने वाला यह सौभरि शहर वन देश का सबसे बड़ा शहर वन होगा। मथुरा वृंदावन में अभी तक बंदरों के लिए कोई अनुकूल जगह नहीं थी जिसकी वजह से बंदर शहरवासियों और यहां आने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटकों के लिए परेशानी का सबब बन रहे थे। ऐसे में प्राकृतिक वातावरण मिल जाने के इस समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है।इस स्थान का है पौराणिक महत्वसौभरि शहर वन के लिए चयनित परियोजना स्थल के एक ओर कोसी ड्रेन और दूसरी ओर यमुना नदी है। बीच का यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण की कालीयदह दमन लीला और सौभरि ऋषि की तपस्थली है। इस कारण चयनित क्षेत्र पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक रूप में भी काफी अहम है। सुनरख में आज भी सौभरि ऋषि का आश्रम है। विष्णु पुराण, देवी भागवत पुराण एवं श्रीमद् भागवत पुराण के नवम स्कंध के छठे अध्याय में सौभरि ऋषि के विषय में वर्णन भी है। वहीं वृंदावन का इतिहास भी बहुत पुराना रहा है।
इसका उल्लेख कई ग्रन्थों में मिलता है, जिसके बारे में जानना बेहद दिलचस्प होगा।वृन्दावन की प्राचीनतादरअसल, श्रीमद् भागवत में ‘वृन्दावन’ का उल्लेख नन्दादिगोपों द्वारा श्रीकृष्ण सहित गोकुल को छोड़कर वृन्दावन गमन करने के समय आता है, जहां श्रीकृष्ण द्वारा अनेकानेक अद्भुत लीलाएं की गई थीं। श्रीकृष्ण जी के प्रपौत्र ने समस्त लीला स्थलियों को प्रतिस्थापित किया तथा अनेक मन्दिर, कुण्ड एवं सरोवरों आदि की स्थापना की गई थी। सन् 1515 ई. में श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु वृन्दावन पधारे। इसके अतिरिक्त स्वामी हरिदासजी, श्री हित हरिवंश, श्री निम्बार्काचार्य, श्रीलोकनाथ, श्री अद्वेताचार्यपाद, श्रीमान्नित्यानन्दपाद आदि अनन्य अनेकों संत-महात्माओं ने वृन्दावन में निवास किया था। गुप्तकालीन महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य रघुवंश में कुबेर के चौत्ररथ नामक उद्यान से वृन्दावन की तुलना की हैं। 14वीं शताब्दी में वृन्दावन की विद्यमानता का उल्लेख अनेक जैन-ग्रन्थों में भी मिलता है।