
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
कश्मीर जनवरी 4:- गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त” अर्थात ‘धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं’… ये पंक्तियां कश्मीर की खूबसूरती को बयां करती हैं, जिसे कभी कवि अमीर खुसरो ने लिखी थी। कश्मीर को उसकी खूबसूरती और खानपान की विशिष्ट एवं समृद्ध परंपरा के लिए जाना जाता है। अमीर खुसरो ने अपनी जिन आंखों से कश्मीर की सुंदरता बयां की है, आज वो सुंदरता फिर से लौट रही है। चलिए, डालते हैं एक नजर तेजी से बदलते कश्मीर पर
पर्यटकों की रिकॉर्ड वृद्धि
जम्मू-कश्मीर में जिस तरह इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है, कनेक्टिविटी बढ़ रही है, उसने टूरिज्म सेक्टर को भी मजबूत किया है।यही कारण है कि जून-जुलाई 2022 तक सभी पर्यटन स्थल बुक हो चुके थे और जितने पर्यटक साल में नहीं आते उतने सैलानी कुछ ही महीनों में यहां पहुंच चुके थे और यही कारण है कि इस बार जम्मू-कश्मीर आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। 1 जनवरी 2022 से 21 दिसंबर 2022 तक लगभग 26 लाख टूरिस्ट्स ने कश्मीर का दौरा किया। सबसे ज्यादा कमाई करने वाले महीने अप्रैल (2.72 लाख लोग), मई (3.75 लाख लोग) और जून (3.33 लाख लोग) रहे, जबकि जनवरी में 62000, फरवरी में एक लाख और दिसंबर में 1.05 लाख टूरिस्ट आए।

आतंकी घटनाओं में कमी
मंत्रालय की ओर से जारी वर्षांत समीक्षा 2022 के मुताबिक जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में भारी कमी आई है। 2018 में जहां 417 मामले सामने आए थे, वहीं 2021 में यह घटकर 229 मामले रह गए। जबकि सुरक्षा बलों के शहीद होने के मामले में जहां 2018 में 91 दर्ज किए गए, वहीं 2021 में यह 42 पर आ गया।
रोजगार के अवसर बढ़े
अक्टूबर, 2022 में जम्मू-कश्मीर में 20 अलग-अलग जगहों पर 3 हजार युवाओं को सरकार में काम करने के लिए नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इन नौजवानों को PWD, स्वास्थ्य विभाग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग, पशुपालन, जलशक्ति, शिक्षा-संस्कृति जैसे विभिन्न विभागों में सेवा का अवसर मिला। आने वाले दिनों में दूसरे अन्य विभागों में भी 700 से ज्यादा नियुक्ति पत्र देने की तैयारी जोरों पर है।22 अक्टूबर, 2022 से देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित हो रहे ‘रोजगार मेले’ की यह एक कड़ी थी। इस अभियान के तहत केंद्र सरकार द्वारा पहले चरण में 10 लाख से ज्यादा नियुक्ति पत्र दिए जा रहे हैं। जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर जैसे विभिन्न राज्य भी इस अभियान से जुड़े हैं, ये संख्या और ज्यादा बढ़ने वाली है।
निवेश चार गुणा बढ़ा
जम्मू कश्मीर में पिछले तीन सालों में 56 हजार करोड़ रुपये के निवेश के आंकड़े को छू गया है, जिसमें 38 हजार करोड़ के विनिवेश के लिए जमीन मुहैया कराई जा चुकी है। जम्मू कश्मीर में विनिवेश करने वाली कंपनियों में प्रमुख नाम अपोलो, मेदांता, वरुण वेवरेजेज, दिव्याणी वेवरेजेज समेत कई नामचीन फाइबर ऑपटिक्स की कंपनियां हैं जो तकरीबन ढ़ाई लाख लोगों को रोजगार के लिए नए अवसर तैयार कर रही हैं। जम्मू कश्मीर में निवेश को लेकर आजादी के बाद के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2019 तक जम्मू कश्मीर में तकरीबन 14 हजार 7 सौ करोड़ रुपए का विनिवेश हो पाया था, यानि आजादी के बाद से 2019 तक जम्मू कश्मीर में जितना निवेश हुआ उसका लगभग चार गुणा सिर्फ तीन साल में हुआ।
कश्मीर तक ट्रेन कनेक्टिविटी
ट्रेन कनेक्टिविटी की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। कश्मीर तक राज्य के अन्य भागों तक ट्रेन कनेक्टिविटी की कोशिश जारी है। इंटरनेशनल फ्लाइट श्रीनगर से शारजाह के लिए शुरू हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर से रात में भी विमान उड़ान भरने लगे हैं। बेहतर कनेक्टिविटी के कारण जम्मू-कश्मीर के सेब किसान अब अपनी पैदावार को आसानी से बाहर भेज रहे हैं। फल उत्पादक किसानों को विशेष मदद देने के लिए केंद्र सरकार की नजर ड्रोन के माध्यम से ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने को लेकर भी है।
हर वर्ग पर फोकस
केंद्र सरकार का प्रयास है कि सरकार की योजनाओं का लाभ समाज के हर वर्ग तक बिना किसी भेदभाव के पहुंचे। स्वास्थ्य से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से यहां विकास हो रहा है। 2 नए एम्स, 7 नए मेडिकल कॉलेज, 2 स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और 15 नर्सिंग कॉलेज खुलने से यहां के लोगों नौजवानों, नौकरी-पेशा वालों के लिए और भी ज्यादा नए अवसर खुलेंगे। Holistic development के इस मॉडल से सरकारी नौकरी के साथ-साथ रोजगार के दूसरे विकल्प भी तैयार हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में शिक्षा से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के प्रयास भी लगातार जारी हैं।दूसरी तरफ कश्मीर में उत्तम क्वालिटी के सेब के रख-रखाव और दूध को प्रोसेस करने के लिए दुबई से बड़े पैमाने पर विनिवेश लाने की कोशिश जारी है। बड़ी कंपनियां जब कश्मीर में प्रोसेसिंग यूनिट खोलेंगी और स्थानीय प्रोडक्ट को प्रोसेस कर अन्य देशों में बेचेंगी तो राज्य में काम करने वाले लोगों को उनकी पैदावार की अच्छी कीमत मिलेगी, जिससे रोजगार पैदा होगा और उनका जीवन स्तर सुधरेगा।
इको फ्रेंडली इंडस्ट्री
जम्मू कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए राज्य में प्रोडक्शन फाइबर केबल यूनिट स लेकर, फॉर्मास्यूटिकल्स कंपनियों, सोलर पैनल,मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। बदले माहौल में काफी संख्या में जम्मू में फॉर्मास्यूटिकल्स कंपनियां विनिवेश करने आ रही हैं। कश्मीर में मेडिकल कॉलेज, एग्रोप्रोसेसिंग इंडस्ट्री, होटल्स, हॉस्पीटल्स और हॉर्टिकल्चर इंडस्ट्री को केंद्र सरकार बढ़ावा दे रही है। हालांकि इन इंडस्ट्रीज को लगाने को लेकर सरकार इस बात का विशेष ख्याल रख रही है कि घाटी की सुंदरता किसी तरह से प्रभावित न हो और राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ही इको फ्रेंडली इंडस्ट्री लगे।
आ रही पारदर्शिता
जम्मू और कश्मीर पहला ऐसा संघ शासित प्रदेश है, जिसका इंटीग्रेशन नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम से कर दिया गया है। सबकुछ निर्धारित समय के भीतर किए जाने का प्रावधान है। इससे व्यवस्था में पारदर्शिता आ रही है। आज राज्य में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वेयर हाउस और घरेलू कालीन उद्योग को प्रोमोट करने के लिए जीआई टैगिंग की सुविधा है। यही कारण है कि पिछले एक साल में कालीन का एक्सपोर्ट डेढ़ सौ करोड़ से बढ़कर 3 सौ करोड़ के आसपास पहुंच गया है।
मेडिसिटी
केंद्र सरकार राज्य में इंडस्ट्री, वैयर हाउस, रियल स्टेट, हाउसिंग, फिल्म, इंटरनेटमेंट और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में इंवेस्टमेंट को प्रोत्साहित कर रही है। 6000 बेड का एक मेडिसिटी भी तैयार किया जा रहा है।
20 हजार करोड़ की परियोजनाएं
अभी हाल ही में पंचायती राज दिवस पर पीएम मोदी ने 20 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। जनऔषधि केंद्र, भू स्वामित्व,गरीब और मिडिल क्लास को सस्ती दवाएं, सस्ता सर्जिकल सामान की सुविधा ने जम्मू कश्मीर के लोगों के जीवन में काफी बदलाव लाया है। दूसरी बड़ी बात कि जम्मू-कश्मीर में बरसों तक जिन लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला था, अब उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिल रहा है। रतले जल विद्युत परियोजना और क्वार जल विद्युत परियोजना पर काम चल रहा है। उसके तैयार होने पर जम्मू कश्मीर को बिजली तो मिलेगी ही, इससे प्रदेश को कमाई भी होगी। पल्ली गांव को सोलर से बिजली मिल रही है और पल्ली गांव ‘उर्जा स्वराज’ का उदाहरण बना है।
मां वैष्णो देवी की दूरी होगी कम
विकास और पारदर्शिता जम्मू कश्मीर की पहली शर्त बन गई है। यही कारण है कि आज 500 किलो वॉट का सोलर पावर प्लांट सिर्फ 3 हफ्ते के अंदर यहां लागू हो जाता है और बिजली पैदा करना शुरू कर देता है। अब बनिहाल कांजीगुंड टनल से जम्मू और श्रीनगर की दूरी 2 घंटे कम हो गई है। आकर्षक आर्क ब्रिज भी जल्द देश को मिलने वाला है। यह ब्रिज ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला को जोड़ता है। दिल्ली से मां वैष्णो देवी के दरबार की दूरी भी कम होने वाली है। यह दूरी दिल्ली-अमृतसर-कटरा हाइवे ( 670 किमी ) बनने पर कम हो जाएगी।

दिल्ली अमृतसर कटरा एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के एक हिस्से के रूप में बनाया गया है। यह तीन राज्यों दिल्ली, पंजाब और जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाले ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का मिश्रण है। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के बहादुरगढ़ से शुरू होकर जम्मू और कश्मीर के कटरा तक है।कश्मीर की पशमीना सॉल हो या श्रीनगर का गोल्फ मैदान, या फिर डल झील, कश्मीर के सेब हों या हमाम, कांदरू हो या वहां की नमकीन चाय, वहां की हसीन वादियां, स्नो फॉल, फूलों से सजी-संवरी घाटियां, खिलखिलाती धूप, ये सबकुछ कश्मीर की संस्कृति में रची-बसी है, जो पूरे विश्व को अपनी ओर बरबस आकर्षिक करती है। कल कश्मीर में जो हालात थे, वो गुजरे जमाने की बात हो चुकी है, क्योंकि आज वहां अमन है, चैन है, आज वहां सुशासन है, जो ख्याल रखता है सबके साथ का, सबके प्रयास से सबके विकास का।