
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
दिल्ली जनवरी 10:-पीएम मोदी ने इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) के अवसर पर गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली से मुलाकात की। राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली इंदौर में आयोजित हो रहे 17वें पीबीडी में मुख्य अतिथि हैं। इस लेख में हम दोनों नेताओं की मुलाकात के अलावा भारत-गुयाना संबंध पर भी एक नजर डालेंगे।
किन विषयों पर हुई चर्चा
पीएम मोदी और गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली ने मुलाकात के दौरान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे के विकास, फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार और रक्षा संबंधों के क्षेत्र में सहयोग सहित कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं ने भारत और गुयाना के लोगों के बीच मित्रता के 180 साल पुराने ऐतिहासिक संबंधों को याद किया तथा उन्हें और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
पीएम मोदी का जताया आभार
गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली 8 से 14 जनवरी तक भारत के आधिकारिक दौरे पर हैं और इस दौरान वो इंदौर के अलाव दिल्ली, कानपुर, बेंगलुरु और मुंबई भी जायेंगे। राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान ने कोरोना काल के दौरान भारत की टीकों के जरिए की गई मदद को याद करते हुए कहा कि जब कई देशों ने अपने बॉर्डर लॉक कर लिए थे तब भारत ने आगे बढ़कर दुनिया की मदद की थी। राष्ट्रपति इरफान अली ने कोरोना की वैक्सीन की मदद के लिए पीएम मोदी का आभार जताते हुए कहा कि भारत प्रगतिशील देशों की मदद के लिए हमेशा खड़ा रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत आज भारत पूरी दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। भारत में प्रौद्योगिकी के विकास, चिकित्सा अनुसंधान और टीकों के निर्माण से दुनिया को लाभ हुआ। भारत वैश्विक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है चाहे वह मानव संसाधन हो या आवश्यक टीकों का लागत प्रभावी निर्माण, इन सभी में भारत सबसे आगे है।
राष्ट्रपति मुर्मू के साथ द्विपक्षीय वार्ता

गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति इरफान अली आज प्रवासी भारतीय दिवस के समापन सत्र और प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार समारोह में भी भाग लेंगे। वे 11 जनवरी को इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में भी हिस्सा लेंगे।
कैसे हैं भारत-गुयाना के संबंध
गुयाना, दक्षिण अमेरिका के उत्तरपूर्वी कोने में स्थित एक देश है। वर्तमान में भारत और गुयाना के बीच मधुर संबंध है। दोनों ही देश एक समय में ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य का हिस्सा थे। गुयाना में मई 1965 में जॉर्ज टाउन में भारतीय आयोग की स्थापना की गई थी। बाद में साल 1968 में इस आयोग को पूर्णकालिन भारतीय उच्चायोग बना दिया गया था। अधिकांश गुयाना वासी, भारतीयों के वंशज हैं, जिन्हें 1838 में गन्ना बागानों में ठेका मजदूरों के रूप में कैरिबियन देशो में लाया गया था। बाद में ये लोग वहीं बस गए थे। वर्तमान में गुयाना में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 3 लाख से भी ज्यादा है। यह गुयाना का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है। भारत और गुयाना में सरकारों के बदलने से भी दोनो देशों के संबंधों की गर्मजोशी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
भारत-गुयाना आर्थिक संबंध
भारत-गुयाना भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) के माध्यम से विकासात्मक विशेषज्ञता को साझा करते हैं। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में हर साल छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा, कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में गतिविधयों के आधार पर गुयाना के अनुरोध पर कुछ भारतीय विशेषज्ञों को भी वहां नियुक्त किया जाता है। भारत, गुयाना के लोगों को लंबी अवधि के पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने, भारत में अनुभव हासिल करने और भारत में हिंदी सीखने के लिए कई अन्य छात्रवृत्तियां भी प्रदान करता है। भारत गुयाना से फार्मास्युटिकल उत्पाद, सूचना प्रौद्योगिकी, आयरन स्टील, यांत्रिक उपकरणों के पुर्जे से जुड़ी वस्तुओं का निर्यात करता है तो वहीं लकड़ी और लकड़ी की वस्तुएं, अयस्क और ऐश, विद्युत मशीनरी एल्यूमीनियम को आयात करता है।
सांस्कृतिक संबंध
भारत और गुयाना दशकों से सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दोनो देशों के नागरिकों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और साझा समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से साल 1972 में जॉर्ज टाउन में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (ICC) की स्थापना की गई थी। बाद में इसका नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र कर दिया गया। इस केंद्र में नियमित रूप से योग, हिंदी और संस्कृत भाषाओं, पाक कला कक्षाओं , साड़ी ड्रेपिंग और भारतीय शास्त्रीय संगीत और भारतीय नृत्य के रूप में; कत्थक के लिए कक्षाएं आयोजित की जाती है। इसके अलावा भारत और गुयाना के बीच क्रिकेट एक महत्वपूर्ण कड़ी है। गुयाना के कई खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में खेलने का मौका दिया गया है।