
आर पी डब्लू न्यूज़/धर्मेंद्र अदलखा
अलवर ,जनवरी 28:-राजर्षि मत्स्य विश्वविधालय हमेशा से ही विवादों में रहा है। यहां अब पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुमंत चावड़ा के कम अंक आने पर पुनर्मूल्यांकन करवाया तो उसके अंक और भी कम हो गए है। इससे छात्रों के एक गुट में रोष है जिसके खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोल दिया है।मत्स्य विश्वविधालय में एम ए हिंदी प्रीवियस में पहले 48 और 42 अंक आए। सुमंत ने पुनमूल्यांकन करवाया तो वे 48 के 42 और 42 के 38 अंक हो गए। इसमें सबसे बड़ी बात यह सामने आई कि सुमंत ने एक विषय की कॉपी आरटीआई में मांगी तो उसके अंक 44 से बढ़ाकर 64 कर दिए। यहां पहले छात्रसंघ अध्यक्ष फेल हो गया था। इस मामले में छात्रों ने आमरण अनशन किया तो विश्वविधालय ने उसे पास कर दिया। इस पूरे मामले से मत्स्य विश्वविधालय एक बाद फिर विवादों में आ गया है।कार्यवाहक परीक्षा नियंत्रक के भरोसे विश्वविधालययहां विश्वविधालय में परीक्षा नियंत्रक तक नहीं है जिसके कारण कार्य वाहक परीक्षा नियंत्रक कॉलेजों से प्रति नियुकित पर सहायक आचार्य आ जाते हैं जिन्होंने कभी भी परीक्षा नहीं करवाई होती है जिससे यहां कभी परीक्षा परिणाम में देरी तो कभी जान बूझकर फेल करने के आरोप लगते हैं। यहां परीक्षा केन्द्र बनाने से लेकर परीक्षा परिणामों में धांधलेबाजी के आरोप लगते रहे हैं।
यह कहते हैं छात्र नेतामत्स्य विश्वविधालय में भ्रष्टाचार चरम पर हैं। यहां जानबूझकर कई छात्रों को फेल कर दिया जाता है। यहां प्राइवेट कॉलेजों की मिली भगत से परीक्षा परिणाम प्रभावित होते हैं जिसकी उच्च स्तरीय जांच करवानी चाहिए
विष्णु चावड़ा, संयोजक, मत्स्य विश्वविधालय संघर्ष समिति, अलवर
मत्स्य विश्वविधालय में मुझे ही जान बूझकर फेल कर दिया था। यहां परीक्षा नियंत्रक तक नहीं है। यहां अस्थाई परीक्षा नियंत्रक नहीं लगाना चाहिए। यहां के परिणामों की जांच करवाना आवश्यक है।
सुभाष गुर्जर, छात्रसंघ अध्यक्ष,ख्मत्स्य विश्वविधालय, अलवर
आरोप पूरी तरह गलतहम पूरी तरह निष्पक्ष काम कर रहे हैं। पुनर्मूल्यांकन में जो वास्तव में अंक है, वहीं आएंगे। इसको लेकर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया गया है।
डॉ. अशोक आर्य , परीक्षा नियंत्रक मतस्य विश्व विद्यालय अलवर