
आर पी डब्लू न्यूज़/धर्मेंद्र अदलखा
-संगीतमय श्रीराम कथा में मंत्र मुग्ध होकर नाचने लगे श्रद्धालु
-संत शंभू शरण लाटा ने शिव पार्वती विवाह कथा में बताए जीने के तरीके
अलवर, 9 फरवरी:- अलवर के प्रताप आडिटोरियम में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे देश के नामी संत शंभू शरण लाटा ने शिव पार्वती विवाह की कथा के साथ ही जीवन जीने की कला भी सिखाई। संत को प्रवचक के साथ मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में जाना जाता है। युवा पीढ़ी में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृति पर चिंता जाहिर करते हुए संत लाटा ने कहा कि वर्तमान में पढ़ाई अत्यंत आवश्यक है लेकिन इससे भी अधिक संस्कारों को अपनाने की आवश्यकता है। अधिक पढ़े- लिखे लोग अपनी संस्कृति से दूर होकर दुखी है जो थोड़ी से असफलता मिलने पर आत्महत्या तक कर लेते हैं। संत लाटा ने इस अवसर पर भजनों के साथ समझाया कि जीवन में हिममत ना हारिए और प्रभु न बिसारिए। यदि दुख आए तो इसे प्रभु इच्छा कहें और सुख आए तो इसे प्रभु कृपा का नाम देंगे तो जीवन में निराशा नहीं आएगी। अपने आपको अकेला नहीं समझे, उस प्रभु को अपना साथी समझे। सुबह भगवान श्री का नाम लेकर उठे,चाय का नाम बाद में लेंवे। अपने आपको दुखी नहीं माने। हनुमान चालीसा सारे वास्तु दोष मिटाती हैसंत लाटा ने कहा कि 50 साल पहले कोई वास्तु के बारे में इतना चिंतित नहीं था जो अब लोग इसको लेकर पागल हो रहे हैं। आप हनुमान चालीसा का पाठ करें सारे गृह अपने आप सीधे हो जाएंगे। आपको संकट आने पर जगह-जगह जाने की जरूरत नहीं है। अपने घर पर ही हनुमान जी का नाम लें और हर किसी से राम-राम बोले, जिससे सारे संकट टल जाएंगे। वर्तमान में बीमारियों की अधिकता का कारण अधिक खाना है। स्वयं नहीं दूसरों को खिलाकर तृप्ति हासिल करें तो जीवन में खुशियां आएंगी।खूब नाचे श्रद्धालुप्रताप आडिटोरियम में संत लाटा की कथा के दौरान भगवान शिव की बारात के प्रसंग के दौरान संगीतमय प्रस्तुति पर श्रद्धालु नाचने लगे। कथा के दूसरे दिन पूरा आडिटोरियम भरा हुआ था।बिना अतिथि और चढ़ावे के कथासंयोजक मंजू चौधरी अग्रवाल ने बताया कि इस कथा में किसी को चढ़ावे की अनुमति नहीं है और ना ही मंच पर जाकर पूजा करने की इजाजत है। कथा निर्धारित 2 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाती है जो शाम 6 बजे तक चलती है। इसमें कोई अतिथि नहीं होता है।बुजुर्गों के लिए व्हील चेयर और सोफेमीडिया प्रभारी सौरभ कालरा और आशुतोष शर्मा ने बताया कि यहां बुजुर्गों को बाहर से अंदर लाने के लिए सुरक्षा कर्मी और व्हील चेयर का इंतजाम किया गया है। आगे बुजुर्गों के लिए सोफे लगाए गए हैं। यहां सबसे बड़ा अतिथि श्रद्धालु हैं। आयोजक स्वयं पीछे जाकर बैठते हैं और किसी का नाम तक नहीं लिया जाता है। यह कथा पूरी तरह संगीतमय राममय है जिसका सीधा प्रसारण फेस बुक पेज पर किया जा रहा है जिससे हजारों लोग जुड़े हैं। कथा में भाग लेने कई राज्यों से श्रद्धालु आए हैं।