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आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
-स्वास्थ्य विभाग इंफ्लूएंजा वायरस संक्रमण पर रोक के लिए अलर्ट मोड पर
झज्जर, 19 मार्च :- डीसी कैप्टन शक्ति सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग जिला में एच3एन2 इंफ्लूएंजा वायरस के फैलाव व संक्रमण को रोकने लिए पूरी तरह अलर्ट है। झज्जर जिलावासियों को चाहिए कि वे इस वायरस को लेकर घबराएं नहीं, इससे बचाव के लिए सभी को सावधानी बरतने की जरूरत है। इन दिनों मौसम में बदलाव के चलते खांसी, जुकाम और बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है। इंफ्लूएंजा एच3एन 2 वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरे व्यक्ति में भी तेजी से फैलता है। जब संक्रमित मरीज छींकता या खांसता है, तो इसके ड्रॉपलेट्स एक मीटर के दायरे तक फैल जाते हैं। आस-पास मौजूद व्यक्ति के सांस लेने पर ड्रॉपलेट उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं या फिर संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने पर वायरसयुक्त ड्रॉपलेट्स किसी सतह या किसी चीज पर गिरते हैं। जिसे स्वस्थ व्यक्ति के छूने पर हाथ में ट्रांसफर हो जाते हैं और आंख-नाक-मुंह के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में दूसरा व्यक्ति भी एच3एन2 से संक्रमित हो जाता है।उन्होंने बताया कि कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीज, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं, इस वायरस की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। इनके अलावा टीबी, अस्थमा या लंग्स इंफेक्शन, किडनी, कार्डिएक डिजीज से पीड़ति मरीजों के लिए यह वायरस अधिक खतरनाक हो सकता है।संक्रमण के प्रमुख लक्षण :सिविल सर्जन डॉ ब्रह्मदीप सिंह ने बताया कि इस वायरस से संक्रमित होने पर रोगी में तेज बुखार होना, 5-8 दिन में बुखार सही होने के बाद सूखी खांसी 3 सप्ताह से भी ज्यादा समय तक लगातार बने रहना, खासकर रात को सोने के समय ज्यादा खांसी होना जैसे लक्षण दिखते हैं। खांसी की वजह से अनिद्रा, गले में दर्द, खराश और कफ होना, नाक बहना, सांस लेने में दिक्कत होना, सीने में दर्द होना, घबराहट महसूस होना, बार-बार उल्टी आना, डिहाइड्रेशन के कारण फेफड़ों तकलीफ होना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।संक्रमण से बचाव के तरीके :सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप सिंह ने बताया कि आईसीएमआर ने एच3एन2 संक्रमण से बचाव के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। इस पर सख्ती से अमल करके संक्रमण से बचा जा सकता है।→ ध्यान रखें: नियमित तौर पर हाथ साबुन और पानी से धोएं। हैंड सेनिटाइजर का यूज भी कर सकते हैं।→ भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। बाहर जाते समय या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से पहले मास्क जरूर पहनें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। कम से कम 2 मीटर की दूरी बना कर रखें।→ खांसते-छींकते समय नाक और मुंह को ठीक से कवर करें। नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें। सार्वजनिक जगह पर हाथ मिलाने और थूकने से बचें। फ्लू होने पर अपने आपको आइसोलेट करें ताकि दूसरे लोग संक्रमित न हो। बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबॉयोटिक दवाइयां ना लें। उनकी सलाह पर बुखार बदन दर्द के लिए पैरासिटामॉल और एहतियातन रोजाना विटामिन सी और जिंक टेबलेट ले सकते हैं।→ गरारे करते रहें। कफ ज्यादा हो तो स्टीम भी लें। इससे काफी आराम मिलेगा। पूरा आराम करें। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेना ना छोड़ें।→ इंफेक्शन से बचने के लिए वयस्क लोग सालाना इंफ्लूएंजा वैक्सीन और 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों यूमोकोकल वैक्सीन जरूर लगवाएं।→ घर का बना ताजा, गर्म, पौष्टिक और संतुलित खाना खाएं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए मौसमी और ताजी फल-सब्जियों का सेवन करें। अदरक, लहसुन जैसी चीजों को अपने आहार में शामिल करें।→ शरीर को हाइड्रेट रखें। ज्यादा से ज्यादा पानी और लिक्विड डाइट का सेवन करें। यथासंभव गुनगुना पानी और काढ़ा पिएं।→ खट्टे फल, फ्रिज में रखा ठंडा जूस, कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम से परहेज करें। खटाई, दही जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करें।→ रोजाना व्यायाम जरूर करें। घर पर ही योगा, अनुलोम-विलोम, डीप ब्रीदिंग करें।