
मैं तेरी परछाई हूं
मैं तुझसे ही बन पाई हूं
मैं तेरी आंखों का तारा
तेरे घर की शहनाई हूं
तेरी गोद में मेरा काबा
और कदमों में जन्नत है
तू ही मेरी दुआ है मां
तू ही मेरी मन्नत है
तेरी आंखों में जब को देखा
सच बोलूं तो रब को देखा
तू ही मेरा सपना है मां
तू ही तो हकीकत है
तू ही मेरी साथ सहेली
तू ही है अनजान पहेली
तुझको जिसने माना है
उसने रब को जाना है
तू ही मेरी कविता मां
तू ही पहला ज्ञान है
जिसको पहला सजदा करूं
तू तो वह भगवान है
कोई तेरी पूजा करें
कोई कहे भगवान है
मैं तुझ पर जान लुटा दूं
तू मेरी पहचान है
तू ही मेरी किस्मत है मां
तू ही मेरा निशान है
तेरे कदमों में सिर रख दूं
तू ही मेरा अभिमान है
मैं तेरी परछाई हूं
मैं तुझसे ही बन पाई हूंं
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नेहा खान , उत्तराखंड