
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
दिल्ली, जनवरी 13:-केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा पर चिंता जाहिर की है। वित्त मंत्री ने कहा कि कर्ज से जुड़ी असुरक्षा से मंदी का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसका सामना कई देश कर रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते ये बातें कहीं। वर्तमान में भारत दो दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।https://twitter.com/FinMinIndia/status/1613487930852671488

वित्त मंत्री ने चिंता जाहिर की
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि भारत दशकों से विकास के पथ पर हमारे साथी रहे वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के दृष्टिकोण को रखने को उत्सुक है। दुनिया के कई देशों में बढ़ रही कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति को यदि बिना हल किए नज़रअंदाज कर दिया गया तो यह लाखों लोगों को गरीबी रेखा के नीचे भेज सकता है। उन्होंने कहा कि कई दशकों से भारत अनुदान, लोन सुविधा, तकनीकी परामर्श, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) के माध्यम से अनेक क्षेत्रों में विकास में सहयोग के प्रयासों में सबसे आगे रहा है। हमें ऐसे रास्ते तलाशना चाहिए, जिससे बहुस्तरीय विकास बैंकों की ओर से प्रदान किया जा रहा समर्थन देश की विशिष्ठ जरूरतों के अनुरूप हो।
वैश्विक स्तर पर असुरक्षा बढ़ी
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कर्ज से जुड़ी असुरक्षा की स्थिति बढ़ रही है और प्रणालीगत वैश्विक कर्ज संकट का खतरा पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बाह्य कर्ज की अदायगी एवं खाद्य और ईंधन जैसी आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बीच फंसी अर्थव्यवस्थाओं से स्पष्ट होती है। वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे में विकास के सामाजिक आयाम और बढ़ते वित्तीय अंतर के विषय पर ध्यान देने की जरूरत है जिसका सामना कई देश टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में कर रहे हैं।
विकास सहयोग परियोजनाएं बनीं आदर्श
वित्त मंत्री सीतारमण ने इस शिखर सम्मेलन में ‘‘लोक केंद्रित विकास का वित्त पोषण’ सत्र को संबोधित करते हुए कि हमारी विकास सहयोग परियोजनाएं वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों के साथ ज्ञान साझा करने और क्षमता निर्माण के लिये आदर्श बन रही हैं। कई देश लगातार बढ़ते वित्तीय अंतर का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही विकास के सामाजिक पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है। इस सत्र में 15 देशों के वित्त मंत्रियों ने भाग लिया।

G20 की भूमिका पर भी चर्चा
दुनिया को कई संकटों से निपटने में मदद करने और वैश्विक आर्थिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में G20 की अहम भूमिका है। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन G20 प्रेसीडेंसी को हमारी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करने वाले सामान्य मुद्दों पर विचार करने में मदद करेगा। वित्त मंत्री ने ग्लोबल साउथ को मजबूत एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया और इस दौरान उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के विषय के अनुरूप बहुपक्षीय मंचों में ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ को शामिल करने के लिए भारत की मंशा भी व्यक्त की।
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ क्या है
भारत 12 और 13 जनवरी को दो दिवसीय ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा खाद्य एंव ऊर्जा सुरक्षा सहित कई वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर विकासशील देशों को अपनी चिंताएं साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया है। दरअसल ग्लोबल साउथ व्यापक रूप से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कहा जाता है। इस सम्मेलन में करीब 120 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन की थीम ‘एकता की आवाज, एकता का उद्देश्य’ है। यह पहल पीएम नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के विजन से प्रेरित है जो भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भी दर्शन करवाता है।