
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली,जनवरी 14:-केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने अधिकारियों को 2027 तक लसीका फाइलेरिया को समाप्त करने की रूपरेखा तैयार करने को कहा है। यह लक्ष्य इस बीमारी को समाप्त करने के वैश्विक लक्ष्य से तीन वर्ष कम है। उन्होंने कहा कि नए भारत में लसीका फाइलेरिया इतिहास होना चाहिए। इसके लिए सभी लोगों को मिलकर काम करने के संकल्प करना होगा।
भारत को रोडमैप बनाने की जरुरत
केंद्र सरकार लसीका फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए एक रोडमैप बना रही है ताकि वैश्विक लक्ष्य 2030 से पहले ही भारत को इस बीमारी से निजात मिल सके, जिसके लिए केंद्र सरकार भारत मिशन मोड, मल्टी पार्टनर, मल्टी सेक्टर, लक्षित ड्राइव के जरिये लिम्फैटिक फाइलेरिया को खत्म करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
पांच आयामी रोडमैप
केंद्र सरकार अन्य बीमारियों के उन्मूलन में देश के व्यापक अनुभव से सीखते हुए, लसीका फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए नए सिरे से पांच-स्तरीय रणनीति लेकर आए हैं:Multi-drug administration (MDA) अभियान राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (10 फरवरी और 10 अगस्त) के साथ साल में दो बारप्रारंभिक निदान और उपचार; रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता (MMDP) सेवाओं को मजबूत करने के लिए मेडिकल कॉलेजों की नियुक्तिबहु क्षेत्रीय समन्वित प्रयासों के साथ Integrated Vector Controlसंबद्ध विभागों और मंत्रालयों के साथ अंतर क्षेत्रीय अभिसरण के लिएLF के लिए मौजूदा डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ उठाना और alternate diagnostics की खोज करना।
लसीका फाइलेरिया क्या है ?

लसीका फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। यह मच्छर फ्लूलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं। लसीका फाइलेरिया को आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है।
जनभागीदारी जरूरी
लसीका फाइलेरिया से मुक्त होने के लिए जनभागीदारी जरुरी है। हम जनभागीदारी के जरिये ही पोलियो मुक्त हुए है। आज हम सब के लिए जरुरी है कि विभिन्न मंत्रालय, केंद्र और राज्यों के विभाग, गैर सरकारी संगठनों का सहयोग लेकर और एक रणनीति बनाकर लसीका फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में आगे बढें। हमे आज अपनी प्राथमिकताओं को पहचान कर और अपनी योजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू कर एक “इंडिया मॉडल” बनाने पर ज़ोर देना चाहिए।
भारत की स्थिति
एक आकलन के अनुसार भारत के 20 राज्यों के 250 से ज्यादा जिलों में महामारी की तरह फैला हुआ है इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि लगभग 65 करोड़ आबादी इसकी चपेट में है। वहीं WHO के अनुसार, दुनियाभर में 52 देशों में 856 मिलियन लोग इस रोग से पीड़ित हैं।
केंद्र सरकार के प्रयास
लसीका फाइलेरिया जैसे गंभीर बीमारी से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार तत्पर है। रोग प्रबंधन और प्रशिक्षण के जरिए लोगों को जागरूक बनाया जा रहा है। लसीका फाइलेरिया के कारण व बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही प्रत्येक वर्ष 11 नवंबर को राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार अन्य प्रयास भी कर रही है:सरकार ने वर्ष 2018 में ‘Accelerated Plan for Elimination of Lymphatic Filariasis- APELF’ नामक पहल की थी।केंद्र सरकार दिसंबर 2019 से ‘Triple Drug Therapy’ को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने के लिये प्रयास है।

भारत को अब तक किन बीमारियों से मुक्ति मिली
भारत ने कुछ महामारियों के खिलाफ जंग लड़ने में कामयाबी हासिल की है जिसमें पोलियो, हैज़ा, प्लेग, चेचक, खसरा शामिल है। भारत ने महामारियों के खिलाफ जंग में जनस्वास्थ्य के स्तर पर बड़े और सख़्त कदम उठाए और सोसाइटी के स्तर पर इसे रोकने, नियंत्रित करने की पुरजोर कोशिश की। केंद्र सरकार के व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम ने इन बीमारियों से बचाव किया और यही कारण है कि आज हमारे देश को पोलियो, हैज़ा, प्लेग, चेचक, खसरा जैसी बीमारियों से मुक्ति मिली।