
आर पी डब्लू न्यूज़/रितु रहनुमा
दिल्ली, जनवरी 18:- पहले भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में विकास की रफ्तार बहुत धीमी थी, लेकिन केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद पूर्वोत्तर की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। केंद्र सरकार के नेतृत्व में पिछले 8 सालों में पूर्वोत्तर भारत का तेजी से विकास हुआ है। इसी का नतीजा है कि पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद में कमी देखने को मिल रही है। इस लेख में हम पूर्वोत्तर राज्यों में इंसर्जेन्सी में आयी कमी के अलावा इस क्षेत्र में कौन सी विकास परियोजनाएं चल रहीं है इस पर भी एक नजर डालेंगे।
इंसर्जेन्सी में आयी कमी
गृह मंत्रालय के आकड़ों के अनुसार पूर्वोत्तर में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में 89 प्रतिशत की कमी आई है। सुरक्षा बलों पर हमलों में 90 प्रतिशत और आम नागरिकों की मौत के मामलों में 89 प्रतिशत की कमी देखी गई है। ये कमी केंद्र सरकार की नीतियों और इस क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों का ही परिणाम है। यहां उग्रवादी समूहों से जुड़े करीब 8,000 युवा आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गये हैं।
उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस
मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 191 नए संस्थान स्थापित किए हैं। उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों की स्थापना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अकेले कैंसर योजना के तृतीयक स्तर की देखभाल के सुदृढ़ीकरण के तहत 19 राज्य कैंसर संस्थान और 20 तृतीयक स्तर की देखभाल कैंसर केंद्र स्वीकृत किए गए हैं। इससे कैंसर मरीजों को इलाज के लिए पूर्वोत्तर में ही सारी सहूलियत उपलब्ध होगी।
गति शक्ति योजना ने दी विकास को गति
केंद्र सरकार की मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान का भरपूर लाभ पूर्वोत्तर भारत को मिल रहा है। इसके अंतर्गत पूर्वोत्तर राज्यों में रेलवे, हवाई कनेक्टिविटी, सड़क निर्माण, कृषि और टूरिज्म की 202 से अधिक परियोजनाओं पर काम चल रहा है। बेहतर कनेक्टिविटी के लिए यहां पहले ही 17 एयरपोर्ट बनाए जा चुके हैं। मोदी सरकार का पूरा फोकस पर्यटन के विकास पर है। पूर्वोत्तर के लिए 100% केंद्रीय वित्तपोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना पीएम-डिवाइन भी शुरू की गई है।
77,930 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी
केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र के लिए 77,930 करोड़ रुपये की 19 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। सरकार अगले तीन साल में यहां 9,476 किमी सड़कों का निर्माण करेगी। देश में 9,265 करोड़ रुपये की नॉर्थ ईस्ट गैस ग्रिड (NEGG) परियोजना पर काम चल रहा है। साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र में 18 राष्ट्रीय जलमार्ग आरंभ किए हैं।
उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों पर हस्ताक्षर
पूर्वोत्तर में पिछले आठ सालों में मोदी सरकार के नेतृत्व में शांति स्थापित हुई है। यहां उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये जिनमें 2019 में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ एनएलएफटी-त्रिपुरा समझौता, 2020 में ब्रू-रियांग और बोडोस से जुड़े समूहों के साथ और 2021 में कार्बी आंगलोंग समुदाय से जुड़े समूहों के साथ समझौते किये गये। इसी प्रकार से समझौते 2022 में असम-मेघालय अंतर-राज्यीय सीमा के संबंध में हुए हैं । व्यापक हित में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) को वापस ले लिया गया और केंद्र सरकार द्वारा सामान्य स्थिति वापस लाई गई है।
पीएम मोदी ने की सबसे अधिक पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा
प्रधानमंत्री के रूप में पीएम मोदी ने सबसे अधिक पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा की है। पीएम मोदी अपने कार्यकाल के दौरान 50 से भी ज्यादा बार इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। उनकी ‘एक्ट ईस्ट’ विदेश नीति का लाभ पूर्वोत्तर के राज्यों को ही मिल रहा है। भारत-म्यांमार-थाईलैंड सुपर हाइवे इसी का नतीजा है। साथ ही, पूर्वोत्तर के लिए अलग टाइम जोन की मांग पर भी अब विचार किया जा रहा है।“हमारे लिए नॉर्थ ईस्ट, आखिरी छोर नहीं बल्कि सुरक्षा और समृद्धि के गेटवे है।” ये बात पीएम मोदी ने शिलॉन्ग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कही थी। तथ्यों को देखें तो पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के बाद, अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे, रोजगार, उद्योग और संस्कृति सहित विकास के विभिन्न आयामों में पूर्वोत्तर भारत तेजी के साथ गतिशील है। आज यहां का युवा वर्ग विकास योजनाओं तथा शिक्षा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते दिख रहा है। इसी का नतीजा है की यहां उग्रवाद में कमी आई है और इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा है।