March 15, 2025

जानें दावोस में क्यों आयोजित की जाती है ‘विश्व आर्थिक मंच’ की बैठक,इस बार क्या होगा भारत का एजेंडा

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आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट


दिल्ली जनवरी 18:-विश्व आर्थिक मंच की 5 दिवसीय 53वीं सालाना बैठक स्विट्जरलैंड में लैंड वासर नदी के तट पर, स्विस आल्प्स पर्वत के प्लेसूर शृंखला और अल्बूला शृंखला के बीच स्तिथ शहर दावोस में इस महीने की 20 तारीख तक चलेगी।इस बैठक में ‘Cooperation in a fragmented world’ विषय पर चर्चा की जाएगी जिसमें मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति पर विचार किया जाएगा।इस बैठक में 130 देशों के 2,700 से अधिक नेता शामिल हो रहे हैं, जिनमें 52 राष्ट्राध्यक्ष/सरकार शामिल हैं। वहीं भारत की तरफ से भी कई मंत्रियों, नेताओं और कारोबारियों भी शामिल हो रहे हैं।

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क्या है ‘विश्व आर्थिक मंच’ की दावोस बैठक?

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक – जिसे आमतौर पर दावोस सम्मेलन के रूप में जाना जाता है प्रत्येक वर्ष जनवरी में होती है, इस वर्ष भी बैठक में व्यापार और विश्व के नेता “खंडित दुनिया में सहयोग” के 2023 विषय पर चर्चा के लिए एकत्रित हो रहे हैं।बैठक में लगभग 3,000 सदस्यों और चयनित प्रतिभागियों को एक साथ आते है जिनमें निवेशक, व्यापारिक नेता, राजनीतिक नेता, अर्थशास्त्री , मशहूर हस्तियां और पत्रकार शामिल हैं।इसमें लगभग 500 सत्रों में वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पांच दिनों तक बैठके और सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। हालाँकि, इसकी प्रमुखता आर्थिक मुद्दों पर चर्चा से कहीं आगे जाती है। अतीत में, इसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए एक स्थान के रूप में इस्तेमाल किया गया है क्योंकि यहाँ नेता आपसी तनाव को तोड़ने में सक्षम होते हैं।

इस बार की बैठक में क्या-क्या होगा ?

विश्व आर्थिक मंच की यह बैठक वैश्विक महंगाई, ऊर्जा संकट, यूक्रेन युद्ध और चीन में फिर से बढ़ते कोविड के बीच हो रही है। फोरम के विस्तृत कार्यक्रम को देखकर यही लगता है कि महंगाई, ऊर्जा संकट और चीन में बढ़ते कोविड के मामले बातचीत का बड़ा मुद्दा बने रहेंगे। हालांकि, फोरम के संस्थापक और प्रमुख क्लाउस शवाब ने कहा कि “आर्थिक, सामाजिक, भू-राजनीतिक और पर्यावरणीय संकट एक साथ मिलते दिख रहे हैं, जो बहुत विविध और अनिश्चित भविष्य बना रहे हैं। दावोस की वार्षिक बैठक में हम सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि नेता संकट वाली मानसिकता में फंसे ना रह जाएं।”

क्या होगा इस बार भारत का ऐजेंडा ?

वर्तमान समय में भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक शक्तियों के समूह G20 की अध्यक्षता है जिस वजह से भारत के मुद्दों पर पुरी दुनिया की नजरें होगीं। भारत का फोकस अक्षय ऊर्जा, सस्टेनेबिलिटी, आधारभूत ढांचा, स्वास्थ्य, मेडिकल डिवाइस, स्टार्टअप, व्यापार, तकनीक और संस्थागत निवेश पर रहेगा। केंद्र सरकार के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु सरकारों की भी भागेदारी दावोस में दिखेगी।भारत एक आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभरने की कोशिशों में लगा हुआ जो सामूहिक भलाई के लिए मिलकर काम करने में विश्वास रखता है। ऐसे में विश्व आर्थिक मंच के जरिए भारत वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को और भी ज्यादा मजबूत कर सकेगा, विशेष तौर पर 2023 में भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता करने के संदर्भ में। WEF भारत को इसके मजबूत आर्थिक विकास के तौर पर पेश करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा।हाल के वर्षों में सरकार द्वारा विभिन्न सुधार उपाय किये गए हैं, जैसे कि पूर्वव्यापी कराधान को हटाना, अनुपालन आवश्यकताओं में कमी और कॉर्पोरेट टैक्स दर संरचना का सरलीकरण, जो इसे मौजूदा सबसे अच्छा निवेश गंतव्य बनाता है केवल दो वर्ष पहले ही भारत ने 25,000 से अधिक अनुपालनों को कम किया है।आज भारत में विश्व के किसी भी अन्य देश की तुलना में यूनिकॉर्न की एक बड़ी संख्या मौजूद है। वहीं साल दर साल भारत में अधिक से अधिक स्टार्ट-अप्स पंजीकृत किये गए हैं।भारत विभिन्न उपायों के माध्यम से व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा दे रहा है और साथ ही सरकारी हस्तक्षेप को कम कर रहा है।नीति-निर्माण के तहत अगले 25 वर्षों के लिये ‘स्वच्छ और हरित’ के साथ-साथ ‘सतत् एवं विश्वसनीय’ विकास की आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

क्या है ‘विश्व आर्थिक मंच’ ?

विश्व आर्थिक मंच स्विट्जरलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसका मुख्यालय कोलोग्नी में है। स्विस अधिकारीयों द्वारा इसे एक निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इसका मिशन विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है।इस मंच की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबन्धन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब द्वारा की गई थी। उस वर्ष यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन प्रोद्योगिकी संगठन के सौजन्य से इस संगठन की पहली बैठक हुई थी। इसमें प्रोफेसर श्वाब ने यूरोपीय व्यवसाय के 444 अधिकारीयों को अमेरिकी प्रबन्धन प्रथाओं से अवगत कराया था।वर्ष 1987 में इसका नाम विश्व आर्थिक मंच कर दिया गया और तब से अब तक, प्रतिवर्ष जनवरी महीने में इसके बैठक का आयोजन होता है। प्रारम्भ में इन बैठकों में प्रबन्धन के तरीकों पर चर्चा होती थी।

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