2023-24 में एक बिलियन टन कोयले का उत्पादन करेगा भारत, सरकार ने कसी कमर

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
दिल्ली, जनवरी 19:-देश में आगामी समय में काला सोना यानि कोयले का उत्पादन और भी तेज हो जाएगा। दरअसल, केंद्र सरकार ने इसके लिए लक्ष्य तय कर लिया है। चूंकि देश के विकास में ईंधन की उपयोगिता सर्वाधिक होती है और जब बात बिजली उत्पादन से लेकर फैक्ट्रियों के संचालन की हो तो इसी काले सोने का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। कोयला किसी भी विकासशील देश की विकास यात्रा में अहम रोल अदा करता है। इसी के मद्देनजर अर्थव्यवस्था के विकास को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने यह लक्ष्य तय किया है।
भारत ने लक्ष्य किया तय
ऐसे में भारत सरकार ने 2023-24 में एक बिलियन टन कोयले का उत्पादन का लक्ष्य तय कर लिया है। देश में ईंधन आपूर्ति की बढ़ती मांग को पूरा करने और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कोयला मंत्रालय देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 तक कोयला उत्पादन बढ़ाने की प्रक्रिया में है। इसी के मद्देनजर कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 तक 1.23 अरब टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और गैर-सीआईएल दोनों कोयला ब्लॉक शामिल हैं। इसी क्रम में कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2023-24 के दौरान कोयले के एक बिलियन टन से अधिक के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

सरकार ने सभी कोयला कंपनियों से की बातचीत
केवल इतना ही नहीं सरकार द्वारा इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी कोयला कंपनियों के साथ बातचीत भी की गई है। इसके लिए कोयला सचिव ने कोयला कंपनियों के साथ गहन समीक्षा की है। CIL के लिए 780 मिलियन टन, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड के लिए 75 एमटी और कैप्टिव और वाणिज्यिक खानों के लिए 162 एमटी का लक्ष्य निर्धारित करने का निर्णय लिया गया है। जानकारी के लिए बता दें भारत में तकरीबन 90 फीसदी से अधिक कोयले का उत्पादन कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा ही किया जाता है। बाकी कुछ खदानें अन्य कंपनियों को भी दी गई हैं, इन्हें कैप्टिव माइन्स कहा जाता है। इन कैप्टिव खदानों का उत्पादन कंपनियां अपने संयंत्रों में ही खर्च करती हैं।
97 कोयला खानों से प्रति वर्ष 1 मिलियन टन से अधिक का होता है उत्पादन
बता दें CIL में कुल 290 खानें परिचालन में हैं, जिनमें से 97 खानें प्रति वर्ष एक मिलियन टन से अधिक का उत्पादन करती हैं। ऐसी सभी 97 कोयला खानों के लिए भूमि अधिग्रहण, वन मंजूरी, पर्यावरण मंजूरी, रेल संपर्क और सड़क संपर्क पर चर्चा की गई और इनके लिए समय-सीमाएं तय की गई है।
क्या होंगे सरकार के अगले कदम ?
कोयला कंपनियों के निरंतर प्रयास से 97 कोयला खानों में से 56 खानों के सन्दर्भ में कोई भी मामला लंबित नहीं है। केवल 41 खानों में 61 मुद्दे हैं, जिनके लिए कोयला कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन द्वारा संबंधित राज्य सरकार प्राधिकरणों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ निरंतर समन्वय और निगरानी की जा रही है। सरकार के अनुसार देश ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है ताकि निर्बाध ईंधन आपूर्ति की जा सके। इसका विजन समर्थन करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने एक एकीकृत योजना का दृष्टिकोण अपनाया है, ताकि एक अरब टन उत्पादन के लिए निकासी ढांचे को मजबूत किया जा सके और कोयले का निर्बाध परिवहन हो सके।
भारत के पास कुल 319 अरब टन का कोयला भंडार
उल्लेखनीय है कि भारत के पास कुल 319 अरब टन का कोयले का भंडार मौजूद है। भारत दुनिया के उन पांच देशों में से एक है जहां कोयले के सबसे बड़े भंडार हैं। देश में बढ़ते ईंधन की मांग को पूरा करने के लिए कोयला मंत्रालय वित्त वर्ष 2024-25 तक कोयले का उत्पादन 1.23 अरब टन करेगा। सरकार देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के विजन के साथ आगे बढ़ रही है ताकि निर्बाध ईंधन आपूर्ति की जा सके।उल्लेखनीय है कि सीआईएल ने वर्ष 2021-22 के दौरान 622 एमटी का उत्पादन किया है और वर्ष 2022-23 के लिए 16% से अधिक की वृद्धि दर्ज करते हुए अब तक 513 एमटी का उत्पादन किया जा चुका है। उम्मीद है कि सीआईएल चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित 700 एमटी के लक्ष्य को पार कर जाएगी और तदनुसार वर्ष 2023-24 के लिए 780 एमटी का लक्ष्य हासिल कर लेगी।महज इतना ही नहीं केंद्र सरकार कोयले की सुव्यवस्थित निकासी के लिए पीएम-गति शक्ति पहल के तहत नई रेल लाइन शुरू करने के लिए भी कार्य कर रही है। ऐसी निर्माण परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए भारत सरकार ने विशेष टीमों का गठन भी किया है। पीएम-गति शक्ति पहल के तहत कोयला मंत्रालय द्वारा ऐसी परिकल्पनाओं को लेकर काम किया जा रहा है।
कोयले के कितने प्रकार ?

भारत में कोयले के सबसे बड़े भंडार झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगना और महाराष्ट्र में हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मेघालय, असम, सिक्किम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी कोयला मिला है। दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादक देशों में शामिल भारत आज अपनी ईंधन आपूर्ति की बढ़ती मांग को पूरा करने और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कोयला उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। आइए अब कोयले के प्रकारों के बारे में जान लेते हैं…
कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता है-
1.पीट कोयला :- इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआं निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।
2. लिग्नाइट कोयला :- कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है। इसका रंग भूरा होता है, इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
3. बिटुमिनस कोयला :- इसे मुलायम कोयला भी कहा जाता है। इसका उपयोग घरेलू कार्यों में होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 85% तक होती है।
4. एन्थ्रासाइट कोयला :- यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक रहती है।