गणतंत्र दिवस पर भारत को शुभकामना संदेश भेज रहे दुनिया के तमाम देश

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
दिल्ली, जनवरी 26:-देश आज 26 जनवरी 2023 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस अवसर पर भारत को दुनिया के तमाम देशों से शुभकामना संदेश प्राप्त हो रहे हैं। इस क्रम में मिस्र, भूटान, ऑस्ट्रेलिया जुड़ चुके हैं। तो वहीं दुनिया के तमाम देशों में भारतीय दूतावास भी आज गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। इस पावन अवसर पर पूरा भारत राष्ट्रीय रंगों में सराबोर नजर आ रहा है। देशवासी भी एक-दूसरे को बधाई और शुभकामना संदेश दे रहे हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है।
भूटान के PM ने भारत की प्रगति और समृद्धि के लिए दी शुभकामानाएं
भूटान के प्रधानमंत्री ने 74वें गणतंत्र दिवस पर भारत के लोगों को शुभकामनाएं दीं। भूटान के पीएम ने कहा, “भारत जैसे-जैसे एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, मैं भारत की प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।”
ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने भेजा शुभकामना संदेश
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस (@AlboMP) ने गणतंत्र दिवस, जो कि ऑस्ट्रेलिया दिवस भी है, पर भारत को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि हमारे राष्ट्रीय दिवस का संयोग इसे हमारी मित्रता की मजबूती का जश्न मनाने का अवसर बनाता है।
आज कर्तव्य पथ से देश का नेतृत्व करेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
वहीं आज इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नई दिल्ली में कर्तव्यपथ से गणतंत्र दिवस मनाने के लिए देश का नेतृत्व करेंगी। गणतंत्र दिवस की परेड सुबह 10:30 बजे विजय चौक से शुरू होकर लाल किला की ओर जाएगी।बताना चाहेंगे कि इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी मुख्य अतिथि के तौर पर परेड देखेंगे। मिस्र के राष्ट्रपति भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी की अगवानी की और उनके सम्मान में भोज का आयोजन भी किया था।
दिल्ली में जमीन से आसमान तक सुरक्षा का कड़ा चक्रव्यूह तैयार
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जमीन से आसमान तक सुरक्षा का कड़ा चक्रव्यूह तैयार किया गया है। बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत रायसीना हिल्स के आसपास का सारा इलाका छावनी में बदला हुआ है। राजधानी की सीमाओं पर शहर में प्रवेश करने वालों की गहन निगरानी की जा रही है।
समारोह में 60,000 से 65,000 लोगों के शामिल होने की संभावना
अकेले नई दिल्ली जिले में लगभग छह हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में पहुंचने वालों के लिए कुल 24 हेल्प डेस्क स्थापित किए हैं। पुलिस को समारोह में 60,000 से 65,000 लोगों के शामिल होने की संभावना है।
समारोह में प्रवेश ‘पास’ पर दिए गए क्यूआर कोड के आधार पर
इस साल समारोह में प्रवेश ‘पास’ पर दिए गए क्यूआर कोड के आधार पर होगा। बिना वैध ‘पास’ या टिकट के किसी भी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। 150 से अधिक सीसीटीवी लगाए गए हैं। इनमें से कुछ चेहरा पहचान वाली प्रणाली से लैस हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और ड्रोन रोधी टीम भी मुस्तैद
सुरक्षा के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की ड्रोन रोधी टीम भी मुस्तैद है। राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर अतिरिक्त चौकियां बनाई गई हैं। महानगर में प्रवेश कर रहे वाहनों की सख्त जांच की जा रही है। आसमान पर भी सुरक्षा का ऐसा इंतजाम है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता। दिल्ली में 15 फरवरी तक पैरा-ग्लाइडर, पैरा-मोटर, हैंग-ग्लाइडर, यूएवी, यूएएस, माइक्रोलाइट विमान, रिमोट संचालित विमान, गर्म हवा के गुब्बारे (हॉट एयर बलून), छोटे आकार के विमान आदि को उड़ाने पर प्रतिबंध है।Republic day से पहले तीनों सेनाओं के जांबाजों लिए वीरता पुरस्कार का एलान, जानें वीरता पुरस्कार के बारे में सब कुछभारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सशस्त्र बलों के कर्मियों और अन्य को 412 वीरता पुरस्कारों और अन्य रक्षा अलंकरणों को मंजूरी दी है। वीरता पुरस्कार (Gallantry Awards) देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान देने वाले जवानों और अधिकारियों को दिए जाते है। इस लेख में हम जवानों और अधिकारियों को दिए जाने वाले वीरता पुरस्कार के बारे में जानेंगे।
कब होता है वीरता पुरस्कारों का एलान
वीरता पुरस्कारों का ऐलान साल में दो बार किया जाता है। पहला गणतंत्र दिवस और दूसरा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इन पुरस्कारों का एलान होता है। इन वीरता पुरस्कारों में सबसे अहम होता है, परमवीर चक्र, जो सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है। इसके बाद महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र और शौर्य चक्र आते हैं।
वीरता पुरस्कारों की शुरुआत कब हुई
देश को पूर्ण स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत सरकार हर साल जवानों और अधिकारियों को ‘वीरता पुरस्कार’ देती आ रही है। 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इसी तारीख को भारत सरकार ने प्रथम तीन वीरता पुरस्कारों ‘परमवीर चक्र’, ‘महावीर चक्र’ और ‘वीर चक्र’ की घोषणा की। हालांकि इसे 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था। इसके पश्चात् अन्य तीन वीरता पुरस्कार अर्थात् अशोक चक्र श्रेणी-I, अशोक चक्र श्रेणी-II और अशोक चक्र श्रेणी-III को भारत सरकार द्वारा 4 जनवरी, 1952 को प्रारंभ किया गया था जिनको 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था। इन पुरस्कारों का जनवरी 1967 में क्रमशः अशोक चक्र, कीर्ति चक्र तथा शौर्य चक्र के रूप में पुनः नामकरण किया गया था।
वीरता पुरस्कार किसको मिलता है
थल सेना, नौसेना और वायुसेना या किसी भी आरक्षित बल, प्रादेशिक सेना तथा कानूनी रूप से गठित किसी अन्य सशस्त्र बल के सभी रैंकों के सभी अधिकारी इन पुरस्कारों हेतु पात्र हैं। वीरता पुरस्कारों के लिए देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान देने वाले जवानों और अधिकारियों के नाम पहले रक्षा मंत्रालय के पास भेजे जाते हैं। रक्षा मंत्रालय में केंद्रीय सम्मान एवं पुरस्कार समिति प्राप्त हुए सभी नामों पर विचार करती है। फिर मानकों के आधार पर यह समिति वीरता पुरस्कारों की लिस्ट तैयार करती है। यह लिस्ट राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है फिर राष्ट्रपति की अनुमति के बाद इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है।
परमवीर चक्र
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य पुरस्कार होता है। यह पुरस्कार युद्ध के दौरान अद्वितीय साहस और असाधारण वीरता के कार्यों को प्रदर्शित करने के लिये दिया जाता है। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जाता है।
महावीर चक्र
महावीर चक्र भारत का ऐसा पदक है जो युद्ध के समय वीरता दिखाने के लिए दिया जाता है। सेना और असैनिकों को असाधारण वीरता या शौर्यता या बलिदान के लिए यह पदक दिया जाता है। यह पुरस्कार भी मरणोपरांत दिया जा सकता है।वीर चक्रयह परमवीर चक्र और महावीर चक्र के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा युद्धकालीन वीरता पुरस्कार है। सैनिकों को असाधारण वीरता या बलिदान के लिए ‘वीर चक्र’ सम्मान दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत भी 26 जनवरी 1950 को परमवीर चक्र और महावीर चक्र के साथ हुई थी। सैनिकों को मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है।
कीर्ति चक्र
कीर्ति चक्र की शुरुआत शौर्य के कारनामे को सम्मानित करने के लिए 4 जनवरी 1952 को अशोक चक्र श्रेणी-II के रूप में की गई। 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदल कर कीर्ति चक्र कर दिया गया। यह दूसरा सर्वोच्च शांति कालीन वीरता पुरस्कार है और शांति काल में साहसिक कार्रवाई करने या आत्म-बलिदान के लिये दिया जाता है। सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के अलावा यह पुरस्कार टेरिटोरियल आर्मी और आम नागरिकों को भी दिया जाता है।
शौर्य चक्र
इस पदक की शुरुआत 4 जनवरी 1952 को अशोक चक्र श्रेणी-III के रूप में की गई और 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदल कर शौर्य चक्र कर दिया गया। यह पदक शौर्य के कारनामे के लिए प्रदान किया जाता है। वरीयता में यह ‘कीर्ति चक्र’ के बाद का वीरता पदक है। शांति काल के समय सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शौर्य प्रदर्शन के लिए या बलिदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। मरणोपरांत भी यह पुरस्कार दिया जा सकता है।
अशोक चक्र
इस पदक की शुरुआत 4 जनवरी 1952 को की गई और 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदल दिया गया, यह पदक अदम्य साहस अथवा जांबाजी अथवा बहादुरी के बड़े कारनामे अथवा जान न्योछावर करने को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है।अन्य पुरस्कारसेना पदक- यह थलसेना में कर्तव्य के प्रति असाधारण समर्पण या साहस के कार्यों के लिये दिया जाता है।
नौसेना पदक– यह नौसेना में कर्तव्य या साहस के प्रति असाधारण समर्पण के व्यक्तिगत कृत्यों के लिये दिया जाता है।
वायु सेना पदक- यह वायुसेना में कर्तव्य के प्रति असाधारण समर्पण या साहस के व्यक्तिगत कृत्यों के लिये प्रदान किया जाता है।