इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया -2022 में देश एवं दुनिया की 13 फिल्में पुरस्कृत

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
दिल्ली, जनवरी 31:-आईएसएफएफआई 2022 मध्य प्रदेश के शहर भोपाल में आयोजित हुआ है। महोत्सव दिनांक 21 से 23 जनवरी तक इंडिया इंटरनेशनल साइंस फ़ैस्टिवल के आठवें संस्करण के प्रमुख घटक के रूप में मनाया गया। इस विज्ञान महोत्सव में चार विदेशी और नौ भारतीय फिल्मों को पुरस्कृत किया गया है।

सतत् विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार
अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म पुरस्कारों की ‘सतत् विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ श्रेणी के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा निर्मित अंग्रेजी फिल्म ‘हानले: इंडियाज फर्स्ट डार्क स्काई रिजर्व’ को मिला है। यह फिल्म लद्दाख के हानले में भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व के पीछे के विचार को दर्शाती है और बताती है कि कैसे वैज्ञानिक अनुसंधान, खगोलविदों, प्रशासन और स्थानीय समुदायों के सहयोग से अंधेरे आसमान को संरक्षित करने में प्रभावी हो सकता है। श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार सत्यजित रे फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता द्वारा बांग्ला एवं अंग्रेजी भाषा में निर्मित ‘बोर्शी – द फिश’ को प्राप्त हुआ है। यह फिल्म आधुनिक कोलकाता में वेटलैंड मत्स्यपालन की संभावनाओं तथा अपशिष्ट जल प्रबंधन, कैप्टिव मछली उत्पादन, और मछुआरों की स्थिति को के बारे में है। तृतीय पुरस्कार अर्जुन रॉय, हर्षवर्धन ओझा एवं अनिमेष पांडेय द्वारा निर्देशित एवं अपरेश मिश्रा द्वारा निर्मित ‘मलबा-मलबा’ फिल्म को मिला है। यह फिल्म मलबे के ढेर से पैदा होने वाले खतरों को बताती है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार
‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ श्रेणी के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार विपुल कीर्ति शर्मा द्वारा निर्देशित एवं अशोक शर्मा द्वारा निर्मित फिल्म ‘स्ट्रगल फॉर सर्वाइवल’ को मिला। यह फिल्म जमीन पर घोसला बनाने वाली गौरेया के आकार की बगेरी (Ashy-crowned sparrow-lark) नामक चिड़िया और टिटहरी (Lapwing) जैसे पक्षियों पर है। इस श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार यूके के निर्देशक लिओन मिशेल एवं निर्माता सिनालाइट की फिल्म ‘सीक्रेट्स ऑफ द फॉरेस्ट’ को मिला। और तृतीय पुरस्कार फिलीपीन्स की फिल्म ‘आई वाज जस्ट ए चाइल्ड’ को दिया गया है। छाया कठपुतली का उपयोग करते हुए यह फिल्म फिलीपींस में आए घातक सुपर टाइफून के कारण मानसिक और शारीरिक पीड़ा के अनुभव बताती है।
बेहतर जीवन के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार
‘बेहतर जीवन के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार’ नामक तीसरी श्रेणी के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार अमेरिकी फिल्मकार टिफेनी डीटर की फिल्म ‘बायोफिजिकल फील्ड मेथड्स: गोबाबेब’ को, द्वितीय पुरस्कार भारत के फिल्मकार दीपक कुमार की फिल्म ‘एक्स्प्लोरिंग द ग्रेट इंडियन लिगेसीस’ और तृतीय पुरस्कार विज्ञान प्रसार (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) द्वारा निर्मित एवं राकेश अंदानिया द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सेविंग द हिमालयन याक’ को मिला।
विशेष पुरस्कार
एक स्पेशल जूरी पुरस्कार मिला है बीजू पंकज द्वारा निर्देशित एवं मातृभूमि टेलीविजन द्वारा निर्मित ‘वंडर्स ऑफ हेमलकासा’ को। अन्य तीन स्पेशल जूरी मेंशन पुरस्कार ‘रिक्लेमिंग वेस्टलैंड इन भोपाल’, ‘क्राइसिस’ और ‘आचार्य पीसी रे: द नेशनलिस्ट साइंटिस्ट’ को दिया किया गया है। ‘आचार्य पीसी रे: द नेशनलिस्ट साइंटिस्ट’ के निर्देशक नंदन कुधयादि और निर्माता विज्ञान भारती, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की फिल्म ‘क्राइसिस’ के निर्माता शिवा मोमताहन और निर्माता सीमा मोमताहन और ‘रिक्लेमिंग वेस्टलैंड इन भोपाल’ फिल्म के निर्देशक मिधुन विजयन और निर्माता जोएल मिशेल हैं।“विज्ञान फिल्मोत्सव के अंतर्गत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध तथा विकास से जुड़े विविध विषयों पर चार श्रेणियों में फिल्म प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। फिल्म महोत्सव में प्राप्त कुल 437 प्रविष्टियों में से 61भारतीय और 33 विदेशी फिल्मों को समारोह के लिए नामांकित किया गया। 21 से 23 जनवरी तक चले तीन दिवसीय फिल्म फेस्टिवल के दौरान भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद संस्थान के रजत जयंती सभागार में भारत, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, रूस, कनाडा, इज़राइल, फिलीपींस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों की 90 से अधिक विज्ञान फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई।” यह जानकारी आईएसएफएफआई के समन्वयक और विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने दी।