विश्व आर्द्रभूमि दिवस: जानें इस दिन का महत्व और इतिहास

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली,फरवरी 2 :-आज (गुरुवार) 2 फरवरी 2023 को पूरी दुनिया में ”विश्व आर्द्रभूमि दिवस” यानि ”वर्ल्ड वेटलैंड डे” मनाया जा रहा है। पहली बार यह 1997 में मनाया गया। वेटलैंड यानि नदी, तालाब, पोखर और ऐसे जल क्षेत्र जहां हमेशा या साल के कई महीने जल भरा रहता है।
पर्यावरण की धरोहरों को बचाने का प्रयास
वैट लैंड जन्तु ही नहीं बल्कि पौधों के लिए भी एक समृद्ध तंत्र है जहां कई उपयोगी वनस्पतियां और औषधीय पौधे प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। वेटलैंड मानव जीवन जलवायु परिवर्तन की प्रतिकूल प्रभाव को कम करने दुर्लभ प्राणियों के आश्रय मत्स्य पालन, धान, खेती आदि आजीविका उपार्जन गतिविधियों में काफी महत्वपूर्ण है। करीब 51 साल पहले 1972 में प्राकृतिक पर्यावरण की इन धरोहरों को बचाने के लिए रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
क्या है महत्व ?
वर्ल्ड वेटलैंड डे की महत्ता की बात करें तो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं धरती पर प्राकृतिक पर्यावरण को कई तरह से नुकसान पहुंचा रही है। इनकी वजह से हमें दुनियाभर में चरम जलवायु घटनाएं देखने को मिल रही है। इन बदलावों से कहीं जरूरत से ज्यादा बारिश आ जाने से बाढ़ आ जाती है तो कहीं बेहद कम बरसात होने से सूखे की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में धरती पर मौजूद प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करना बेहद अहम हो जाता है। इसी विषय में जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व भर में आज वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाया जा रहा है। इसे हर साल 2 फरवरी को मनाया जाता है। दरअसल 2 फरवरी 1971 को कन्वेंशन ऑन वेटलैंड पर हस्ताक्षर हुए थे। इस कन्वेंशन पर ईरान के शहर ‘रामसर’ में हस्ताक्षर हुए थे।
रामसर कन्वेंशन क्या है?’
‘कन्वेंशन ऑन वेटलैंड” को ”रामसर कन्वेंशन” के नाम से जाना जाता है। ‘विश्व आर्द्रभूमि दिवस’ को पहली बार 1997 में मनाया गया था। वेटलैंड एक ऐसी भूमि होती है जो जल से ढकी हो या जिसकी सतह के नजदीक हमेशा जल मौजूद हो। वेटलैंड में पूरा साल या साल के ज्यादातर समय जल मौजूद रहता है। इसमें बाढ़ वाले मैदा, दलदल, तालाब और मानव निर्मित वेटलैंड भी शामिल हैं।
हमारे लिए क्यों है अहम ?
गौरतलब हो, जैव विविधता के लिए वेटलैंड बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। वेटलैंड्स जल संरक्षण में भी भूमिका निभाते हैं। वेटलैंड्स पानी को भी प्रदूषित होने से बचाते हैं। दुनियाभर के वेटलैंड्स में पक्षियों और जानवरों की दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। वेटलैंड्स एक तरह के प्राकृतिक स्पंज का काम करते हैं। वेटलैंड्स बारिश और बाढ़ के समय अतिरिक्त पानी सोखने का काम करते हैं। वहीं शुष्क महीनों में वेटलैंड्स नदियों के प्रवाह को भी नियंत्रित करते हैं।
भारत में कितनी वेटलैंड्स साइट्स ?
यदि भारत की वेटलैंड्स साइट्स की बात करें तो यहां कुल 75 वेटलैंड्स साइट्स ऐसी है जो रामसर साइट्स में शामिल हैं। ज्ञात हो, पिछले 9 साल में भारत की करीब 49 वेटलैंड्स साइट्स को रामसर साइट्स में शामिल किया गया है। वहीं भारत की 13 लाख हेक्टेयर भूमि रामसर साइट्स के अंतर्गत आती है। भारत की सबसे बड़ी वेटलैंड साइट सुंदरबन साइट है। इस बार के वेटलैंड डे का थीम इट्स टाइम फॉर वेटलैंड्स रिस्टोरेशन रखा गया है। इसी दिशा में काम करते हुए हमें वेटलैंड्स को पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी मुसीबतों से बचाना चाहिए। साथ ही वर्ल्ड वेटलैंड डे के मौके पर और जागरूकता फैलाने की जरूरत है ताकि प्राकृतिक पर्यावरण के इन हिस्सों को संरक्षित कर ज्यादा से ज्यादा जैव विविधता को बचाया जा सके।
वेटलैंड्स के प्रकार:

तटीय वेटलैंड्स: मैंग्रोव्स, एस्टुरीज, खारे पानी की दलदली भूमि, लैगून आदि
अंतर्देशीय आर्द्रभूमि: दलदली भूमि, झीलें, जलयुक्त दलदली वन भूमि, नदी, बाढ़ और तालाब
मानव निर्मित वेटलैंड्स: मछली के तालाब, नमक बनाने वाला तालाब और धान के खेत जहां पानी रुका हो ।