जानें, कैसे कपास का उत्पादन बढ़ाने में केंद्र सरकार कर रही प्रयास, किसानों को होगा लाभ

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली, फरवरी 3:- भारत में अब खेती केवल दो जून की रोटी का बंदोबस्त करने तक सीमित नहीं रही बल्कि आज के युग की खेती एक उद्योग की तरह तेजी से फल-फूल रही है। यह करोड़ों लोगों का पेट भी पाल रही है। दरअसल, बड़े-बड़े उद्योग आज खेती पर ही निर्भर हैं। इन्हीं में से एक है भारत में कपास की खेती। यही कारण है कि केंद्र सरकार भगीरथ प्रयासों से कपास के उत्पादन को और अधिक बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इससे किसानों को अच्छी कमाई के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
चूंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए इसकी दो-तिहाई जनसंख्या खेती कार्यों में संलग्न है। यहां खेती एक प्राथमिक क्रिया है जो हमारे लिए अधिकांश खाद्यान्न उत्पन्न करती है। खाद्यान्नों के अतिरिक्त यह विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल भी पैदा करती है। यूं तो तमाम उत्पाद भारत से दूसरे देशों में निर्यात किए जाते हैं, लेकिन यहां कपास के बारे में बताना चाहेंगे। दरअसल, बीते कुछ साल से भारत ने जैविक कपास उत्पादन में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। जी हां, देश में जैविक कपास का उत्पादन बीते वर्ष अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि आखिर यह कैसे संभव हुआ…
डिजिटल ट्रेनिंग
दरअसल, सरकार ने किसानों को कपास की खेती के लिए डिजिटल ट्रेनिंग दिलाने की व्यवस्था की है। इससे कपास के उत्पादन के लिए किसानों को नए-नए तरीके पता चलेंगे। वहीं डिजिटल एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान को सरकार की सारी योजनाओं की जानकारियां अपने मोबाइल पर ही मिल जाएंगी और किसान को बिचौलिए ठग नहीं पाएंगे।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)मॉडल पर जोर
बजट 2023-24 में पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप (PPP) मॉडल पर कपास की खेती को बढ़ावा दिए जाने की बात कही गई है। इस दिशा में किसानों के लिए सहकार से समृद्धि प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसके जरिए 63 हजार एग्री सोसाइटी को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा। यानि किसानों के लिए किसान डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म तैयार कर किसानों के लिए जरूरत से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
कॉटन को प्रमोशन देने से भारत को मिलेगी आर्थिक शक्ति
कॉटन को PPP योजना के तहत प्रमोशन देने से भारत की आर्थिक शक्ति मजबूत होगी। कॉटन चेन रिएक्शन से एक समय में ब्रिटेन और अमेरिका सुपर पावर बने। उल्लेखनीय है कि अब भारत भी PPP योजना के तहत कॉटन को प्रमोशन देकर आर्थिक रूप से और अधिक सशक्त होगा।
दुनिया में बेहतर किस्म के कपास की आपूर्ति करने वाला अकेला देश होगा भारत

उल्लेखनीय है कि देश में इस बदलती तस्वीर को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि पूरी कपास उपादेयता श्रृंखला यानि खेत से मिल तक की सभी गतिविधियों के सामूहिक प्रयासों से आने वाले वर्षों में भारत न सिर्फ कपास सम्बंधी हर क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बन जाएगा, बल्कि दुनिया में बेहतर किस्म के कपास की आपूर्ति करने वाला अकेला देश हो जाएगा। भारत ने कपास कात-कातकर ही आजादी हासिल की। इसलिए भी आज हम प्रतिबद्ध हैं कि कपास कातकर ही हम सबके भविष्य को समृद्ध करेंगे। इसलिए भी वर्तमान केंद्र सरकार इस बात को समझते हुए कपास की खेती पर अधिक जोर दे रही है।
भारत में सबसे ज्यादा होती है रकबे पर कपास की खेती
दुनिया में भारत में सबसे ज्यादा रकबे पर कपास की खेती की जाती है। यहां 133.41 लाख हेक्टेयर में कपास उगाया जाता है, यानि विश्व भर के 319.81 लाख हेक्टेयर रकबे से 42% अधिक रकबे पर कपास की पैदावार होती है। भारत में लगभग 67% कपास की पैदावार बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में और 33% कपास की पैदावार सिंचित क्षेत्रों में होती है।
विश्व में भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश
विश्व में भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में तकरीबन 360 लाख गांठ यानि 6.12 मिलियन मीट्रिक टन कपास पैदा होती है, जो पूरी दुनिया में पैदा होने वाले कपास का करीब 25% है। भारत, विश्व में कपास का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भी है। यहां एक अनुमान के अनुसार 303 लाख गांठों की खपत हो जाती है।साठ लाख 50 हजार से अधिक किसान सीधे कपास की खेती से जुड़ेयह करीब साठ लाख 50 हजार कपास किसानों को रोजी-रोटी देता है। वहीं लगभग पांच करोड़ लोग कपास प्रसंस्करण और व्यापार जैसी सम्बंधित गतिविधियों में लगे हुए हैं। ये सभी आज कपास की खेती कर अपना पेट पाल रहे हैं। इस क्षेत्र में ग्रोथ की और अधिक संभावनाएं हैं। ऐसे में सरकार द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं।
किन-किन देशों में होता है भारत के कपास का निर्यात
भारत से कपास का निर्यात बांग्लादेश, चीन, वियतनाम, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, श्रीलंका और अन्य देशों को निर्यात किया गया है। क्योंकि इन पड़ोसी देशों में कपास का उत्पादन कम होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
कम जमीन में हो सकती है कपास की खेती
लघु किसान भी कपास की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। दरअसल, भारत के जैविक कपास की डिमांड आज देश-दुनिया में बढ़ गई है और भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो इस मांग की पूर्ति कर सकता है। दरअसल, भारत को कपास के फूल का मूल स्थान माना जाता है और सूती कपड़ा उद्योग में कपास एक मुख्य कच्चा माल है। ऐसे में लघु किसान इस खेती को अपनाकर अपनी कमाई में भी इजाफा कर रहे हैं।
2025-26 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर के कपास निर्यात का लक्ष्य
कपास उत्पादन के क्षेत्र में सरकार के तेज होते प्रयासों और उनके परिणामों से साफ है कि अब वो दिन दूर नहीं होगा जब भारत 100 अरब अमेरिकी डॉलर के कपास निर्यात को लक्ष्य को प्राप्त करेगा। यानि भारत अब उस स्थिति में आ चुका है जब वह 350 अरब अमेरिकी डॉलर वाले बाजार तक पहुंचने जैसी अधिक बड़ी चुनौतियों का सामना करने को तैयार है।