वेस्ट टू वेल्थ प्लांट विकसित करने के लिए आवासन और शहरी मंत्रालय ने 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के साथ किया समझौता

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली, फरवरी 3 :- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को साल 2023-2024 का बजट पेश किया। बजट में उन्होंने अमृत काल के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करने वाली सात प्राथमिकताओं या ‘सप्तऋषि’ का जिक्र किया है। इन प्राथमिकताओं में हरित विकास खंड के तहत सूचीबद्ध सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने के लिए गोबर-धन योजना के तहत 500 नए वेस्ट टू वेल्थ प्लांट्स की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है। कुल 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इनमें 200 कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट, 75 शहरी क्षेत्रों में, 300 समुदाय या क्लस्टर-बेस्ड प्लांट शामिल होंगे।
10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के साथ समझौता
बजट में जिक्र की गई सात प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मिथेनेशन प्रोजेक्ट्स विकसित करने के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर किया है। इसमें स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत स्थायी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर जोर दिया गया है। इस उद्देश्य के मद्देनजर मंत्रालय ने दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की श्रेणी में बड़े पैमाने पर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग की सुविधाएं स्थापित करने का निर्णय लिया है।
कौन से हैं वो शहर
दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में लखनऊ, कानपुर, बरेली, नासिक, ठाणे, नागपुर, ग्वालियर, चेन्नई, मदुरै, कोयंबटूर जैसे देश के कुल 59 शहर शामिल हैं। इन दस लाख से ज्यादा आबादी वाली श्रेणी के शहरों में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को बायो-मिथेनेशन प्लांट्स के जैविक/गीले अंश के मैनेजमेंट के लिए प्रस्तावित किया गया है।
क्या है वेस्ट टू एनर्जी प्लांट
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट, म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट से आने वाले सूखे कचरे के अंश का उपयोग करते हैं और SWM नियम 2016 का अनुपालन करते हुए निष्पादन करते है। निष्पादन में कम से कम जगह का उपयोग कर कचरे की मात्रा में अधिकतम कमी के साथ अक्षय ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। साथ ही ये पर्यावरण संरक्षण के वैधानिक मानदंडों को भी पूरा करते हैं। वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मीथेनेशन प्रोजेक्ट्स म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के सूखे और गीले कचरे से हरित ऊर्जा का उत्पादन करके वेस्ट मैनेजमेंट में सर्कुलेरिटी की अवधारणा को एकीकृत करते हैं। बिजली और बायो-सीएनजी जैसे बाइ-प्रोडक्ट भी वेस्ट मैनेजमेंट के कामों में स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है।
इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड की होगी अहम भूमिका
इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL), वेस्ट मैनेजमेंट में सर्कुलेरिटी को एकीकृत करने वाले कचरे की बड़ी मात्रा के लिए ऐसी परियोजनाओं को विकसित करने में इन शहरों की सहायता करेगा। पहले चरण में, 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 25 शहरों को बड़े पैमाने पर कचरे से बिजली और बायो-मीथेनेशन विकसित करने के लिए चुना जाएगा। इस प्रकार, इस साझेदारी में EIL द्वारा प्राप्त प्रारंभिक तकनीकी मूल्यांकन और ट्रांजेक्शन एडवाइजरी सेवाओं में किए जा रहे सहयोग का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। निर्माण के दौरान EIL इन PPP प्रोजेक्ट्स की निगरानी करने में शहरी स्थानीय निकायों की मदद करेगा और वैधानिक अनुमोदन भी प्राप्त करने में मदद करेगा।
पहल की शुरुआत पीएम मोदी ने की थी

फरवरी 2022 में पीएम मोदी ने इंदौर में एशिया के सबसे बड़े म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट बेस्ड गोबर-धन प्लांट की शुरुआत की थी। इसका लक्ष्य 19 हजार किलोग्राम बायो-सीएनजी गैस उत्पन्न करना है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, गोबर-धन और ‘सतत’ योजनाओं से जुड़े ये बायो-मिथेनेशन प्लांट अक्षय ऊर्जा के रूप में बायो-सीएनजी का उत्पादन करेंगे।
दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के लिए ये प्रोजेक्ट्स अतिरिक्त 15 हजार टीपीडी जैव-मिथेनेशन क्षमता और 10 हजार टीपीडी वेस्ट टू एनर्जी क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखते हैं। शहरों को ‘कचरा मुक्त’ बनाने के विजन के तहत एसबीएम-यू 2.0 का उद्देश्य डंपसाइट्स निर्माण और डेमोलेशन वेस्ट और प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन के बायो-उपचार के साथ-साथ 100% वेस्ट प्रोसेसिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित है।