विश्व कैंसर दिवस आज, जानें कैंसर की रोकथाम के लिए क्या है केंद्र सरकार की पहल

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली, फरवरी 4 :-दुनिया भर के लोगों को कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एकजुट करने के लिए विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए हर साल एक नई थीम भी जारी की जाती है। इस साल विश्व कैंसर दिवस 2023 की थीम ”क्लोज द केयर गैप” है।
विश्व कैंसर दिवस क्यों मनाया जाता है
हर साल विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को इसलिए मनाया जाता है जिससे लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक किया जा सके और उन्हें इसकी रोकथाम, शीघ्र पहचान और उपचार के बारे में सूचित और प्रोत्साहित किया जा सके।
विश्व कैंसर दिवस का इतिहास
वैश्विक स्तर पर कैंसर के खिलाफ कार्य करने के लिए अग्रणी संस्था यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) की स्थापना 1993 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में की गई थी। कैंसर के खिलाफ लड़ाई में यह संस्था प्रमुख भूमिका निभाती है। वैश्विक स्तर पर कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने एवं आम जनमानस को इस रोग के प्रति जागरूक करने के लिए UICC द्वारा 4 फरवरी साल 2000 को विश्व कैंसर दिवस को मनाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद से प्रतिवर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।भारत में कैंसर की स्थितिपिछले कुछ सालों में भारत में कैंसर तेजी से उभर रहा है, जो एक चिंता का विषय है। साल 2020 में, भारत में अनुमानित 1.39 मिलियन लोग कैंसर से पीड़ित थे। वैश्विक स्तर पर भी कैंसर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में सरकारी हेल्थ केयर सिस्टम में विभिन्न स्तरों पर कैंसर का निदान और उपचार किया जा रहा है। सरकार ने हाल के वर्षों में कैंसर की चुनौती से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें कैंसर की रोकथाम, नियंत्रण, जांच और देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है। स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, मुंह का कैंसर, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर भारत में पांच सबसे अधिक होने वाले कैंसर हैं।

आयुष्मान भारत के तहत कैंसर का निदान और उपचार
फरवरी 2018 में भारत सरकार द्वारा देश भर में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (AB-HWCs) की स्थापना की घोषणा की गई थी। अन्य सामान्य गैर-संचारी रोगों के साथ-साथ तीन सामान्य कैंसर यानी मौखिक, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा की जांच AB-HWC के तहत की जाती है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से कैंसर के इलाज के खर्च में काफी हद तक कमी आयी है। सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 डेटाबेस से पहचाने गए 10.74 करोड़ से अधिक लाभार्थी परिवारों को प्रति परिवार हर साल 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में कैंसर उपचार के हिस्से के रूप में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के साथ कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी पैकेज कवर किए जाते हैं।
केंद्र सरकार के जागरूकता प्रयास
तंबाकू सेवन कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है। सरकार की तरफ से तंबाकू उत्पादों के उपयोग को हतोत्साहित करने के उपाय किए जा रहे हैं। कैंसर के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए सरकार निरंतर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का उपयोग कर रही है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के माध्यम से स्वस्थ भोजन को भी बढ़ावा दिया जाता है।
कैंसर की देखभाल के लिए सुविधाएं बढ़ाना
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तत्वावधान में स्थापित किए जा रहे नए एम्स में ऑन्कोलॉजी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अब तक 19 राज्य कैंसर संस्थान (SCI) और 20 तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र (TCCC) को मंजूरी दी जा चुकी है। NPCDCS के तहत, 707 जिला गैर-संचारी रोग (NCD) क्लीनिक, 268 जिला डे केयर सेंटर और 5541 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं। सिक्किम, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, तमिलनाडु और केरल में अब तक छह संस्थान पूरे भी हो चुके हैं।

केंद्र सरकार की अन्य पहल
• भारत में होने वाले कैंसरों में सर्वाइकल कैंसर दूसरे स्थान पर है। सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए भारत ने अपना पहला स्वदेशी विकसित टीका ‘सर्ववैक’ लॉन्च किया है।
• रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने 390 एंटी-कैंसर गैर-अनुसूचित दवाओं की MRP में 87% तक की कमी की है। कैंसर रोगियों के लिए औसत खर्च अन्य बीमारियों की तुलना में 2.5 गुना अधिक होता है। केंद्र सरकार के इस कदम से देश में कैंसर रोगियों को लाभ हुआ है।
• चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना को 20 मार्च, 2020 को मंजूरी दी गई थी। योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 3,420 करोड़ रुपये है।
• सरकार ने कैंसर के उपचार को विकसित करने के लिए आयुर्वेद में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। सरकार द्वारा एक स्वायत्त संगठन के रूप में स्थापित सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (CCRAS) ने कैंसर से संबंधित अनुसंधान की है। इसने कैंसर रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए आयुष QOL2C को विकसित किया है साथ ही ये चिकित्सा पद्धतियों के दस्तावेज़ीकरण में भी शामिल है।