रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता भारत, पीएम मोदी HAL की हेलीकॉप्टर फैक्ट्री राष्ट्र को करेंगे समर्पित

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली, फरवरी 5 :- रक्षा के क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए पीएम मोदी आगामी 6 फरवरी को कर्नाटक के तुमकुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की एक हेलीकॉप्टर फैक्ट्री को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहेंगे। इस लेख में हम इस हेलीकॉप्टर फैक्ट्री की खासियत और इससे होने वाले फायदों पर भी एक नजर डालेंगे।
सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर निर्माण सुविधाकेन्द्र
ग्रीनफील्ड हेलीकॉप्टर फैक्ट्री 615 एकड़ भूमि में फैली हुई है। यह भारत का सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर निर्माण सुविधा केन्द्र है। इसमें शुरुआत में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) का निर्माण होगा। प्रारंभ में, यह फैक्ट्री प्रति वर्ष लगभग 30 हेलीकाप्टरों का निर्माण करेगी। बाद में इसको चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर 60 और फिर 90 हेलीकॉप्टर प्रति वर्ष किया जा सकता है। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) और भारतीय मल्टीरोल हेलीकॉप्टर (IMRH) जैसे अन्य हेलीकॉप्टरों का निर्माण करने के लिए फैक्ट्री में क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा।
वन-स्टॉप समाधान
इस फैक्ट्री का उद्देश्य देश की सभी हेलीकॉप्टर आवश्यकताओं के लिए वन-स्टॉप समाधान बनना है। इसका उपयोग भविष्य में LCH, LUH, सिविल एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) और IMRH के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल के लिए भी किया जाएगा। सिविल LUH के संभावित निर्यात की भी इस फैक्ट्री से पूर्ति की जाएगी। LUH स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित 3-टन वर्ग, एकल इंजन बहुउद्देश्यीय उपयोगिता हेलीकॉप्टर है जिसमें उच्च गतिशीलता की अनूठी विशेषताएं हैं। पहले LUH का उड़ान परीक्षण किया जा चुका है और यह अनावरण के लिए तैयार है।

रोजगार के अवसर पैदा होंगे
HAL की योजना 20 वर्षों की अवधि में चार लाख करोड़ रुपये से अधिक के कुल कारोबार के साथ 3 से 15 टन की सीमा के बीच 1,000 से अधिक हेलीकाप्टरों का निर्माण करने की है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। इसके अलावा तुमकुरु सुविधा केन्द्र अपने CSR गतिविधियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर समुदाय केंद्रित कार्यक्रमों के जरिए अपने आसपास के क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देगी। इन सबके परिणामस्वरूप क्षेत्र के लोगों के जीवन में सुधार आएगा। ये फैक्ट्री बेंगलुरु में मौजूद HAL कारखाने के पास है। ये निकटता क्षेत्र में एयरोस्पेस विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी। इससे उस इलाके में स्कूलों, कॉलेजों और आवासीय क्षेत्रों जैसे बुनियादी ढांचों का निर्माण होगा। साथ ही चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल का लाभ निकटवर्ती विभिन्न पंचायतों में रहने वाले समुदाय तक भी पहुंचेगा।
आधारशिला 2016 में रखी गई थी
हेली-रनवे, फ्लाइट हैंगर, फाइनल असेंबली हैंगर, स्ट्रक्चर असेंबली हैंगर, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और विभिन्न सहायक सेवा सुविधाओं के साथ ये यह फैक्ट्री पूरी तरह से ऑपरेशनल है। इस फैक्ट्री को अपने ऑपरेशन के लिए अत्याधुनिक उद्योग 4.0 मानक उपकरणों और तकनीकों से लैस किया जा रहा है। इस सुविधा केन्द्र की आधारशिला 2016 में पीएम मोदी द्वारा रखी गई थी। यह फैक्ट्री भारत को बिना आयात के हेलीकॉप्टरों की अपनी संपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम बनाएगी और हेलीकॉप्टर डिजाइन, विकास और विनिर्माण में पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को प्रोत्साहन देगी।
पिछले पांच वर्षों में रक्षा निर्यात आठ गुना बढ़ा
भारत की बढ़ती रक्षा औद्योगिक क्षमताओं में विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं जो विशेष रूप से ड्रोन, साइबर-टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रडार आदि के उभरते हुए क्षेत्रों से संबंध रखते हैं। एक मजबूत रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम बनाया गया है, जिसके कारण भारत अभी हाल के वर्षों में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में उभरा है। पिछले पांच वर्षों में रक्षा निर्यात आठ गुना बढ़ा है और अब भारत 75 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है। उल्लेखनीय है कि भारतीय रक्षा उद्योग परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी बदलाव का सबसे बड़ा हिस्सा है।
इस बार रक्षा बजट भी बढ़ा
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फ़रवरी को संसद में 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश किया। इसमें रक्षा क्षेत्र के लिए होने वाले खर्चों का भी ब्योरा दिया गया है। इस बार फिर रक्षा बजट में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस साल रक्षा बजट 5.94 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है, जो कि 2022-23 के 5.25 लाख करोड़ रुपये के बजट से 12.95 फीसदी ज्यादा है। जिसमें पूंजीगत व्यय के लिए कुल 1.62 लाख करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। इनमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजो सामान की खरीद शामिल है।