नैनो यूरिया क्या है और इसके उपयोग से कृषि के क्षेत्र में कैसे आया क्रांतिकारी बदलाव, जानें सबकुछ

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली, फरवरी 5:- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने झारखंड के देवघर में IFFCO नैनो यूरिया प्लांट के पांचवी यूनिट का भूमिपूजन और शिलान्यास किया। नैनो यूरिया की देवघर इकाई बनने से यहां प्रतिवर्ष लगभग 6 करोड़ तरल यूरिया की बोतलों का निर्माण किया जाएगा। इससे नैनो यूरिया आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी और भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। केंद्र सरकार नैनो यूरिया के उत्पादन बढ़ाने का निरंतर प्रयास कर रही है। इस लेख में हम नैनो यूरिया का कृषि में उपयोग और इससे होने वाले फायदों पर एक नजर डालेंगे।
नैनो यूरिया क्या है
नैनो यूरिया किसानों के लिए स्मार्ट कृषि और जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने का एक स्थायी विकल्प है। ये उर्वरक के रूप में पौधों की नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता है। क्योंकि नैनो यूरिया के कण का आकार लगभग 20-50 नैनो मीटर होता है। इससे इसका सतह क्षेत्र दानेदार यूरिया से 10 हजार गुना अधिक हो जाता है। इस कारण से नैनो यूरिया दानेदार यूरिया की तुलना में कम लगता है और अधिक प्रभावी होता है।
क्यों उपयोगी है नैनो यूरिया
नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है। नाइट्रोजन पौधों में कार्बोहाइड्रेट्स , प्रोटीन के निर्माण एवं पौधे की वृद्धि के लिए उपयोगी है। सामान्यतया, एक स्वस्थ पौधे में नाइट्रोजन की मात्रा 1.5 से 4 फीसदी तक होती है। छिटकवां विधि में यूरिया पौधों की जड़ पर पड़ता है जबकि इसमें सीधे पत्तियों पर छिड़काव होगा। नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूरी होती है। इसके नैनो कणों के कारण इसकी अवशोषण क्षमता 80 प्रतिशत से भी अधिक पाई गई है, जो कि सामान्य यूरिया की तुलना में बहुत अधिक है।

500 मि.ली. की एक बोतल सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर
बताना चाहेंगे कि यूरिया की एक पूरी बोरी की शक्ति अब आधी लीटर की बोतल में आ चुकी है, जिससे परिवहन और भंडारण में भी बहुत बचत हुई है। इफको नैनो यूरिया तरल की 500 मि.ली. की एक बोतल सामान्य यूरिया के कम से कम एक बैग के बराबर है। नैनो यूरिया प्रभावी रूप से फसल की नाइट्रोजन आवश्यकता को पूरा करता है। जिससे फसल अच्छी होती है। फसल उत्पादकता में वृद्धि और लागत में कमी करके किसानों की आय में वृद्धि करता है। उच्च दक्षता के कारण, यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को 50% या उससे अधिक तक कम कर सकता है। नैनो यूरिया तरल का आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है, जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी।
पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद
प्राकृतिक जैव विविधता बनाए रखने के लिए ही नैनो तरल यूरिया का अनुसंधान किया गया है। केमिकल फर्टिलाइजर भूमि में उपस्थित कुदरती खाद बनाने वाले केंचुओं को मार देता है। वहीं तरल यूरिया का छिड़काव भूमि को किसी भी प्रकार से विषाक्त नहीं करता। जिससे मिट्टी में पाए जाने वाले रोगाणुओं और अन्य जीवित जीवों जैसे केंचुओं पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह तरल नैनो यूरिया मिट्टी, हवा और पानी की गुणवत्ता के संरक्षण में मदद करता है।
भारत का आयातक से निर्यातक तक का सफर
आज लगभग 5 देशों में तरल यूरिया का निर्यात किया जा रहा है। इफको द्वारा बनाया गया यह तरल यूरिया न केवल भारत के बल्कि विश्व के किसानों की भी मदद करेगा। भारत कभी यूरिया को आयात करता था लेकिन पीएम मोदी द्वारा यूरिया के कई कारखाने पुनर्जीवित किए गये। जिससे भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इससे किसान की भूमि भी संरक्षित रहेगी और उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
जैविक खेती को भी मिलेगा बढ़ावा

सरकार के तय लक्ष्य के मुताबिक और जिस तेजी से इस दिशा में कार्य किया जा रहा है उन सभी के फलस्वरूप 2025 तक देश यूरिया उत्पादन में तो आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा, साथ ही साथ जैविक खेती में भी भारत कहीं अधिक आगे निकल जाएगा। भारत सरकार देश में किसानों को जैविक खेती करने का बढ़ावा दे रही है, इससे देश में उर्वरक की खपत में काफी कमी आएगी। इस प्रकार देश आज तरक्की की नई राह बुन रहा है।