भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित कर रहा इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम

आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट

दिल्ली, 11 फरवरी:- भारतीय परिवहन क्षेत्र की 80% जरूरत पेट्रोल जैसे जीवाश्म पर निर्भर है। भारत की ये जरूरतें इथेनॉल के जरिए ही हासिल हो सकती है। इथेनॉल चावल, मक्का और गन्ने जैसे खाद्यान्नों से उत्पन्न होता है। इसलिए ये दुनिया में महंगे होते जा रहे पेट्रोल-डीजल उत्पाद का एक अच्छा व सस्ता विकल्प बन रहा है। महंगे होते पेट्रोल-डीजल की सबसे बड़ी वजह है कच्चे तेल के आसमान छूते दाम। ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम में गिरावट लाने के लिए ही केंद्र सरकार के प्रयासों से इथेनॉल जैसा सस्ता विकल्प अपनाया जा रहा है।
इथेनॉल के इस्तेमाल पर सरकार का खास जोर
सरकार पिछले कई सालों से इथेनॉल की ब्लेंडिंग पर जोर दे रही है। वहीं इसका दूसरा बड़ा फायदा ये भी है कि यह पर्यावरण की सुरक्षा में भी अहम योगदान दे रहा है। जी हां, इथेनॉल के इस्तेमाल से भारत में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में करीब 27 लाख मीट्रिक टन की कमी आई है।दरअसल, एथेनॉल से करीब 35 फीसदी कम मोनोऑक्साइड निकलता है। यह कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है। इससे हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी कम होता है। एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है। सबसे बड़ी बात एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ेगा तो इससे किसानों को भी फायदा होगा, क्योंकि एथेनॉल गन्ने से बनता है।
साल 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी तक एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य
यही कारण है कि केंद्र सरकार ने साल 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी तक एथेनॉल मिलाने यानी ब्लेंडिंग का टारगेट रखा गया है। पहले यह लक्ष्य 2030 तक हासिल करने की योजना थी, जिसे बाद में घटा दिया गया। एथेनॉल का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि यह ब्लेंडिंग में इस्तेमाल हो रहा है, जिससे गाड़ी में पड़ने वाला तेल तुलनात्मक रूप से सस्ता हो जाता है।
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए प्रमुख फोकस क्षेत्रों में इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम
गौरतलब हो, भारत सरकार का ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए प्रमुख फोकस क्षेत्रों में इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम यानि इथेनॉल ब्लेंडिग प्रोग्राम अहम रहा है। इस दिशा में सरकार द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों का नतीजा भी सकारात्मक रहा है। सरकार के प्रयासों का ही फल है कि 2013-14 से इथेनॉल की उत्पादन क्षमता में तकरीबन छह गुना बढ़ोतरी देखी गई है।
भारत सतत विकास के पथ पर
इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम और जैव ईंधन कार्यक्रम के तहत पिछले आठ वर्षों के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों से न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ी है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप 318 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन में भी कमी आई है। केवल इतना ही नहीं इससे देश को लगभग 54,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत सहित कई अन्य बड़े लाभ भी हुए हैं। परिणामस्वरूप, 2014-2022 के दौरान इथेनॉल आपूर्ति की दिशा में लगभग 81,800 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है और किसानों को 49,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हस्तांतरित किए जा चुके हैं।
ये रहा सरकार का इथेनॉल ब्लेंडिंग रोडमैप
इथेनॉल सम्मिश्रण के रोडमैप के क्रम में पीएम मोदी ने ’06 फरवरी 2023′ को ई20 ईंधन लॉन्च किया। इसी के साथ इथेनॉल सम्मिश्रण रोडमैप की तर्ज पर 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में तेल विपणन कंपनियों के 84 खुदरा दुकानों पर ई-20 ईंधन भी लॉन्च किया। ई20 पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण है। सरकार का लक्ष्य 2025 तक इथेनॉल के 20 प्रतिशत सम्मिश्रण को पूर्ण रूप से हासिल करना है। इसी कड़ी में तेल विपणन कंपनियां 2जी-3जी इथेनॉल संयंत्र स्थापित कर रही हैं जिससे इस दिशा में प्रगति आसान हो जाएगी।
जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने में मददगार
भारत वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को कम करने में अग्रणी रहा है और ऊर्जा परिवर्तन के अपने एजेंडे पर तेजी से कार्य कर रहा है। यह दर्शाता है कि भारत ऊर्जा की अपनी बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करने के बारे में अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए किस सीमा तक नवाचार करने को तैयार है। इसी क्रम में इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम पर काम किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा है कि, ‘हम इस दशक के अंत तक 50 परसेंट नॉन-फॉसिल फ्यूल कैपेसिटी का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। बीते 9 वर्षों में पेट्रोल में इथेनॉल ब्लेंडिंग को हम डेढ़ परसेंट से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर चुके हैं। अब हम 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं।’ ई-20 की शुरुआत के पहले चरण में 15 शहर शामिल होंगे और दो साल के भीतर इसका विस्तार पूरे देश में कर दिया जाएगा।उल्लेखनीय है कि भारत दो साल के भीतर यदि इस लक्ष्य को हासिल कर लेता है तो संभवत: यह इथेनॉल के 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत के तय लक्ष्य को भी हासिल कर लेगा। इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हाल ही में ग्रेटर नोएडा में एक ऑटो एक्सपो ‘द मोटर शो 2023’ में ‘इथेनॉल पवेलियन’ भी लगाया गया। एग्जीबिशन का मकसद यही रहा कि भारत में 20% इथेनॉल का लक्ष्य कैसे हासिल किया जाए, उसका रोडमैप यही से शुरू होता है। इस प्रकार भारत अपने इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहा है।इथेनॉल मिश्रित पेट्रोलियम 2014 में 1.53 फीसदी, 2022 में 10.17 फीसदी और 2025 तक 20 फीसदी तक ले जाने की योजनाबीते वर्षों में हुई ग्रोथ पर गौर करें तो इथेनॉल मिश्रित पेट्रोलियम साल 2014 में 1.53 फीसदी था जो कि साल 2022 में 10.17 फीसदी हो गया।
अब इसी को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोलियम यानि इथेनॉल अपने इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम को 2025 तक 20 फीसदी तक ले जाने की योजना बनाई है। ज्ञात हो भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर है। ऐसे में एथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के जीवन पर भी बेहतर प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि यह किसानों को आय का एक और स्रोत उपलब्ध कराता है।