भगवान श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास की कथा सुनकर हजारों श्रद्धालु हुए भाव विभोर
आर पी डब्लू न्यूज़/धर्मेंद्र अदलखा
प्रताप आडिटोरियम में हो रही संगीतमय रामकथा
अलवर, 13 फरवरी:- अलवर शहर के प्रताप आडिटोरियम में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के छठें दिन संत शंभू शरण लाटा ने भगवान श्रीराम के वनवास की कथा सुनाई तो पूरा सभागार भाव विभोर हो गया। केकई ने जब कोप भवन में राजा दशरथ से लक्ष्मण को राज तिलक और राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगा। यह सुनकर राजा दशरथ तो मुर्षित हो गए। यह सुनकर श्रद्धालुओं की आंखें भर आई।प्रताप आडिटोरियम में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा में संत शंभू शरण लाटा ने कहा कि जिसका संबंध प्रभु से है, वह हर पल आनंद में जीता है। पढ़ाई का अर्थ पहले ज्ञान से था जो अब धन अर्जित करने से हो गया है। धन कमाते-कमाते इंसान का निधन हो जाता है लेकिन उसकी तृष्णा नहीं मिटती है। इस संसार में दूसरों के सुख से जलना ही सबसे बड़ी जलन बन गई है। यदि आपकी कोई गलती है तो इसे स्वीकार करें।मां ने लक्ष्मण को वन में राम की सेवा करने भेजा:संत शंभू शरण लाटा ने कथा में कहा कि भगवान श्रीराम के वनवास होने पर लक्ष्मण मां के पास गए। मां सुमित्रा ने उन्हें स्वयं ही राम के साथ वन में जाने को कहा। मां ने भाई की तरह नहीं सेवक की तरह रहने की शिक्षा दी। संत ने कहा कि वर्तमान में युवाओं के पास सबके लिए समय है लेकिन मां बाप के लिए समय नहीं है। मां-बाप को औलाद के समय देने की बहुत जरूरत है जिन्हें संसाधनों की आवश्यकता नहीं है। कथा के मीडिया प्रभारी सौरभ कालरा ने बताया कि कथा स्थल आडिटोरियम में काफी तादाद में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कथा का समापन 16 फरवरी को होगा। यह कथा पूरी तरह संगीतमय है। कथा के आयोजक डॉ. गोपाल रॉय चौधरी ट्रस्ट और मानस ब्रांड हैं।