राम और भरत मिलाप की कथा में भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
आर पी डब्लू न्यूज़/धर्मेंद्र अदलखा
संगीतमय रामकथा को सुनने श्रद्धालुओं की भीड़, बालकॉनी तक फुल होने से अतिरिक्त लगी कुर्सियां
अलवर,14 फरवरी:- अलवर के प्रताप आडिटोरियम में संगीतमय श्रीरामकथा की छठें दिन अयोध्या के राजा जनक की मृत्यु, भरत ककई संवाद और चित्रकूट में श्रीराम और भरत मिलाप की भावपूर्ण कथा हुई जिसे सुनकर अश्रु धारा बहने लगी। मंगलवार की कथा में इतने अधिक श्रद्धालु थे कि उन्हें आडिटोरियम की बालकॉनी में बैठना पड़ा और अतिरिक्त कुर्सियां लगाई गई।रामकथा में सुनने वालों के लिए व्हील चेयर सहित बुजुर्गों के लिए सोफों की व्यवस्था की गई थी। यह पूरी कथा संगीतमय धारा प्रवाह होती है जिसे सुनने में श्रोताओं को आनंद आता है।माता-पिता की सेवा में कथा बाधा नहीं बनेकथा संयोजक मंजू चौधरी अग्रवाल ने बताया कि रामकथा में संत शंभू शरण लाटा ने कहा कि श्रवण की मां-बाप की सेवा के प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मां-बाप की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। माता-पिता की सेवा में श्रीराम कथा भी बाधा बनती है तो उसकी बजाए सेवा को प्राथमिकता देनी चाहिए। किसी को दिल नहीं दुखाना चाहिए। हम भाग्य में लिखे को तो नहीं बदल सकते लेकिन हम भजन से अगले जन्म को सही रास्ते पर ले जा सकते हो। कथा के मीडिया कोर्डिनेटर सौरभ कालरा के अनुसार इस कथा का समापन 16 अगस्त को होगा। कथा में चढ़ावा नहीं लिया जाएगा और बिना पास के निशुल्क प्रवेश है। कथा के आयोजक मानस ब्रांड और डॉ. गोपाल रॉय चौधरी ट्रस्ट है।