
चंडीगढ़/पंचकूला 18 फरवरी
आखिर कब तक प्रताड़ित होती रहेगी आज की नारी ?
कितना सही था धर्म के नाम पर अकेली छात्रा पर मिलकर चिलाना ?
अकबर जमी पर गेरते कोमी से गढ़ गया ,
पूछा जो मेने आपका पर्दा वो क्या हुआ ,
कहने लगी कि अक्ल पर मर्दो पर पढ़ गया ।
एडवोकेट सिम्पल छाबड़ा द्वारा
कई बार बहुत खुशी होती है जब यह सुनने को आता है कि हमारा भारत देश 21वीं शताब्दी की ओर अग्रसर हो इक नये भारत की शुरुआत कर दुनिया मे एक नया कीर्तिमान स्थापित कर अपनी विकास के प्रति पहचान बतलायेगा ।
मगर जब महिलाओं के प्रति पुरुष प्रधान देश भारत में कुछ पुरुषों द्वारा उनकी मानसिकता की बात पर आती है तब हर नारी का सर शर्म से झुक जाता है । कि क्या ये है भारत देश का इतिहास ? अगर हम भारत का इतिहास उठा कर देखे तो उसमें साफ साफ नजर आता है कि जब जब जिस सम्राज्य में नारी का अपमान हुआ है उस उस सम्राज्य का पतन स्पष्ट नजर आता है ।
लेकिन लगता है कि इतिहास के ज्ञान की जानकारी के बाद भी हमारे देश के कुछ पुरुष नारी के प्रति अपनी मानसिकता बदलने को तैयार नही आखिर क्यों ?
आज भारत देश की नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनसे बेहतर कार्य हर क्षेत्र में कर रही हैं । चाहे वो देश की सरहद पर देश की रखवाली हो , व्यपार का क्षेत्र हो , पुलिस , वकील , डाक्टर या अन्य कोई भी कार्य हो नारी की मौजूदगी आपको नजर आयेगी । लेकिन फिर ऐसा क्या कारण है कि कुछ मर्द जात की नजर नारी के मामले में साफ नही है ?
आजादी के 74 साल बाद भी हमारी सरकार को ( बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ ) का नारा बुलंद करना पड़ रहा है । नारी जब घर से निकलती है तो परिवार को जब तक वह घर नहीं आ जाती तब तक चिन्ता रहती है , दहेज प्रथा , शोषण , रेप , बलात्कार जैसी घटनाये हर दिन हमें समाचार पत्रों के माध्यम से पड़नी पढ़ती है आखिर क्यों ? क्या अकेली छात्रा के साथ धर्म के नाम पर एकजुट हो नारे लगाना सही था ? ऐसे कितने सवाल नारी की रक्षा के लिये हमारे जहन में घर किये बैठे है मगर किसी के पास इसका जवाब नही ।
आखिर कब तक नारी के प्रति पुरुषों की मानसिकता बदलेगी । इस पर मुझे आप सब देश वासियों के सुझाव का इंतजार रहेगा । कब तक नारी अपने अधिकारों के लिये सँघर्ष करती रहेगी ।