
चंडीगढ़/पंचकूला 16 मार्च
370 धारा के होने व ना होने से आवाम ने क्या खोया क्या पाया ?
क्या सच मे कश्मीर भारत का अभिन्न अंग माना जाता है या सिर्फ एक राजनैतिक नारा हो के रह गया है ।कितनी देश की आवाम कश्मीर के इतिहास के विषय में जानती है । जिस प्रकार से एक गन्दी मछली पूरे तलाब को गन्दा कर देती है इसी प्रकार से कश्मीर में कुछ छुपे बैठे देशद्रोही राजनेता अपनी राजनीति की आड़ में जिहाद ओर आजादी के नाम पर कश्मीर में खुलेआम खूनी खेल खेल रहे हैं । जिस कारण वहां पर बसा हर हिन्दू , सिख दहशत की जिंदगी जीने पर मजबूर हो रखा है ओर मानवता दिन प्रतिदिन शर्मसार । यह बात अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार ऑब्जर्वर्स की अंतरराष्ट्रीय निदेशिका महिला विंग की प्रीति धारा ने एक प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही ।
उन्होंने कहा कश्मीर भारत देश का एक विभिन्न अंग है । अगर हम अपना इतिहास उठा कर देखें तो कश्मीर जन्नत ही नही हमारे अराध्यों यानी गुरुओं , देवी देवताओं की धरती भी है । जंहा हमारे अराध्यों ने हजारों वर्षों तक तप कर सीधीयां हासिल की है । इतिहास की बात करे तो कश्मीर समस्या 30 या 40 साल पुरानी नही है । यह समस्या 1947 से चली आ रही है । जब वहां के राजा हरि सिंह हुआ करते थे । अगर हम इतिहास की बात करेंगे फिर तो शायद लिखते लिखते किताब ही ना लिखी जाये ।
प्रीति धारा ने कहा पिछले दिनों एक फ़िल्म द कश्मीर फाइल रिलीज हुई जिसमें कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को लेकर आज के नोजवानो को जागृत करने का सन्देश व एक सच्चाई नाट्य रूपांतर के तहत दी गई । जिसको देख कर देश का हर नागरिक अपने आंसू छलकाने से रोक नही पा
रहा ।
प्रीति धारा ने कहा कि पिछले 40 वर्षों से दुनिया देखती रही कश्मीर में मानवता का खूनी खेल आखिर आजादी किस बात की आजादी क्या कोई समझता है ? शायद नही । सिर्फ देशद्रोही ताकतों के नारे की जुबान है आजादी । क्या राजनीति की आढ में आवाम को गुमराह कर मानवता का नरसंहार कर अपनी सत्ता की कुर्सी हथियाना ये है आजादी ?
कश्मीर को छोड़ धर्म की लड़ाई में सभी छोटे बड़े दल सोशल मीडिया व खबरों की सुर्खियों में छाये रहने में हमेशा आगे रहते हैं । मगर कश्मीर के मामले में बोलने की बात हो तो जुबां पर ताले लग जाते है । क्या कभी किसी ने कश्मीर की आवाम के दर्द को समझने की कोशिश की ? कश्मीरी पंडितों का दर्द आज भी ससक ससक कर उनकी आंखों से साफ झलकता है ।
प्रीति धारा ने कहा कि तिरंगा फेराने का ओर उसके सम्मान का जज्बा तो सभी रखते हैं । मगर उस तिरंगे को रंग देने में कितने देश के हर धर्म के बेगुनाह शहीदों ने अपनी शहादत दी देश की कितनी जनता जानती है । सिर्फ राजनीति करने से आवाम के दर्द को नही समझा जा सकता । अब वक्त आ गया है कि मानवता के लिए सच्चाई की तरफ एक कदम बढ़ाया जाए ओर देश की भृमित युवा पीढ़ी अपने देश के दफन हुए स्वर्णीम इतिहास की जानकारी लेकर अपनी संस्कृति , मर्यादा, देश ,धर्म व मानवता की रक्षा के लिये आगे आये ओर एक नए भारत का आगाज कर राजनीति का नकाब पहने देशद्रोही ताकतों को देश से बाहर फेंक दुनिया में तिरंगे का मान सम्मान ऊंचा कर देशद्रोही ताकतों को भारत की सीमा में घुसने के लिये सो बार सोचने पर मजबूर कर दे ।
जय हिंद – जय भारत ।