चंडीगढ़ / भिवानी 10अप्रैल
अपना समाज मोर्चा द्वारा स्थानीय दादरी गेट स्थित न्यू हाउसिंग बोर्ड के पास शिक्षा के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले एवं भारत रत्न, संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर शनिवार को एकता दिवस मनाया गया। इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. तुलसीराम रोहिल्ला ने की एवम मुख्य वक्ता रिटायर्ड चीफ इंजीनियर आरडी पुंडीर, रिटायर्ड डीजीपी हिमाचल प्रदेश, पृथ्वीराज, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट शाबाद खान, अमित माटे महाराष्ट्र, डॉ. सुनीता सीएमओ रोहतक, मिया सिंह के अलावा अन्य वक्ताओं ने कार्यक्रम को संबोधित किया।
समारोह को संबोधित करते हुए सभी वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया। इस दौरान बाबा साहेब गरीब, शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। आजाद भारत के वो पहले विधि एवं न्याय मंत्री बने। आंबेडकर ही भारतीय संविधान के जनक हैं। उन्होंने कहा कि आंबेडकर स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल थे लेकिन तत्कालीन समाज में उन्हें जाति के आधार पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि इसकी वजह से उन्हें में एडमिशन के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मुंबई से डिग्री लेने के बाद उनका चयन अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हो गया। यहां से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस यानी राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। 1916 में उन्हें पीएचडी अवॉर्ड की गई और यहीं से उनके नाम के आगे डॉक्टर लग गया। आंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। डॉक्टर आंबेडकर विद्वान व्यक्ति थे। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों के लिए आजीवन संघर्ष किया। देश की आजादी की बारी आई तो उन्हें संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। देश की आजादी के बाद वो पहले केंद्रीय कानून मंत्री भी बने।
वक्ताओं ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले महाराष्ट्र के एक समाज सुधारक थे, जिन्होंने सभी प्रकार के सामाजिक उत्पीडऩ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था। ज्योतिबा फुले समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी के रुप में जाने जाते हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले ने शिक्षा विशेषकर लड़कियों की शिक्षा, कृषि, जाति व्यवस्था को हटाने, महिलाओं और विधवा उत्थान और अस्पृश्यता को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने हर तरह के सामाजिक उत्पीडऩ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने लोगों को सत्य का एहसास कराने और सभी प्रकार के सामाजिक अन्यायों के खिलाफ लडऩे में मदद करने के लिए सत्यशोधक समाज का गठन किया। महात्मा गांधी को महात्मा की उपाधि दिए जाने से बहुत पहले, ज्योतिबा फुले को महात्मा की उपाधि दी गई थी। उन्होंने जाति की परवाह किए बिना समानता की दिशा में काम किया।
वक्ताओं ने कहा कि आज सोशित समाज को एकजुट होने की जरूरत हैं। सोशित समाज आत तक एकजुट नहीं हो पाया, जिसके चलते वे राजनीति में अपनी भागीदारी नहीं बना पाए। इसीलिए अब सोशित समाज को एकजुट होना होगा, तभी सोशित समाज राजनीति में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर पाएंगे। इसके साथ ही अब पिछड़ा वर्ग के लोगों को शिक्षा को बढ़ावा देने की ओर भी कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि अपना समाज मोर्चा नगर परिषद के चुनाव में भागीदारी दिखाएगा तथा नगर परिषद चुनाव में नए आयाम स्थापित करने का काम करेगा।