सरकार की अग्निपथ योजना हमारे देश के युवाओं के साथ बड़ा धोखा: चंद्रमोहन
चंडीगढ़/पंचकूला (पंकज सिंह) 17 जून
पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन जी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार की नजर अब देश की सेना को लग गई है। सरकार की अग्निपथ योजना हमारे देश के युवाओं के साथ बड़ा धोखा है। यह योजना सेनाओं की कार्यक्षमता, निपुणता, योग्यता, प्रभावशीलता, सामर्थ्य से समझौता करने वाली है। पलवल, रेवाड़ी समेत कई स्थानों पर प्रदर्शनकारी युवाओं पर लाठीचार्ज किया गया है, यह अत्यंत निंदनीय है। योजना का देशभर में युवा लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार इसे वापस लेने की बजाए अपनी जिद पर अड़ी हुई है। सरकार इस योजना को तुरंत वापस ले।
मीडिया को जारी बयान में भाई चन्द्रमोहन ने कहा कि रोहतक में सचिन नाम के नौजवान द्वारा अग्निपथ योजना से आहत होकर आत्महत्या कर ली गई। इससे दु:खद कुछ नहीं हो सकता है। देश की तीनों सेनाओं में 2,55,000 से अधिक पद खाली पड़े हैं। भाजपा सरकार ने 2 साल से सेनाओं की भर्ती रोक रखी है। युवाओं में भारी बेचैनी है तथा हरियाणा व पंजाब के कई युवा भर्ती न होने के कारण आत्महत्या तक करने को मजबूर हो गए हैं।
चन्द्रमोहन ने कहा कि इस अग्निपथ योजना के तहत ट्रेनिंग समेत फौज में कुल सेवा केवल चार साल होगी। चार साल की सेवा के बाद वापस जाने पर कोई ग्रेच्युइटी या पेंशन नहीं मिलेगी। चार साल की इस भर्ती वाले व्यक्ति को सैन्य कैंटीन का लाभ नहीं मिलेगा और न ही किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिलेगा। चार साल की सेवा के बाद 75 प्रतिशत को घर वापस जाना पड़ेगा। चार साल की भर्ती वाले लोगों को सेना की रैंक नहीं मिलेगी।।
चन्द्रमोहन ने कहा कि प्रधानमंत्री का दिया नारा वन रैंक, वन पैंशन जुमला साबित हो चुका है। इसमें कितनी ही विसंगतियां सरकार को पूर्व सैनिकों ने बताई, लेकिन उन्हें दूर नहीं किया गया। वन रैंक, वन पैंशन को लागू करवाने के लिए पूर्व सैनिकों को लंबे समय तक दिल्ली में धरना देना पड़ा। फिर भी आज तक उनकी मांगों की पूर्ण रूप से सुनवाई नहीं हुई। सैन्य अफसरों को तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले सैनिक स्कूलों का बंटाधार करने की कोशिश केंद्र सरकार पहले ही शुरू कर चुकी है। देश में 100 नए सैनिक स्कूल साझेदारी मोड में खोलने की घोषणा हो चुकी है।
भाई चन्द्रमोहन ने कहा कि अग्निपथ योजना के जरिए सेना में महंगी ट्रेनिंग के बाद युवाओं की अल्प समय के लिए सेवाएं ली जाएंगी और फिर इन्हें निजी कंपनियों में बेहद कम वेतन में सुरक्षा गार्ड के तौर पर तैनात होने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। क्योंकि, चार साल बाद सेना से निकाले जाने के बाद इनके पास किसी भी तरह के रोजगार का कोई अवसर नहीं बचेगा।