चंडीगढ़/यमुनानगर(जिला ब्यूरो राजीव मेहता) 24 जुलाई
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती गीत की यह पंक्तियां कोई मिथ्या नही बल्कि पूर्ण रूप रूप से सत्य है , यमुनानगर की सोम नदी जिसे सोन नदी भी कहते है आजकल बरसाती सीजन में सोना उगलती है, जिसे निकालने के लिए सरकार हर वर्ष ठेका देती है,

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती। उपकार फिल्म का यह गाना यमुनानगर की सोन नदी के मामले में सच्चाई बयां कर रहा है। हर साल यमुनानगर जिला के विभिन्न इलाकों में तबाही मचाने वाली सोम नदी जहां कई गांवों को बर्बाद करती है और किसानोंकी फसलें भी इसकी बाद से प्रभावित होती हैं। वही यह सोम नदी सोना उगलने का काम भी करती है। जी हां, यह सच है कि इस सोम नदी से सोना निकलता है। और उसका बकायदा सरकार द्वारा ठेका दिया जाता है। यमुनानगर जिले के गांव मानकपुर ललहाड़ी के अधिकतर परिवार नदियों से सोना निकालने का कारोबार करते है, इन लोगो से ठेकेदार दिहाड़ी पर काम लेता है
सोना निकालने का कार्य करने वाले अभी कुछ ही परिवार बचे हैं, जिन्हें सोना निकालने की विधि आती है। यह लोग मैनुअल तरीके से रेत को इकट्ठा करके उसे पानी से लगातार धोते हैं।यह लोग किश्ती नुमा लकड़ी के ढांचे के ऊपर लकडिओ की जाली लगा कर पानी से रेत छानते है

जिसके बाद सोने के कण अलग नजर आने शुरू हो जाते हैं और जो भी सोने के कण निकलते हैं वह उसे ले जाकर मार्केट में बेचता है। सोम नदी से सोना निकालने वाले इन लोगों का कहना है कि वह जो भी सोना निकलता है उसे ठेकेदार के हवाले करते हैं और अपनी मजदूरी से मतलब रखते हैं। किसी दिन अच्छी खासी मात्रा में सोने के कण नजर आते हैं। जबकि कई बार पूरा पूरा दिन निकल जाता है सोने के कण नजर नहीं आते।

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