आर पी डब्लू न्यूज़/ सोहन धानिया

करनाल 2 अक्टूबर:- केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में खेती में नए-नए कृषि यंत्रों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इसमें अब ड्रोन का भी नाम शामिल हो गया है। ड्रोन की कृषि में उपयोगिता बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए किसानों और युवाओं को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिए जाने की योजना बनाई गई है। इसी क्रम में करनाल के महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय में प्रदेश का पहला ड्रोन स्कूल खोला गया है। इसमें युवाओं को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए विश्विद्यालय द्वारा केंद्र से दो ड्रोन खरीदे गए हैं तथा कुछ नए ड्रोन और खरीदे जाएंगे।

ड्रोन प्रशिक्षक धीरज ने बताया की ड्रोन की मदद से 10 मिनट के अंदर एक एकड़ क्षेत्र में कीटनाशक का छिडक़ाव किया जा सकता है। जबकि इसी काम को पेटीनुमा स्प्रे उपकर की सहायता करने में किसान को करीब तीन घंटे का समय लगता है। इसके अलावा ड्रोन से कीटनाशक का छिडक़ाव करने पर समय की बचत होती है और कीटनाशक के शरीर पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों से भी बचा जा सकता है। कृषि क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल खेत की मैपिंग और सर्वेक्षण में किया जा सकता है।
भारतीय कृषि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अब विशेष ड्रोन कृषि उपयोग के लिए विकसित किए जा रहे हैं। ड्रोन की मदद से किसान खेत की निगरानी कर सकते हैं। इससे किसान कहीं भी बैठ कर यह देख सकता है खेत की स्थिति का अवलोकन कर सकता है। कृषि क्षेत्र में आज ड्रोन की मदद से काफी कार्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि फसलों के विविधिकरण की पहचान, ड्रोन से मैपिंग, ड्रोन से जमीन की उर्वरक क्षमता का पता लगाना, ड्रोन से स्प्रे जैसे कार्य करना आसान हो गया है। ड्रोन की तकनीकी को अभी और भी विकसित किया जा रहा है.



वही किसानों ने यहां ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र खोले जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि जिस तरह से वर्तमान समय में कृषि का स्वरूप बदल रहा है उससे ड्रोन तकनीक हमारे लिए काफी लाभदायक साबित होगी। उन्होंने कहा कि इससे लेबर और समय की बचत होगी साथ ही कीटनाशकों का इस्तेमाल भी कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती के साथ-साथ हमें नई तकनीक को भी अपनाना होगा तभी हम खेती से लाभ ले सकते हैं