
आर पी डब्लू न्यूज़/अभिषेक ठाकुर
•विभिन्न गतिविधियों के लिए अनुदान पर उपलब्ध करवाया जाता है ऋण
•डीसी नरेश नरवाल ने दी जानकारी
भिवानी, 03 जनवरी:- नरेश नरवाल ने कहा कि सरकार द्वारा कृषि अवसंरचना कोष योजना क्रियान्वित की जा रही है, जिसके तहत विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं के लिए अनुदान पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। योजना के तहत अधिकतम सात वर्षों तक ऋण उपलब्ध करवाया जाता है, जिसमें दो वर्षों तक ऋण वापसी स्थगन अवधि भी शामिल है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए एग्री इंफ्रा पोर्टल एग्रीइनफ्राडॉटडीए पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते है।
•पोर्टल पर आवश्यक दस्तावेजों की सूची भी उपलब्ध
डीसी ने बताया कि कृषि अवसंरचना कोष योजना के तहत कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप, स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन, संयुक्त देयता समूह, प्राथमिक कृषि समितियां, विपणन सहकारी समितियां, बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, कृषि उत्पाद विपणन समितियां तथा सहकारी संघ ऋण सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना में ई-मार्केटिंग प्लेटफोर्म, गोदाम, साइलो, पैक हाऊस, परख इकाईयां, सॉर्टिंग और ग्रेडिंग इकाईयां, कोल्ड चेन, रसद सुविधाएं, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, पकाने वाले कक्ष और अन्य व्यवहार्य परियोजनाओं सहित आपूर्ति श्रृंखला सेवाओं जैसी फसल उपरांत प्रबंधन परियोजनाएं शामिल है। सामुदायिक कृषि परिसम्पत्तियों के निर्माण के लिए भी आवेदन किया जा सकता है, जिनमें जैविक उत्पादन, जैव उत्तेजक उत्पादन इकाईयां, स्मार्ट और स्टीक कृषि के लिए बुनियादी ढांचा, निर्यात समूहों सहित फसलों के समूहों के लिए आपूर्ति श्रृंखला बुनियादी ढांचा आदि शामिल है। यदि कोई आवेदक किसी अन्य योजना में अनुदान प्राप्त कर रहा है तो वह भी इस योजना का लाभ ले सकता है।
दो करोड़ रुपये तक के निवेश पर क्रेडिट गारंटी की सुविधा
उपायुक्त नरेश नरवाल ने बताया कि इस योजना के तहत ऋण के प्रथम भुगतान की तिथि से सात वर्षों तक दो करोड़ रुपये तक के ऋण पर तीन प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज छूट मिलेगी। सरकार द्वारा दो करोड़ रुपये तक के निवेश पर के्रडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटर प्राइजिज के द्वारा के्रडिट गारंटी भी प्रदान की जायेगी। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए दो करोड़ रुपये तक के ऋण पर के्रडिट गारंटी व्यय को सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। इस योजना का पात्र बनने के लिए उधारकर्ताओं के लिए उपलब्ध पूंजी सब्सिडी के बावजूद कुल परियोजना लागत का कम से कम 10 प्रतिशत योगदान करना अनिवार्य है। किसी भी शंका के निवारण के लिए जिला स्तर पर एलडीएम, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक, संबंधित विभाग तथा संबंधित बैंक अधिकारी से सम्पर्क किया जा सकता है।