जिला व उपमंडल स्तर पर न्यायिक परिसरों में राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायाधीशों ने की मामलों की सुनवाई

आर पी डब्लू न्यूज/ मनोज कुमार
- राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति से 9751 में से 7733 मामलों का हुआ निपटान
फतेहाबाद, 13 मई। राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नालसा) के सौजन्य से हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (हालसा), पंचकूला के सदस्य सचिव से प्राप्त दिशा निर्देशानुसार 13 मई को जिला व उपमंडल स्तर पर न्यायिक परिसरों में राष्ट्रीय लोक अदालतें आयोजित कर विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई की गई।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव समप्रीत कौर ने बताया कि जिला स्तर पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीएस वधवा, प्रधान न्यायाधीश (परिवार न्यायालय) नताशा शर्मा, सिविल जज (सीनियर डिविजन) कम अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी डॉ. सविता कुमारी व न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी गौरी नारंग, रतिया उपमंडल पर एसडीजेएम संतोष बागोटिया तथा टोहाना उपमंडल पर एसडीजेएम राजीव की अदालतों में मामलों की सुनवाई की गई।
शनिवार को न्यायाधीशों ने राष्ट्रीय लोक अदालत में 9751 मामलों की सुनवाई करते हुए 7733 मामलों का निपटारा आपसी सहमति से किया जबकि 81 लाख 34 हजार 126 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। सीजेएम समप्रीत कौर ने बताया कि प्री-लिटिगेशन के मामलों में 7124 में से 6835 मामलों का निपटारा किया गया जबकि दस लाख 18 हजार 651 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। इसी प्रकार से कोर्ट में लंबित मामलों के 2627 मामलों में से 898 मामलों का निपटारा किया गया जबकि 71 लाख 15 हजार 475 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। उन्होंने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं प्राधिकरण के अध्यक्ष डीआर चालिया के मार्गदर्शन में शनिवार को आयोजित इस राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायाधीशों ने अपराधिक मामलों, एनआई एक्ट 138, एमएसीटी, वैवाहिक, श्रम, भूमि अधिग्रहण, किराया, बैंक रिकवरी, राजस्व, मनरेगा, बिजली व पानी बिल, वन अधिनियम, आपदा मुआवजा इत्यादि अन्य मामलों की सुनवाई की।
सीजेएम समप्रीत कौर ने कहा कि लोक अदालत की यही पुकार, न किसी की जीत न किसी की हार को ध्यान में रखकर दोनों पक्षों की आपसी सहमति से मामलों का निपटान किया जाता है। मामलों का निपटान दोनों पक्षों की आपसी सहमति से होता है, इसलिए फैसले को अन्य किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया है कि वे अपने मामलों का समाधान लोक अदालत के माध्यम से करवाए, ताकि उनके समय व धन की बचत हो सके। उन्होंने अधिवक्ताओं से भी कहा कि वे जागरूकता शिविरों के माध्यम से नागरिकों को उनके कोर्ट में लंबित मामलों का निपटान लोक अदालत से करवाने बारे ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें।