October 20, 2024

आर्ट ऑफ लिविंग  , गुरुग्राम चैप्टर द्वारा मनाया गया अंतरराष्ट्रीय कैदी न्याय दिवस।

0
Sponsored

आर पी डबल्यू  न्यूज़ / प्रीति धारा


गुरुग्राम 10 अगस्त :श्री श्री रविशंकर जी के मानव कल्याण  एवं योग ध्यान शिविर और सुदर्शन क्रिया  द्वारा  आत्म बोध व चरित्र सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत  विश्व के क़रीब 180 देशों में प्रोग्राम किए जा रहे है । जिसने  हर नागरिक के अलावा भटके हुए अपराध जगत के लोगो के जीवन सुधार हेतु भी कार्यक्रम सामिल है ।
अंतर्राष्ट्रीय क़ैदी न्याय दिवस 2024 अंतर्राष्ट्रीय कैदी न्याय दिवस के अवसर पर गुरुग्राम चैप्टर के प्रशिक्षकों ने भोड़ासी जेल के क़रीब 100 क़ैदियों  और कर्मचारियों को पिछले  10 दिनों तक ध्यान , योग , सुदर्शन क्रिया प्रातः काल करायी जिससे उन कैदियो के  तन के साथ साथ मन , बुद्धि ,का विकास हुआ और  बुराई के मार्ग से हैट  कर एक सफल जीवन का मार्ग चुन ने का मौक़ा मिला ।

Sponsored


इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों को तनाव प्रबंधन, पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकृत करने में सहायता करना है, जिससे वे मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता के साथ पुनः  सभ्य – समाज  में प्रवेश कर सकें। पिछले तीन महीनों में, 20 से अधिक शिक्षकों ने जेल में प्रिज़न स्मार्ट प्रोग्राम, एडवांस मेडिटेशन प्रोग्राम सिखाया और योग दिवस का आयोजन किया, जिसमें 100 से अधिक कैदी और कर्मचारी शामिल हुए। क़ैदियों का अनुभव बताते हुए पुलिस  अधीक्षक जेल सुनील सागवान ने बताया कि आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, जो वैश्विक स्तर पर अपने तनाव-उन्मूलन और आत्म-विकास कार्यक्रमों के लिए जानी जाती है, ने अपने अनोखे दृष्टिकोण को कैदियों के पास लाया। यह पाठ्यक्रम, जो आमतौर पर कई दिनों तक चलता है, योग, श्वास अभ्यास (एस. के.वाई ) और ध्यान का संयोजन शामिल करता है, जो मानसिक कल्याण और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।


श्रीमती अर्पणा सहने, जो कोडिनेटर है ने बताया कि इस कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्यों है 
1. कैदियों में तनाव और चिंता को कम करना।
2. आंतरिक शांति और कल्याण की भावना को बढ़ावा देना।
3. भावनात्मक बुद्धिमत्ता और अंतरवैयक्तिक संबंधों को सुधारना।
4. क्रोध प्रबंधन और संघर्ष समाधान के लिए उपकरण प्रदान करना।
इस कार्यक्रम में सहयोगी प्रशिक्षक बिमलेश दुबे, यथार्थ वर्मा , राहुल , धीरज यादव श्रीमती हिमा शर्मा , निधि चड्ढा ,चंद्रा आदि रहे।

कैदियों की प्रतिक्रिया अत्यधिक सकारात्मक रही है। कई प्रतिभागियों ने पहले कभी न महसूस की गई शांति और आंतरिक शांति का अनुभव किया। एक कैदी ने कहा, “इस पाठ्यक्रम ने मुझे अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से संभालने के उपकरण दिए हैं और भविष्य के लिए आशा की भावना जगाई है।”
आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षित और प्रमाणित शिक्षक इन अभ्यासों की परिवर्तनीय शक्ति पर जोर देते हैं। भोंडसी जेल पाठ्यक्रम की *समन्वयक और शिक्षक अपर्णा साहनी ने कहा, “जेल में सिखाना गहराई से प्रभावशाली है* । हम प्रतिभागियों में उल्लेखनीय बदलाव देखते हैं, जैसे आक्रामकता में कमी, सहानुभूति और आत्म-जागरूकता में वृद्धि।”
*जेल प्राधिकरण, एसपी सुनील सांगवान जी ने इस कार्यक्रम के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया* है। *जेल के डीएसपी, सत्यभान जी ने कहा, “यह पहल हमारे पुनर्वास और पुन: एकीकरण के लक्ष्यों के साथ मेल खाती है।* हमने पहले ही उन कैदियों के व्यवहार और मनोबल में उल्लेखनीय सुधार देखा है जिन्होंने भाग लिया।
इस प्रारंभिक पाठ्यक्रम की सफलता के बाद, उन्नत स्तर के कार्यक्रम को विस्तारित करने की योजना है, जो जेल सुधार और पुनर्वास के व्यापक प्रयासों में योगदान देंगे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed