
आर पी डब्लू न्यूज़/कुलदीप पातलान
राष्ट्रपति ने की चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 25 वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता, विद्यार्थियों को प्रदान की डिग्रियां
डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में से आधे से अधिक बेटियां, यह गर्व का विषय है कि हमारी बेटियां अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं- राष्ट्रपति
हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य – श्रीमती द्रौपदी मुर्मु
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में पांचवें रैंक पर
– राज्यपालयुवा वैज्ञानिक अपनी उपलब्धियों से कृषि विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा का नाम देश-विदेश में करेंगे रोशन- मुख्यमंत्री
हिसार, 24 अप्रैल:- भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि आज कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या, सिकुड़ती कृषि भूमि, गिरते भूजल-स्तर, मिट्टी की घटती उर्वरता, जलवायु परिवर्तन जैसी अनेक चिंताएं हैं, जिनका समाधान खोजना कृषि पेशेवरों, वैज्ञानिकों का दायित्व है। आज ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे हमारी विशाल जनसंख्या को पर्यावरण और जैव-विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके। यह एक चुनौती भी है और अवसर भी। मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि पेशेवर अपनी शिक्षा के बल पर इस चुनौती को अवसर में बदल देंगे। राष्ट्रपति ने आज चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के 25वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और विद्यार्थियों को डिग्रियां व गोल्ड मेडल प्रदान किये। समारोह में हरियाणा के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जेपी दलाल और विधानसभा उपाध्यक्ष श्री रणबीर गंगवा सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में आधे से अधिक बेटियों की संख्या से गौरवान्वित हुई राष्ट्रपति ने कहा कि आज गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी 70 प्रतिशत से अधिक छात्राएं हैं। यह संतोष और गर्व का विषय है कि हमारी बेटियां कृषि एवं संबंद्ध विज्ञान सहित अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।आज चुनौतियों को स्वीकार करने और अपने सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का अवसरइस अवसर पर राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दीक्षांत समारोह केवल डिग्री, पुरस्कार या पदक प्रदान करने का ही अवसर नहीं है, बल्कि अर्जित क्षमताओं के माध्यम से चुनौतियों को स्वीकार करना तथा अपने सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का अवसर है।उन्होंने कहा कि आज का दिन विद्यार्थियों के शैक्षणिक जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है, लेकिन आज शिक्षा संपूर्ण नहीं हुई है, केवल एक हिस्सा पूरा हुआ है। कृषि विज्ञान के विद्यार्थी के रूप में आप सभी ने जो भी सीखा है, उसका व्यावहारिक रूप से उपयोग करने का अवसर जीवन में आएगा। अब आप अन्नदाता किसान के साथ मिलकर कृषि के विकास में अपना योगदान देंगे और कृषि जगत की सेवा करते रहेंगे।श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों को कहा कि आपको अपने ज्ञान और क्षमताओं के विस्तार के लिए दुनिया भर के नवीनतम नवाचारों से अवगत रहना होगा। आपका यह प्रयास देश को वैभवशाली राष्ट्र बनाने में सार्थक होगा। बड़ी जनसंख्या के बावजूद, आज भारत खाद्यान्न संकटग्रस्त देश से खाद्यान्न निर्यातक देश बन गया है। इसमें हमारे नीति-निर्माताओं, कृषि-वैज्ञानिकों और किसान भाइयों-बहनों का महत्वपूर्ण योगदान है।हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्यराष्ट्रपति ने कहा कि आज हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय केंद्र और राज्य सरकारों की किसान-हितैषी नीतियों, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तकनीकी पहल और सबसे बढक़र यहां के किसानों की नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाने की इच्छा-शक्ति को जाता है। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां के मेहनती निवासियों की कुशाग्रता और सामर्थ्य के बल पर हरियाणा का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय अपने स्थापना के समय से ही कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की सफलता में भी इस विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अब तक फसलों की कई किस्मों का विकास किया है। यहां पर विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 18000 क्विंटल उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन होता है। आज जब पूरा विश्व एक-दुसरे से जुड़ा हुआ है और पूरी मानवता ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है तो ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
यह विश्वविद्यालय कई देशों की संस्थाओं के साथ कृषि से जुड़े विषयों पर सहयोग कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय का नाम किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के नाम पर रखा गया। वे देश की खुशहाली के लिए कृषि में आधुनिक तकनीकों के उपयोग के पक्षधर थे। उन्होंने ही वर्ष 1979 में देश के उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की थी, जो आज ग्रामीण विकास की धुरी बन चुका है।मुख्यमंत्री ने कहा कि हरित क्रांति से आत्मनिर्भर होने के साथ साथ कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, जिसमें परम्परागत खेती में विविधीकरण से अन्न की गुणवत्ता और पानी की भी कमी हुई। पानी का अधिक दोहन हुआ जिसके कारण कई क्षेत्र डार्क जोन भी हो गए। इसलिए ऐसी चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि खेती करने वाले किसानों की फसलों को बचाव, कम या ज्यादा पानी का उपयोग, मिट्टी की गुणवत्ता पर भी अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान के साथ जय पहलवान कहें और देश की प्रगति के लिए आगे बढ़ें।मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही नए एक्सीलेंट सेंटर खोलने का कार्य किया है। इसके अलावा हरियाणा में धान जैसी ज्यादा पानी से उगने वाली फसल के स्थान पर कम पानी से उगने वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना‘ चलाई।दीक्षांत समारोह में राज्यसभा सांसद लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी.पी. वत्स, मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, पुलिस महानिदेशक श्री पीके अग्रवाल, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बीआर कंबोज सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।