स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे लाला लाजपत रायलाला लाजपत राय जी को उनके जन्मदिन पर किया गया याद

आर पी डब्लू न्यूज़/राहुल हथौ

नरवाना, जनवरी 29:- नरवाना स्थित अग्रवाल धर्मशाला में अग्रवाल समाज द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी की जयंती बहुत ही धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने लाला लाजपत राय जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए गए। कार्यक्रम में समाज के प्रबुद्ध जनों के साथ- साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने भी शिरकत की। कार्यक्रम की शुरुआत में असीम राणा द्वारा लाला लाजपत राय की जीवनी पर आधारित एक कविता प्रस्तुत की गई। इसके बाद मास्टर किशोरी लाल बंसल ने लाला लाजपत राय जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लाला जी स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उन्होंने न केवल देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि समाज के गरीब और कमजोर वर्ग की मदद करने में भी उनका कोई सानी नही रहा। बंसल ने बताया कि लाला लाजपत राय जी का जन्म आज ही के दिन 28 जनवरी को पंजाब के मोगा जिले के एक अग्रवाल परिवार में हुआ। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण अग्रवाल सरकारी स्कूल में उर्दू और फारसी भाषा के शिक्षक थे। उनकी माता का नाम गुलाब देवी था जो कि एक धार्मिक महिला थी। अंग्रेजों की लाठियों से अपना बलिदान देने वाले लाला लाजपत राय ने देश की आजादी के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी। लाला लाजपत राय उन स्वतंत्रता सेनानियों का नेतृत्व करते थे जिन्होने अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए आक्रामक रवैया अपनाया। उन्हे गर्म दल के नेता के रूप में जाना जाता था। बंसल ने कहा कि 1897 में आए भीषण आकाल के समय जब अग्रेजों ने लोगों को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया था उस समय लाला लाजपत राय ने आगे आकर गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों की खूब मदद की थी। सुरेश मित्तल, राजेश टांक, राजेन्द्र महाशय, भारत भूषण गर्ग व डॉ विनोद गुप्ता ने बताया कि 1905 में बंगाल विभाजन का विरोध करने के लिए उन्होंने जोरदार आंदोलन चलाया। अग्रेजों ने 1914 से 1920 तक लाला लाजपत राय को भारत में प्रवेश करने की इजाजत नही दी। इस दौरान अमेरिका में रहकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए इंडियन इन्फोर्मेशन ब्यूरो एवं इंडिया होमरूल जैसी संस्था का संचालन किया। मोहित बंसल व विकास मित्तल ने कहा कि लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता था। पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना में भी उनका हाथ रहा। लाहौर में 30 अक्टूबर 1928 को जब लाला लाजपत राय अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे तो अग्रेजों द्वारा उन पर बेरहमी से लाठियों से हमला बोला गया। इस हादसे में वे बुरी तरह जख्मी हुए और 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय ने अपनी अंतिम सांस ली।
महिला नेत्री नीलम बंसल व श्वेता अग्रवाल ने देशभक्ति के गीत गाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। साहित्यकार उपेंद्र गर्ग ने बड़ी ही संजीदगी के साथ मंच संचालन किया व अपनी और से चार पंक्तियां सुनाकर शहीदों को नमन किया। राजेन्द्र गुप्ता अमरगढ़ वाले ने कहा कि हमें लाला लाजपत राय जैसे महापुरुषों के बलिदान को नही भूलना चाहिए। हमें ऐसे महापुरुषों के जन्मदिन और बलिदान दिवस अवश्य मनाने चाहिएं। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से जहां महापुरुषों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है वही आज की युवा पीढ़ी के अंदर देश भक्ति के जज्बात भी पैदा किए जा सकते है। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने समाज के पूर्वजों द्वारा देश की स्वाधीनता संग्राम में उनके योगदान के अलावा अन्य ऐतिहासिक सामाजिक कार्यों का भी स्मरण किया गया ऐसी विभुतियों में दानवीर भामाशाह, राजा टोडरमल, लाला हुकुमचंद जैन, डॉ राम मनोहर लोहिया आदि के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। वक्ताओं ने कार्यक्रम के आयोजकों का भी धन्यवाद किया। सभा में उपस्थित सभी श्रोताओं ने एक स्वर में लाला लाजपत राय जी को भारत रत्न देने की मांग की। कार्यक्रम में मोहित बंसल, विकास मित्तल, जयपाल बंसल, प्रवीण मित्तल, खजांची लाल, हिमांशु गोयल, रामनिवास गर्ग, ईश्वर गोयल, सज्जन गर्ग, राजेश गोयल, राजेश बागड़ी, सुशील गर्ग, दिनेश गोयल, नत्थू राम गोयल, अनीता सिंगला, सोनिया मित्तल, सुमन गोयल, अनुराधा मित्तल, रेखा गर्ग, निशा रानी, विशाल मित्रा, संजीव गर्ग, तरूण गर्ग, दीपक गर्ग, अमनदीप गुप्ता व जतिन बंसल आदि ने शिरकत की।