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आर पी डब्लू न्यूज़/सुशील शर्मा
– मशहूर कलाकार देंगे शानदार नाटक की प्रस्तुति
– सभी के लिए प्रवेश रहेगा निशुल्क :डीआईपीआरओ धर्मवीर सिंह
कैथल, 23 मार्च :- आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में आगामी 27 मार्च को जाखौली अड्डा स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय स्थित ऑडिटोरियम हॉल में दास्तान-ए-रोहनात नाटक का मंचन किया जाएगा, जिसमें रंग कर्मियों द्वारा नाटक की प्रस्तुति दी जाएगी। आमजन के लिए नाटक को देखने के लिए प्रवेश बिल्कुल निशुल्क रहेगा। इस कार्यक्रम में सांसद नायब सिंह सैनी बतौर मुख्यातिथि शामिल होंगे। इसके सथ-साथ अन्य गणमान्य व्यक्ति भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी धर्मवीर सिंह ने बताया कि इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस नाटक को देखा था और हरियाणा के हर जिले में इसका मंचन किया जा रहा है। इसी श्रृंखला में जिला में इस नाटक का आयोजन किया जा रहा है। मशहूर कलाकारों द्वारा रोहनात गांव की देशभक्ति गाथा पर आधारित दास्तान-ए-रोहनात’ नाटक का मंचन किया जाएगा। दास्तान-ए-रोहनात नाटक मंचन के निर्देशक मनीष जोशी हैं जबकि इस नाटक का लेखन यशराज शर्मा ने किया है। उन्होंने बताया कि दास्तान-ए-रोहनात हरियाणा का अब तक का सबसे बड़ा नाटक है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग हरियाणा के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल के मार्गदर्शन में तैयार हुए इस नाटक का निर्देशन संगीत नाटक अकादमी सम्मान के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित मनीष जोशी ने किया है। नाटक की नृत्य संरचना प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना राखी दुबे ने की है। लेखन यशराज शर्मा का है और वस्त्र सज्जा और मंच सज्जा सारांश भट्ट द्वारा की गई है।गांव रोहनात में मनोहर लाल सरकार के कार्यकाल में फहराया गया तिरंगा ,गांव रोहनात का अपना अलग इतिहास है। यह भारत का एक ऐसा गांव है, जिसमें आजादी के 71 साल बाद भी तिरंगा नहीं फहराया गया था लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में इस गांव में धूम धाम से तिरंगा झंडा फहराया गया। नाटक के जरिए इस गांव के वीर योद्धाओं की गाथा आमजन के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने बताया कि लगभग 20 कलाकारों द्वारा इस नाटक का प्रदर्शन किया जाएगा। वो 29 मई 1857 की तारीख थी, हरियाणा के रोहनात गांव में ब्रिटिश फौज ने बदला लेने के इरादे से एक बर्बर खून खराबे को अंजाम दिया था। बदले की आग में ईस्ट इंडिया कंपनी के घुड़सवार सैनिकों ने पूरे गांव को नष्ट कर दिया। लोग गांव छोडक़र भागने लगे और पीछे रह गई वो तपती धरती जिस पर दशकों तक कोई आबादी नहीं बसी। दरअसल यह 1857 के गदर या सैनिक विद्रोह, जिसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भी कहते हैं, के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों के कत्लेआम पर भारतीयों द्वारा जवाबी कार्रवाई थी।