
आर पी डब्लू न्यूज़/प्रीति धारा

पंचकुला, 5 अप्रैल: भारतीय किसान यूनियन चढूनी की हल्का स्तरीय मासिक बैठक पुंडरी किसान भवन मे ब्लाक प्रधान रणधीर बरसाना की अध्यक्षता मे सम्पन्न हुई जिसमे युवा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम कसाना एडवोकेट,जिला अध्यक्ष महावीर चहल नरड,जिला कार्यकारी अध्यक्ष गुरनाम सिंह फरल ने विशेष तौर पर भाग लिया। मचं संचालन युवा ब्लाक प्रधान विक्रम दुसैण ने किया।युवा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम कसाना ने कहा कि बेमौसमी बरसात,तेज हवा व ओलावृष्टि से खेतों में खडी़ फसलों को भारी नुक्सान हुआ है। सरकार स्पैशल गिरदावरी करवा कर किसानों को 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए। यह मुआवजा 15 दिन में किसानों के खातों में डाला जाए।उन्होंन कहा कि पुंडरी व ढाड मडियो मे किसानो को अपनी गेंहू की फसल डालने दी जाये ओर जो किसान अदानी एग्रो के गोदामो मे गेंहू लेकर जाये तो सरकार द्वारा उस किसान को किराया दिया जाना चाहिए।अदानी एग्रो के गोदामों के बाहर पीने केपानी,शौचालय,भोजन,व लाईटो की व्यवस्था सरकार द्वारा करने की मांग भारतीय किसान यूनियन करती है। बैठक मे किसानो ने पुंडरी अनाज मंडी एसोसिएशन के प्रधानों को बुलाकर सहयोग व समर्थन देने की अपील की। जिला अध्यक्ष महावीर चहल नरड व कार्यकारी अध्यक्ष गुरनाम सिंह फरल ने संयुक्त बयान जारी कर सरकार से लगातार हो रही बेमौसमीबरसात से किसानों की खेतों में खडी़ फसल पूरी तरह से जमीन पर बिछ गई है नीचे खेतों में काफी मात्रा में जलभराव हो गया है। जिससे दाना कमजोर होकर पिचक जायेगा। गिरी हुई फसल का रंग काला पड़ गया है जिससे अनाज व तुडी खाने लायक नहीं रहेगी। सरसों की फलियां तेज बारिश लगने से फूट जाती हैं। गेहूं व सरसों की फसलों को ज्यादा नुक्सान हुआ है।इससे अनाज व घास की पैदावार काफी घट जायेगी। इस प्राकृतिक विपदा की तबाही का मंजर खेतों में साफ दिखाई दे रहा है। इस बरसात ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। अब तक प्रदेश में 4900 गांवों के एक लाख से ज्यादा किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। पहले ही किसान सरकारों की ग़लत नीतियों व खेती में बढ़ते लागत खर्च बढ़ने से परेशान है ऊपर से प्राकृतिक आपदा भी किसानों के लिए मुसीबत बन कर आई है। इसको सहन करना किसानों के बूते से बाहर की बात है क्योंकि पहले ही खेती में काम आने वाली खाद,बीज, कीटनाशक और मशीनरी के दाम बढ़ने से लागत खर्च कई गुणा बढ़ जाने से खेती घाटे का सौदा हो चुकी है। इस घाटे के चलते पहले ही किसान कर्ज में फंस कर आत्महत्या करने को मजबूर हैं। केन्द्र की मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने का वादा किया था जो खोखला साबित हुआ है। दूसरी तरफ जो किसान खेत को 60 हजार रुपए तक ठेका दे कर खेती करते हैं उनके लिए तो ओर भी बहुत ज्यादा मुश्किल बढ़ गई है। अभी आलू और प्याज को ओने पौने दामों में बेचना पड़ रहा है जो खर्चा हुआ है वो भी पूरा नहीं हो पाया है। 15 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा कुछ भी मायने नहीं रखता है। क्योंकि जिस किसान को अनाज व घास मोल लेना पड़ेगा। 15 हजार रुपए तो फसल पर ही खर्च किया हुआ है। आगे का खर्चा कैसे चलायेगा। बिना फसल के तो आढ़ती भी पैसा नहीं देगा। इसलिए सरकार खुद मुआवजा दे। इसलिए भारतीय किसान यूनियन चढूनी सरकार से मांग करती है कि सभी जिलों में स्पैशल गिरदावरी करवाई जाए। 50 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए। कर्जदार किसानों का कर्जा व बिजली बिल माफ किया जाए। अगली फसल के लिए पीड़ित किसानों को खाद,बीज, कीटनाशक सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाया। 15 दिनों के भीतर किसानों को मुआवजा दिया जाए। पोर्टल के भरोसे व बीमा कम्पनियों के भरोसे किसानों को ना छोडा़ जाए। क्योंकि उनकी शर्तें बेतुकी हैं वो पूरे गांवों को इकाई मानती हैं।इस बैठक मे ढाड ब्लाक प्रधान पिरथी कौल,नरेंद्र मागो माजरी,लहणा सिंह मुदडी,हरजिनदर हाबडी,खडक सिंह हाबडी,रामपाल मुदडी,नरेंद्र फरल,बसी बरसाना सुमीत बरसाना,नरेंद्र चदलाना,नरेंद्र बुटर,ओम प्रकाश बरसाना,सुरेश बरसाना,विनोद शर्मा,चमेल सिंह पबनावा सहित सैकड़ो किसान उपस्थित थे