
आर पी डब्लू न्यूज़/ब्यूरो रिपोर्ट
-अवशेष जलाने से भूमि व पर्यावरण दोनों को नुकसान
-फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सरकार अनुदान पर दे रही कृषि यंत्र
-भूमि की उर्वरा शक्ति बनाए रखने व प्रदूषण नियंत्रण के लिए फसल अवशेष जलाने पर रोक जरुरी
सिरसा, 13 अप्रैल:- उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने जिला के किसानों से आह्वान किया कि वे गेहूं के फाने व अन्य फसल अवशेषों को न जलाएं। फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करते हुए पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें। फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से अनुदान पर आधुनिक कृषि संयंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसानों को चाहिए कि वे इन कृषि यंत्रों का उपयोग फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए जरुर करें।उन्होंने कहा कि रबी की फसलों की कटाई की जा रही है। किसान कटाई के बाद फसल के बचे अवशेषों को जलाएं ना बल्कि इनका चारे व भूमि की उर्वरा शक्ति बढाने के लिए करें। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है साथ ही भूमि की ऊपजाऊ शक्ति पर भी इसका विपरित प्रभाव पड़ता है। कई बार फसल अवशेष जलाने से मानव जीवन की खतरे की संभावना के साथ-साथ स्वास्थ्य व संपत्ति की भी हानि हो जाती है। इसलिए किसानों को जागरुक होते हुए फसल अवशेष ना जलाने के प्रति संकल्पित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से आधुनिक कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जा रहे हैं। इसके लिए कृषि विभाग में संपर्क करके पूरी जानकारी ली सकते हैं। कृषि यंत्रों का उपयोग फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों को मिट्ïटी में मिलाने के लिए किया जाता है, इससे जहां भूमि की उपजाऊ शक्ति बढती है।फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध, धारा 144 लागू :उपायुक्त ने बताया कि जिला सिरसा में गेहूं व अन्य फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने पर जनहित में दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगाया गया है। इन आदेशों की अवहेलना का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 संपठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत कार्रवाई की जाएगी।