
आर पी डब्लू न्यूज़/राजीव मेहता
यमुनानगर, जनवरी 24:-गांव तिगरा की पूर्व सरपंच ओमलता व उनके पति नरेंद्र सिंह राणा के खिलाफ ग्रामीणों ने मंगलवार को लघु सचिवालय में डीसी को शिकायत दी। ग्रामीणों ने सरपंच व उनके पति व विकास कार्यों के लिए आई ग्रांट में कई करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। डीसी ने जांच कर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।गांव तिगरा के विजय सिंह, गुरदीप सिंह, पंचायत सदस्य आरती रानी, पूजा रानी, जसदीप, मित्रपाल, सोनिया, बंसीलाल, महीपाल, मनोज, रवि, रमेश कुमार ने डीसी को दी शिकायत में कहा कि ओमलता वर्ष 2016 में गांव तिगरा की सरपंच बनी थी। उनके पांच साल के कार्यकाल में सरकार ने गांव में विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपये की ग्रांट दी थी। परंतु उस राशि में से करीब डेढ़ करोड़ रुपये ही गांव में लगाए गए हैं। बाकी राशि का सरपंच ने गबन किया है। उन्होंने कहा कि गांव में खेतों को जाने वाले रास्ते को पक्का करने, बीसी चौपाल, आंबेडकर भवन, श्मशान घाट की चारदीवारी का निर्माण करने में साढ़े तीन लाख ईंट लगी है। जबकि ग्राम पंचायत ने इस काम में सात लाख से ज्यादा ईंटें लगी हुई दिखाई हैं। इसी तरह गांव में मनरेगा के तहत हुए कार्यों में भी करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। उनका आरोप है कि गांव में मनरेगा के तहत हुए कार्यों में ओमलता ने अपने पति नरेंद्र राणा को ठेकेदार दिखाया है। पति के नाम से चले ट्रैक्टर-ट्राली से मिट्टी गिराई हुई दिखाई है। करीब नौ लाख रुपये नरेंद्र राणा को जारी किए गए। जबकि नियमानुसार सरपंच का पति या परिवार का कोई भी गांव में हुए कार्यों में अपना हिस्सा नहीं रख सकता। इसी तरह ओमलता के ससुर उदय राणा का मनरेगा में जॉब कार्ड बना हुआ है। उन्हें करीब एक लाख रुपये की पेमेंट की गई है। जबकि उदय राणा पूर्व सैनिक हैं। उन्हें सरकार पेंशन दे रही है। इसी तरह अपने चाचा सुधीर का जॉब कार्ड बनाकर करीब दो लाख रुपये, चचेरे भाई राज सिंह को डेढ़ लाख रुपये, चाचा चतर सिंह को डेढ़ लाख रुपये, भाई निर्मल सिंह को एक लाख रुपये व चाचा चमन सिंह को डेढ़ लाख रुपये की पेमेंट जारी की गई है।गांव के गुरदीप सिंह व विजय सिंह ने बताया कि सरपंच के परिवार के पास करीब डेढ़ एकड़ ही जमीन है। इसके अलावा आय का कोई साधन नहीं है। फिर भी सरपंच रहते उनके पति ने अपने गांव व ससुराल में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की जमीन खरीदी है। नालियों व गलियों की साफ सफाई के नाम पर फर्जी नाम से बिल बनाए गए हैं। जबकि गांव में तीन सफाई कर्मचारी हैं। गुरदीप राणा ने बताया कि जब उन्हें गांव में सरपंच द्वारा किए गए घपलों का पता चला तो उन्होंने आरटीआई लगाई थी। परंतु सरपंच ने उन्हें आरटीआई का जवाब ही नहीं दिया। अब दूसरी पंचायत के पास कार्यभार आया तो उन्हें आरटीआई का जवाब मिला। उन्होंने सरपंच, उनके पति व दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।